भोपाल/ भारत में एक व्यापक जन अभियान के रूप में पोलियो के खिलाफ लड़ाई लड़कर उसे सफलतापूर्वक खत्म करने के बाद इस बीमारी को भविष्य में भी न होने देने के लिए पोलियो टीकाकरण का एक नया अभियान शुरू किया गया है।
अभी तक पोलियो की दवाई तरल रूप में बच्चों को पिलाई जाती थी लेकिन नए अभियान में तरल दवाई पिलाने के साथ साथ एक इंजेक्शन के रूप में इस दवाई का एक बार टीका भी लगाया जाएगा।
बच्चों में अपंगता के लिए जिम्मेदार पोलियो से बचने के लिए अभी तक बच्चों को इसकी पांच खुराकें दी जाती रही हैं। ये खुराकें जन्म के समय से शुरू होकर 6 सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह और आखिरी बार बूस्टर खुराक के रूप में 16 से 24 महीने के बीच दी जाती हैं। इंजेक्शन के रूप में दिया जाने वाला आईपीवी टीका बच्चों को 14 सप्ताह की उम्र में दिया जाएगा।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार मुंह से पिलाई जाने वाली पोलियो खुराक में बच्चों के भीतर इस बीमारी का सक्रिय वायरस पहुंचाया जाता है, जो शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर बच्चों को उससे लड़ने की ताकत प्रदान करता है। लेकिन आईपीवी टीके के जरिए यह दवाई इंजेक्शन के रूप में दी जाएगी। इस दवाई में पोलियो का निष्क्रिय वायरस बच्चों के शरीर में पहुंचाया जाएगा। यह टीका दुनिया के कई देशों में लगाया जा रहा है। इसे बच्चों को और अधिक सुरक्षित तरीके से पोलियो जैसी खतरनाक बीमारी से बचाने में सफल माना गया है।
मुंह से दी जाने वाली पोलियो दवाई की खुराक के साथ एक बार इंजेक्शन के रूप में भी पोलियो का यह टीका लगाने से बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता और अधिक बढ़ जाती है। इससे बच्चों में वाइल्ड पोलियो वायरस के कारण बीमारी के फिर से पैदा होने या उनके दुबारा संक्रमित होने से लड़ने की प्रभावी क्षमता विकसित हो जाती है।
आईपीवी यानी इंजेक्शन से दिया जाने वाला पोलियो का टीका बच्चों की दाहिनी जांघ पर लगाया जाता है। इसे बच्चों को 14 सप्ताह की उम्र होने पर मुंह से दी जाने वाली खुराक के साथ दिया जाता है। यह टीका इसी उम्र में दिया जाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इसका असर इसी समय दी जाने वाली मुंह की खुराक के साथ प्रभावी होता है। इस तरह 14 सप्ताह की उम्र में अब बच्चों को दो सुई लगेगी। पहली पेंटावेलेंट की जो बाईं जांघ में लगेगी और दूसरी आईपीवी की जो दाईं जाघ में लगाई जाएगी। इन दोनों सुइयों के साथ उसे मुंह से पोलियो दवा की खुराक भी पिलाई जाएगी।
आईपीवी की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि भारत में तो पोलियो को खत्म किया जा चुका है, लेकिन आसपास के देशों में यह अभी भी मौजूद है। ऐसे में आवाजाही के कारण इस वायरस के आने का खतरा बना रहता है। बच्चों को दिया जाने वाला आईपीवी का इंजेक्शन उन्हें पोलियो से बचने की ‘डबल सुरक्षा’ प्रदान करेगा।
आईपीवी पूर्णत: सुरक्षित टीका है। कुछ बच्चों में किसी अन्य कारण से एलर्जी होने के कारण इसके कुछ अन्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जिनको लेकर डॉक्टर से अलग से परामर्श किया जाना चाहिए। यह टीका लगने के बाद बच्चों को हल्का बुखार या इंजेक्शन की जगह पर हल्की सी लाली या सूजन दिखाई दे सकती है, परंतु यह चिंता करने वाली बात नहीं है। ये लक्षण बताते हैं कि बच्चे का शरीर उस दवाई को स्वीकार कर रहा है।