राकेश दुबे
आज भी हम भारतीयों का सात समुद्र पार हासिल कामयाबी से खुद को जोड़कर प्रफुल्लित होना प्रिय शगल है, लेकिन हममें उस जज्बे की कमी है जो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक में है। कुछ साल पहले ऋषि सुनक ने एक साक्षात्कार में कहा था “मैं पूरी तरह से ब्रिटिश हूं। यह मेरा घर और देश है। वहीं दूसरी ओर मेरी धार्मिक व सांस्कृतिक विरासत भारतीय है। मेरी पत्नी भारतीय है। मैं हिंदू हूं और इसमें कोई छिपाने जैसी कोई बात नहीं है।” दुर्भाग्य से भारत के भीतर और बाहर भारतीय होने से पहले मजहबी पहचान उभर कर सामने आती है और इसे बताना कुछ लोग गौरव की बात मानते हैं।
मानव का स्वभाव है कि सफलता के मूल में बहुत कुछ ऐसा खोजता है जो उसे कामयाब शख्स या कामयाबी से जोड़ता है। बावजूद इसके कि जिस देश ने उसका अंगीकार किया है उसके राष्ट्रीय हित व रीति-नीतियां उसकी प्राथमिकता होती हैं। ऋषि सुनक की शिखर की कामयाबी के खास मायने हैं। उनकी जड़ें भारत से जुड़ी हैं। उनका ससुराल बेंगलुरु के समृद्ध परिवार में है। अब भी उनमें भारतीय व हिंदू संस्कार रचे-बसे हैं।
वर्ष 2020 में वित्तमंत्री रहते हुए सरकारी आवास के बाहर दीवाली पर दीपक जलाने का उनका कृत्य चर्चाओं में रहा है। भोग-विलास की पश्चिमी संस्कृति के करीब होने के बावजूद वे शराब जैसी बुराइयों से दूर हैं। भले ही उन्होंने कभी अपनी हिंदू पहचान का सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं किया हो, लेकिन अपनी हिंदू पहचान को कभी छुपाया भी नहीं है। उनके हिंदू पर्वों में भाग लेने व गाय-पूजा के वीडियो भारत के सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं।
पश्चिमी देशों के मीडिया में ऋषि सुनक की हिंदू पहचान को लेकर खूब चर्चा हुई है। अमेरिकी वेबसाइट सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में एक साक्षात्कार का जिक्र किया है जिसमें ऋषि कहते हैं कि ‘ब्रिटिश भारतीय जनगणना के वक्त एक श्रेणी में निशान लगाते हैं, पर मैं हिंदू हूं और इसमें कोई छिपाने जैसी कोई बात नहीं है।’
यह सच है कि एक भारतवंशी आज उस ग्रेट ब्रिटेन का प्रधानमंत्री है जिसने सदियों भारत को गुलाम बनाये रखा। आजादी का अमृत महोत्सव मनाते देश की यह कामयाबी एक ऐतिहासिक घटना है। इस खबर को सुनकर पूरी दुनिया के भारतीय गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। आज ब्रिटेन के कद्दावर प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की उस बहुचर्चित टिप्पणी की खूब चर्चा हो रही है, जिसमें उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के मौके पर कहा था कि ‘भारतीय नेता कम क्षमताओं वाले लोग होंगे।’
वक्त की करवट देखिये कि भारत आज ब्रिटेन को पछाड़कर न केवल विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन गया है, बल्कि चर्चिल की कुर्सी पर एक भारतीय वंशज काबिज है। बस भारत में यह भाव पैदा नहीं हो सका क्यों? ऋषि सुनक ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री हैं। वे अब तक सबसे धनी प्रधानमंत्री भी हैं। वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा भी है कि ‘ब्रिटेन के इतिहास में यह पहला मौका है कि ब्रितानी प्रधानमंत्री कार्यालय डाउनिंग स्ट्रीट में रहने वाला शख्स बकिंघम पैलेस से ज्यादा समृद्ध है।’
वास्तव में ऋषि सुनक की संपत्ति ब्रिटिश महाराजा से अधिक है। निस्संदेह, ऋषि सेल्फ मेड कामयाब व्यक्ति हैं। वे 35 वर्ष की उम्र में सांसद बनते हैं। फिर 2019 में वित्तमंत्री पद पर विराजते हैं, जो ब्रिटेन में प्रधानमंत्री के बाद दूसरा महत्वपूर्ण व्यक्ति है। इतना ही नहीं, एक वित्तमंत्री के रूप में उनकी नीतियों को ब्रिटिश समाज ने सराहा है। यही वजह है कि आमतौर पर उनके प्रधानमंत्री बनने का ब्रिटिश समाज में सकारात्मक प्रतिसाद सामने आया।
ऋषि ऐसे समय में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बने हैं जब ब्रिटेन ब्रेग्जिट के बाद आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसके बावजूद ब्रिटिश समाज को उम्मीद है कि वे देश की नैया को पार लगाने में कामयाब होंगे। उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी ब्रिटेन की सबसे धनी महिलाओं की सूची में शामिल हैं। दरअसल, सुनक भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति व इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति के दामाद हैं।
अक्षता को पिता की कंपनी में 0.9 प्रतिशत शेयर हासिल हैं, जिसकी कीमत ही 690 मिलियन पाउंड है। अक्षता की संपत्ति 730 मिलियन पाउंड बतायी जाती है। आज ऋषि भारतीय डायस्पोरा का कामयाब प्रतिनिधि चेहरा बन गये हैं। उनसे हम भारतीय जो कुछ सीख सकते हैं, वो देश के संस्कार, सभ्यता और उस पर गर्व की भावना है।
(मध्यमत)
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