सरयूसुत मिश्रा

गुजरात, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (एमसीडी) के चुनाव के एग्जिट पोल भावी राजनीति के कई संकेत समेटे हुए हैं। एग्जिट पोल अगर सही साबित होते हैं तो भाजपा के लिए कहीं खुशी कहीं गम की स्थिति दिखाई पड़ रही है।

हिंदुत्व की प्रयोगशाला गुजरात में बीजेपी की भारी जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर निर्णायक जनादेश के रूप में देखी जाएगी। गुजरात में राज्य स्तर पर बीजेपी नेतृत्व में बदलाव और नए चेहरों पर दांव लगाने की हिम्मत बीजेपी शायद मोदी के चेहरे के सहारे ही कर सकती थी। बीजेपी को इस साहसिक कदम का राजनीतिक लाभ मिलता हुआ दिखाई पड़ रहा है।

हिमाचल प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच लड़ाई कश्मकश भरी है। चुनाव परिणाम किसी के भी पक्ष में जा सकते हैं। इस राज्य में हर पांच साल में अभी तक सरकार बदलने की परंपरा रही है। इस बार यह रिवाज बदलेगा या नहीं यह आठ दिसंबर को ही पता लगेगा। एग्जिट पोल जो इशारा कर रहे हैं उसमें ‘पोल आफ पोल्स’ पर भरोसा किया जाए तो परिणाम बीजेपी की तरफ झुका हुआ दिखाई पड़ता है।

एमसीडी के एग्जिट पोल आम आदमी पार्टी के लिए उत्साहजनक दिखाई पड़ रहे हैं। एमसीडी में बीजेपी का सफाया यदि होता है तो यह बीजेपी के लिए बड़ा सेटबैक होगा। अभी तक एमसीडी में बीजेपी का कब्जा था। बीजेपी और आप के बीच में राजनीतिक संघर्ष पिछले कई दिनों से चरम पर था। बीजेपी की ओर से अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए। केजरीवाल के मंत्रिमंडल के एक मंत्री तो अभी भी जेल में हैं। एमसीडी चुनाव परिणाम दिल्ली में बीजेपी और आप के प्रति जन भावनाओं के स्पष्ट संदेश के रूप में सामने आएगा। 

एग्जिट पोल एमसीडी में आप की भारी सफलता का संकेत कर रहे हैं। एग्जिट पोल अगर सच होता है तो दिल्ली में बीजेपी की बड़ी समस्या स्थानीय स्तर पर लीडरशिप की कमी ही मानी जाएगी। जिन नेताओं को दिल्ली राज्य में नेतृत्व सौंपा गया या नेतृत्व के लिए विकसित किया गया, वह सारे नेता अपना प्रभाव स्थापित करने में असफल रहे हैं। दिल्ली में कांग्रेस के परंपरागत जनाधार पर अब आम आदमी पार्टी ने कब्जा कर लिया है। इसीलिए कांग्रेस को भारी नुकसान एग्जिट पोल में दिखाई पड़ता है।

दिल्ली में ऐसे हालात बनते दिखाई पड़ रहे हैं कि राजनीति का भावी मुक़ाबला बीजेपी और आप के बीच होगा। आप की बढ़ती चुनौती बीजेपी के लिए भविष्य में सिरदर्द बन सकती है। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के बाद पंजाब में अपनी सरकार बना चुके हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक गुजरात चुनाव में भी उनकी पार्टी को मतों का अच्छा प्रतिशत प्राप्त होता दिखाई पड़ रहा है।

एग्जिट पोल के संकेत बता रहे हैं कि मोदी का मुकाबला भविष्य में अरविंद केजरीवाल के साथ हो सकता है। मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों की एकता अरविंद केजरीवाल के बिना अपना प्रभाव डालने में सफल नहीं होगी। चूँकि अरविंद केजरीवाल का भविष्य कांग्रेस के जनाधार पर ही टिका हुआ है इसलिए कांग्रेस के साथ उनका जाना राजनीतिक रूप से संभव नहीं लगता है। ऐसी स्थिति में मोदी के खिलाफ विपक्षी एकता का परवान चढ़ना कठिन हो सकता है। ऐसे हालात बीजेपी के लिए राजनीतिक लाभ का मौका साबित हो सकता है।

जहां तक कांग्रेस का सवाल है एग्जिट पोल भले ही कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने के स्पष्ट संकेत नहीं दे रहे हो लेकिन उनका सपोर्ट बेस मजबूती के साथ बने रहने का संकेत कर रहे हैं। इसे  कांग्रेस की भावी राजनीति के लिए लाभदायक लक्षण माना जा सकता है। हिमाचल प्रदेश और गुजरात में कांग्रेस ने प्रचार अभियान में बहुत गंभीरता नहीं दिखाई। गांधी परिवार प्रचार से दूर रहा केवल प्रियंका गांधी ही हिमाचल प्रदेश में प्रचार के लिए गईं। इसके बाद भी बीजेपी के साथ कश्मकश भरी लड़ाई कांग्रेस के लिए सुखद संकेत मानी जा सकती है। देश कांग्रेस मुक्त हो सकता है ऐसा मानने वालों के लिए भविष्य बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता।

एग्जिट पोल गुजरात में बीजेपी की खुशी को सातवें आसमान पर पहुंचा रहे हैं। वहीं हिमाचल प्रदेश में अभी चुनाव परिणाम आने तक दिल थाम कर बैठने की स्थिति है। बीजेपी कार्यकर्ता और संगठन आधारित पार्टी मानी जाती है। नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय स्वीकार्यता के बाद बीजेपी को एक ऐसा चेहरा मिल गया, जिसको पूरे देश में राजनीतिक नायक के रूप में स्वीकार किया जाने लगा है। बीजेपी हर चुनाव में मोदी के चेहरे पर ही अपना सब कुछ दांव पर लगाने की रणनीति पर आगे बढ़ने लगी है। राज्यों में बीजेपी का नेतृत्व मोदी के सहारे अपनी विजय पताका फहराने के अतिविश्वास पर भरोसा करने लगा है। यह अतिविश्वास पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के स्तर पर भी बढ़ता हुआ दिखाई पड़ रहा है।

यद्यपि अभी नरेंद्र मोदी के चेहरे पर देश में पॉजिटिव दृष्टिकोण बना हुआ है लेकिन पार्टी संगठन में हर स्तर पर समय अनुकूल परिवर्तन और अपडेशन पर सतत निगाह रखने की जरूरत महसूस हो रही है। राज्यों में बीजेपी नेतृत्व भी व्यक्तिवाद के सहारे टिका हुआ दिखाई पड़ता है। जिन राज्यों में बीजेपी ने राज्य की लीडरशिप में बदलाव किया है वहां उन्हें सफलता ज्यादा मिलती हुई दिखाई पड़ रही है।

गुजरात में पूरा मंत्रिमंडल और मुख्यमंत्री नए बनाए गए हैं। इसके लगभग एक साल बाद हुए चुनाव में गुजरात में बीजेपी को जो सफलता मिलती एग्जिट पोल में बताई जा रही है वैसी सफलता तो 2017 के चुनाव में भी नहीं मिली थी। तब वहां स्थापित नेतृत्व राज्य में काम कर रहा था, उस समय भी नरेंद्र मोदी का चेहरा था लेकिन आज परिस्थिति यह है कि गुजरात में मुख्यमंत्री कौन है यह बताना भी अधिकांश लोगों के लिए संभव नहीं है लेकिन फिर भी एग्जिट पोल बीजेपी के भारी विजय का संकेत कर रहे हैं।

इसका मतलब यह निकलता है कि राज्यों में नेतृत्व के प्रति पार्टी को विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है। राज्यों में स्थापित नेतृत्व कई बार एंटी इन्कम्बेंसी के कारण पार्टी के लिए नुकसानदेह हो जाते हैं। हिमाचल में बीजेपी ने नेतृत्व परिवर्तन नहीं किया था। वहां एग्जिट पोल चुनाव को कश्मकश भरा ही बता रहे हैं।

गुजरात, हिमाचल प्रदेश और एमसीडी के चुनाव के एग्जिट पोल के राजनीतिक संकेत भले ही आज बीजेपी के लिए सुखद दिखाई पड़ रहे हैं लेकिन इसमें छिपे राजनीतिक संदेश बीजेपी में भविष्य के सुधार के लिए इशारा जरूर कर रहे हैं। कांग्रेस में भी राजनीतिक निराशा का माहौल इन चुनावों से खत्म हो सकता है।  राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से जो गर्माहट कांग्रेस में पैदा हुई है वह आगे चलकर चुनावी मुकाबले में मजबूत टक्कर देने के लिए तैयार हो सकती है।

इन चुनावों से संकेत आ रहा है कि हिंदू-मुस्लिम और हिंदुत्व की राजनीति ही विजय की गारंटी नहीं हो सकती है। चुनावी अंकगणित तो साधना ही पड़ेगा। इस अंकगणित को मजबूती देने में यह राजनीति कारगर हो सकती है। अभी तक तो 2024 नरेंद्र मोदी का दिख रहा है लेकिन इसके बाद देश का राजनीतिक भविष्य संभालने के लिए बीजेपी को ईमानदार और कड़ी मेहनत के साथ आगे बढ़ना होगा। केवल दिखावे और भेदभाव की भावना को बढ़ाकर राजनीतिक शेयर के मूल्य को बढ़ाते रहना हमेशा संभव नहीं हो सकता।
(लेखक की सोशल मीडिया पोस्‍ट से साभार)
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