देश में सर्वाधिक शिशु मृत्‍यु दर वाले राज्‍यों में से एक मध्‍यप्रदेश ने राज्‍य में बच्‍चों के टीकाकरण की एक नई विधि अपनाने का फैसला किया है। इस विधि के तहत बच्‍चों को पांच अलग अलग बीमारियों से बचाने के लिए अलग अलग टीके लगाने के बजाय अब एक ही टीका लगाया जाएगा।

प्रदेश में पेटावेलेंट टीकाकरण का यह कार्यक्रम 29 अक्‍टूबर से शुरू किया जा रहा है और मुख्‍यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इस अभियान की विधिवत शुरुआत करेंगे। पेंटावेलेंट टीका बच्‍चों को पांच तरह की बीमारियों डीपीटी (डिप्‍थीरिया,काली खांसी, टिटनस), हेपेटाइटिस बी और हिब (हिमोफिलीस इन्‍फ्लूएंजा टाइप बी) जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाएगा। पोलियो से बचाव के लिए ओरल पोलियो का टीका जन्‍म के समय से लेकर बाद तक पहले की ही तरह पिलाया जाता रहेगा। इसी तरह शिशु के जन्‍म के समय लगने वाला बीसीजी और हेपेटाइटिस बी का टीका भी पहले की तरह ही लगेगा।

मध्‍यप्रदेश में टीकाकरण की स्थिति बहुत अच्‍छी नहीं है। 2012-13 के वार्षिक स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में सिर्फ 66.4 प्रतिशत बच्‍चों का ही पूर्ण टीकाकरण हुआ। राज्‍य में हर साल करीब 19 लाख बच्‍चों व 20 लाख गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का लक्ष्‍य होता है। टीकाकरण के मामले में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लक्ष्‍य की पूर्ति में भी काफी अंतर है। शहरी टीकाकरण की दर जहां 73.8 प्रतिशत है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह 63.5 प्रतिशत ही है। अलग अलग प्रकृति के भौगोलिक क्षेत्र, जनसंख्‍या की विविधता, दुर्गम क्षेत्रों में आबादी का निवास, पलायन और आदिवासी आबादी की बहुलता जैसे कई कारणों के चलते राज्‍य में बच्‍चों का टीकाकरण बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसे में पेंटावेलेंट टीकाकरण जैसा अभियान संपूर्ण टीकाकरण के लक्ष्‍य को पूरा करने में मदद कर सकता है।

परंपरागत टीकाकरण कार्यक्रम के तहत अभी बच्‍चों को विभिन्‍न बीमारियों से बचाव के टीके अलग अलग उम्र में अलग अलग लगाए जाते हैं। पेंटावेलेंट टीकाकरण कार्यक्रम आरंभ हो जाने के बाद अब समग्र टीकाकरण का क्रम इस तरह रहेगा- बच्‍चे को जन्‍म के समय पोलियों की खुराक पिलाने के अलावा बीसीजी और हेपेटाइटिस बी का टीका लगेगा, उसके बाद जन्‍म के 6, 10 और 14 वें सप्‍ताह में पांच बीमारियों वाला पेंटावेलेंट टीका लगेगा और साथ ही पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी, उसके बाद 9 से 12 माह की उम्र के बीच शिशु को खसरे का टीका और विटामिन ए की खुराक पिलाई जाएगी, बच्‍चे को 16 से 24 माह की उम्र के बीच डीपीटी का बूस्‍टर टीका, पोलियो की बूस्‍टर खुराक और खसरे का दूसरा टीका लगाया जाएगा। डीपीटी का एक बूस्‍टर टीका बच्‍चे को पांच से छह वर्ष की उम्र में लगेगा। इस तरह देखा जाए तो पेंटावेलेंट टीकाकरण शुरू हो जाने के बाद बच्‍चों को 6 से 14 सप्‍ताह की उम्र में छह बार के बजाय अब सिर्फ तीन बार ही सुई लगानी पड़ेगी। महत्‍वपूर्ण बात यह है कि पेटावेलेंट टीके से बच्‍चों को हिब यानी (हिमोफिलीस इन्‍फ्लूएंजा टाइप बी) से भी सुरक्षा मिलेगी। हिब के कारण बच्‍चा दिमागी बुखार या निमोनिया का शिकार हो सकता है।

देश में पेंटावेलेंट टीकाकरण का कार्यक्रम 2011 के अंत में केरल और तमिलनाडु में शुरू किया गया था। केंद्र सरकार ने उसके अगले वर्ष यह कार्यक्रम छह और राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जिनमें गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा, गोवा, जम्‍मू कश्‍मीर और पुडुचेरी शामिल थे। इसी साल के आरंभ में इसे आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, झारखंड, पंजाब, राजस्‍थान, पश्चिम बंगाल, उत्‍तराखंड, दिल्‍ली, छत्‍तीसगढ़ और मध्‍यप्रदेश में भी लागू करने का फैसला किया गया था।

दरअसल मध्‍यप्रदेश जैसे राज्‍य में जहां शिशु मृत्‍यु दर का आंकड़ा प्रति हजार जीवित जन्‍म पर 59 और एक से पांच वर्ष तक की आयु के बच्‍चों के मामले में प्रति हजार 77 है वहां बच्‍चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने वाले टीकों का महत्‍व और भी बढ़ जाता है। डीपीटी, हेपेटाइटिस बी आदि के टीके चूंकि इंजेक्‍शन के जरिए दिए जाते हैं इसलिए मां बाप बच्‍चों को सुई लगने के डर से कई बार ये टीके नहीं लगवाते और बच्‍चे गंभीर बीमारियों का शिकार होते हैं। ऐसे में बार बार अस्‍पताल जाने और बच्‍चे को कई बार सुई लगने से बचाने वाला पेंटावेलेंट टीका फायदेमंद साबित हो सकता है।

 

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