योगी ने तीन तलाक में द्रौपदी का उदाहरण ही क्‍यों दिया

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तीन तलाक का मुद्दा इन दिनों चौतरफा छाया हुआ है। मीडिया से लेकर राजनीतिक हलकों तक इस पर रोज नई बहस, नई बातें और नए तर्क सामने आ रहे हैं। ऐसी ही एक बात सोमवार को उत्‍तरप्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कही।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 91वीं जयंती के मौके पर, उन पर लिखी किताब का विमोचन करते हुए आदित्यनाथ ने तीन तलाक का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग देश की इस ज्वलंत समस्या को लेकर मुंह बंद किए हुए हैं, ऐसे में मुझे महाभारत की सभा याद आ रही है। वहां जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब उसने भरी सभा में एक प्रश्न पूछा था कि आखिर इस पाप का दोषी कौन है? तब कोई बोल नहीं पाया था, केवल विदुर ने कहा था कि एक तिहाई दोषी वे व्यक्ति हैं, जो यह अपराध कर रहे हैं, एक तिहाई दोषी वे लोग हैं, जो उनके सहयोगी हैं और एक तिहाई वे हैं जो इस घटना पर मौन हैं।

इसके बाद योगी ने असली निशाना साधा। वे बोले ‘’मुझे लगता है कि देश का राजनीतिक क्षितिज तीन तलाक को लेकर मौन बना हुआ है। सच पूछा जाए तो यह स्थिति पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर देती है। अपराधियों के साथ-साथ उनके सहयोगियों को और मौन बैठे लोगों को भी।‘’

योगी का यह उदाहरण देना कई मायनों में भारत की बदलती हुई राजनीतिक व सामाजिक स्थिति की ओर इशारा करता है। अभी तक भारत की राजनीति में हमने यही देखा है कि जब भी ऐसे अहम् मुद्दों पर किसी के चुप रहने या किसी का भी पक्ष न लेने की बात आती थी तो अधिकांश मामलों में हिन्‍दी के विख्‍यात कवि रामधारीसिंह ‘दिनकर’ की इन पंक्तियों का हवाला दिया जाता था-

समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्‍याघ्र  

जो तटस्‍थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध

लेकिन योगी आदित्‍यनाथ ने इसमें द्रौपदी का एंगल देकर मामले को और तीखा बना दिया है। याद रखिए वे तीन तलाक के संदर्भ में बात कर रहे हैं और उदाहरण द्रौपदी का दे रहे हैं। वही द्रौपदी जो महाभारत की महानायिका होने के बावजूद पुरुष शोषण और प्रताड़ना का शिकार है।

क्‍या हुआ था महाभारत में? जुए में पत्‍नी को भी हार बैठने वाले पांडव असहाय से बैठे थे और एक स्‍त्री भरी सभा में अपनी अस्‍मत के लिए संघर्ष कर रही थी। योगी का यह कहना कि उस सभा में कोई नहीं बोल पाया था, इशारा है उन बुद्धिजीवियों की ओर जो यूं तो हर छोटी मोटी बात पर अपनी राय देने के लिए कूद पड़ते हैं लेकिन इस मामले में मौन रहकर तमाशा देख रहे हैं। शायद उन्‍हें लगता है कि यदि इस समय तीन तलाक के विरोध में कुछ भी बोला तो उन्‍हें भी कहीं भाजपा का समर्थक न मान लिया जाए। और समर्थक मानने की बात भी छोडि़ए, मन में भाव शायद यही आ रहा होगा कि जिस मुद्दे से भाजपा को राजनीतिक फायदा मिलने की संभावना बने, उसे समर्थन देकर हम क्‍यों परोक्ष रूप से भाजपा को मजबूत करें।

दरअसल भाजपा ने तीन तलाक पर ऐसी स्थिति निर्मित कर दी है कि उसके राजनीतिक विरोधियों से न कुछ निगलते बन रहा है और न उगलते। भाजपा इस स्थिति का राजनीतिक फायदा ही नहीं ले रही, वह विपक्ष के साथ साथ उन बुद्धिजीवियों या सहिष्‍णुतावादियों के भी मजे ले रही है, जो कुछ महीनों पहले तक उसे कोसते रहे हैं।

शायद यही कारण था कि भुवनेश्‍वर में भाजपा की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधने के साथ साथ उन कलाकारों और साहित्यकारों पर भी चुटकी ली, जिन्होंने देश में असहिष्णुता बढ़ने की बात कहकर अपने अवॉर्ड वापस कर दिए थे। मोदी ने 16 अप्रैल को सवाल किया- ‘’बिहार चुनाव से पहले अवॉर्ड वापसी की गई। आज कल वे अवॉर्ड वापसी वाले कहां हैं?’’

योगी का 17 अप्रैल को आया द्रौपदी वाला बयान प्रधानमंत्री के इस कटाक्ष का ही विस्‍तार है। जब वे कहते हैं कि धृतराष्‍ट्र की उस सभा में और कोई तो नहीं बोला लेकिन विदुर ने जवाब दिया। और बकौल योगी, विदुर का जवाब क्‍या था- ‘’एक तिहाई दोषी वे व्यक्ति हैं, जो यह अपराध कर रहे हैं, एक तिहाई दोषी वे लोग हैं, जो उनके सहयोगी हैं और एक तिहाई वे हैं जो इस घटना पर मौन हैं।‘’

यानी भाजपा ने एक झटके में तीन तलाक के मुद्दे पर अपने विरोधियों को महिला विरोधी साबित कर दिया है। और इन विरोधियों में शामिल है मुस्लिम समाज का पुरुष वर्ग जो यह अपराध कर रहा है, दूसरे वे लोग जो कह रहे हैं कि मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्‍तक्षेप नहीं होना चाहिए और तीसरे वे बुद्धिजीवी तथा सहिष्‍णुतावादी जो इस प्रसंग पर चुप्‍पी साधे हुए हैं।

इस तरह भाजपा ने बहुत चतुराई से मुस्लिम समाज को तो बांट ही दिया है, अपने विरोधियों को भी स्‍त्री विरोधी खेमे में खड़ा कर दिया है। मानना पड़ेगा, द्रौपदी और विदुर के प्रसंग का ऐसा उपयोग राजनीति में शायद ही किसी ने किया हो।

 

 

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