भोपाल/ मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनियों के एक मनमाने फैसले ने राज्‍य के बिजली उपभोक्‍ताओं को अच्‍छी खासी परेशानी में डाल दिया है। कंपनियों ने उपभोक्‍ताओं को बिल की हार्डकॉपी भेजने की प्रक्रिया बंद कर दी है। कंपनियों ने फैसला किया है कि अब उपभोक्‍ताओं को ई बिल ही भेजे जाएंगे या फिर उनके मोबाइल फोन पर एसएमएस/वाट्सएप के जरिये बिल मिलेंगे।  

उपभोक्‍ताओं का कहना है कि इस तरह की मनमानी व्‍यवस्‍था मध्‍यप्रदेश जैसे राज्‍य के उपभोक्‍ताओं के साथ अन्‍याय है जहां बड़ी संख्‍या ऐसे लोगों की है जिनके पास या तो मोबाइल ही नहीं है या फिर उनके पास एंड्राइड सॉफ्टवेयर वाले स्‍मार्ट मोबाइल फोन नहीं हैं। ऐसे में उन उपभोक्‍ताओं को बिल की हार्डकॉपी देने की व्‍यवस्‍था जारी रखी जानी चाहिए।

सागर के एक उपभोक्‍ता एडवोकेट रूपसिंह यादव का कहना है कि बिजली कंपनियों द्वारा मनमाने तरीके से बिल भेजे जाने की शिकायतें भी आम हो गई हैं। दीपावली के पूर्व 200 से 300 यूनिट के बिल न्यूनतम बना कर भेजे गए। जिन मामलों में बिजली कंपनी के साथ विवाद लंबित थे उनके द्वारा इस बारे में शिकायत करने पर उन शिकायतों का निराकरण अभी तक नहीं किया गया और अगले बिल भेज दिए गए।

श्री यादव का कहना है कि इस तरह की व्‍यवस्‍था से एक नया विवाद खड़ा होगा और लोग बिजली का बिल ना आने का बहाना करके बिल नहीं भरेंगे जिससे मध्य प्रदेश का बिजली सेक्‍टर और घाटे में चला जाएगा, मध्यप्रदेश शासन बदनाम होगी सो अलग। इस बदनामी और लोगों की नाराजगी का आने वाले चुनावों पर भी असर पड़ सकता है, इसलिए शासन और बिजली कंपनियों को चाहिए कि वे इस दिशा में तत्‍काल ध्‍यान देकर उचित कार्रवाई करें और समस्‍या का न्‍यायपूर्ण समाधान निकाला जाए।

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