शुभरात्रि कविता

देख, दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली
ये ख़तरनाक सचाई नहीं जाने वाली
आज सड़कों पे चले आओ तो दिल बहलेगा
चन्द ग़ज़लों से तन्हाई नहीं जाने वाली
-दुष्‍यंत 

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