रवीन्द्र व्यास
सरकार और प्रशासन अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करें तो मुरैना क्या देश में कहीं भी जहरीली शराब से मौत का तांडव नहीं देखना पड़ता। मुरैना जिले में जानलेवा दारू से दो दर्जन से ज्यादा मौतों के बाद अब सरकार की नींद अवश्य खुली है। सरकार ने प्रशासन को आदेश दिया कि अवैध दारू निर्माण के ठिकाने नष्ट किये जाएँ। इस आदेश के पालन में मध्यप्रदेश में जगह जगह छापा मारी हुई। अकेले बुंदेलखंड के सागर संभाग में 105 से ज्यादा ठिकानों पर अवैध शराब निर्माण के गोरखधंधे को नेस्तानाबूद किया गया।
शराब की बात हो और सियासत ना हो ऐसा कम ही होता है। अब एमपी में शराब की नई दुकानों के मुद्दे पर सियासत होने लगी है। तो वहीं उमा भारती ने बीजेपी शासित राज्यों में पूर्ण शराब बंदी की मांग कर एक नया अभियान शुरू कर दिया है। सरकार के नुमाइंदे कहते हैं कि शिवराज सरकार मुरैना काण्ड के बाद शांत नहीं बैठी है। सरकार ने दोषियों पर ना सिर्फ कार्रवाई की, बल्कि पुलिस कर्मचारियों को भी नहीं बख्शा। मुरैना जिले के उच्च अधिकारियों को भी हटाया गया हैं।
दूसरी तरफ प्रदेशभर में शराब अवैध कारोबारियों के विरुद्ध अभियान जारी है। सरकार ने अधिकारियों को साफ़ शब्दों में चेतावनी दे दी है कि किसी भी जिले में भविष्य में ऐसी घटना होती है तो उसके लिए उन्हें जिम्मेदार माना जाएगा। सरकार के इस आदेश के बाद बुंदेलखंड के सागर संभाग में 10 5 से ज्यादा ठिकानों पर अवैध शराब निर्माण के गोरखधंधे को नेस्तानाबूद किया गया। सागर संभाग में सर्वाधिक धरपकड़ छतरपुर जिले में हुई। जिले के कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और एसपी सचिन शर्मा ने अवैध दारू बनाने वालों के विरुद्ध अभियान 11 जनवरी से शुरू किया।
अकेले छतरपुर जिले में 3 दर्जन गांवों में छापा मार कर अवैध शराब बनाने के अड्डों को खत्म किया। लाखों रुपए कीमत की शराब नष्ट की गई और सैकड़ों क्विंटल महुआ लहान नष्ट कराया गया है। 120 लोगों के खिलाफ अवैध शराब बनाने और बेचने के मामले दर्ज किए गए हैं। सागर पुलिस ने भी सरकार के आदेश के बाद सैकड़ों लीटर अवैध शराब जप्त की। अवैध शराब की धरपकड़ का यह अभियान छतरपुर, सागर तक सीमित नहीं है बल्कि संभाग के टीकमगढ़, पन्ना, दमोह और निवाड़ी में भी जारी है। यहां बड़ी मात्रा में ना सिर्फ अवैध शराब नष्ट की गई बल्कि शराब बनाने की महुआ लहान और भट्टियां भी नष्ट की गईं।
ग्रामीण इलाकों में लोग दारु के अवैध कारोबार से कितने परेशान हैं इसे कुछ उदाहरणों से समझा जा सकता है। सागर जिले के बीना की एसडीओप्रिया सिंह को 12 जनवरी को बेरखेड़ी माफ़ी गाँव के ग्रामीणों ने शराब को लेकर आवेदन दिया था। ग्रामीणों ने मांग की थी मैडम हमारे गाँव में अवैध शराब की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दीजिये, गाँव के छोटे छोटे बच्चे शराब के आदी हो रहे हैं। शराब के कारण गाँव में आये दिन दंगा फसाद होते रहते हैं। ग्रामीणों ने अवैध शराब बनाने और बेचने वालों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की मांग की थी।
टीकमगढ़ जिले के लिधौरा में पिछले दिनों शान्ति समिति की बैठक हुई। जतारा एसडीओपी योगेंद्र सिंह भदौरिया की उपस्थिति में हुई इस बैठक में ग्रामीणों ने इलाके में बिक रही अवैध दारू पर रोक लगाने की मांग पुलिस से की। छतरपुर जिले के बिजावर थाना इलाका का एक गाँव है भारत पुरा। इस गाँव के लोग पहले से ही अवैध दारू के निर्माण और आवक परेशान थे, अब यहीं ठेके की शराब भी मिलने लगी है। गाँव के लोग बताते हैं की पास के कंजर पुर में अवैध शराब बनती है जिसकी सप्लाई गाँव गाँव में होती है। पुलिस और आबकारी वाले भी जानते हैं। कभी कभी कार्रवाई होती है लेकिन छूट कर आने के बाद लोग फिर वही धंधा शुरू कर देते हैं। गाँव का नजारा शाम और रात को देखने लायक होता है, जब गाँव की महिलायें, बच्चे भी शराब के सुरूर में झूमते हुए मिल जाते हैं।
सरकार की अवैध शराब के कारोबार के विरुद्ध कार्रवाई निश्चित रूप से स्वागत योग्य है। पर इस कार्रवाई के दौरान जिस तरह से शराब के अवैध निर्माण और विक्रय पर से परदा हट रहा है वह कई सवाल भी खड़े करता है। ये हालात बताते हैं कि बुंदेलखंड में अवैध शराब का एक बड़ा कारोबार वर्षों से संचालित हो रहा था। इस तरह के अवैध कारोबार बगैर आबकारी और पुलिस के वरद हस्त के संचालित नहीं हो सकते। छतरपुर जिला प्रशासन ने भी माना है कि वर्षों से लाखों रुपए की अवैध शराब बेचे जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही थी, लेकिन जब कलेक्टर ने सख्ती दिखाई तो आबकारी विभाग भी कार्रवाई करने को मजबूर हो गया।
पिछले दिनों मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में शराब की नई दुकानें खोलने की बात कही थी। इतना ही नहीं आबकारी आयुक्त ने जिले के कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि 20 फीसदी नई दुकानें खोले जाने के प्रस्ताव भेजें। सरकार के इस ताजा प्रस्ताव से उमा भारती भड़क गईं और उन्होंने सुझाव दे डाला कि बीजेपी शासित राज्यों में पूर्ण शराब बंदी लागू की जाये। उनके यह कहते ही कांग्रेस भी मैदान में आ गई। पूर्व मुख्य मंत्री कमलनाथ ने तो इस मसले पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि चुनाव में बीजेपी शराब बंदी की बात करती है और अब जहरीली शराब के नाम पर दुकानों को बढ़ाने का काम कर रही है। सियासी सूत्रों का कहना है की उमा भारती प्रदेश में पूर्ण शराब बंदी को लेकर बुंदेलखंड से अलख जगायेंगी।
दरअसल बुंदेलखंड में शराब का यह अवैध कारोबार एक कुटीर उद्योग की तरह संचालित होता है। बुंदेलखंड में शराब के लिए आवश्यक महुआ प्रचुर मात्रा में मिल जाता है। अब नए केमिकल भी आ गए हैं जो शराब के नशे को बढ़ावा देते हैं। सस्ते में मिलने वाली यह शराब जानलेवा साबित होती है। दूसरी तरफ शराब ठेकेदार और माफिया भी अपने नेटवर्क से गाँव गाँव में शराब बिकवाने का कार्य करते हैं।