नीरज जी के जन्मदिन पर विशेष
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राकेश अचल
दुनिया में कम ही लोग ऐसे होते हैं जो सभी का शुभ सोचते हों। साहित्य, राजनीति, इतिहास, भूगोल या कोई अन्य क्षेत्र हो, शुभ के सोचने वाले कम ही हैं। भारत में साहित्य जगत के जाज्ज्वल्यमान नक्षत्र महाकवि गोपालदास नीरज एक ऐसे ही अपवाद थे। नीरज जी ने जो भी लिखा अद्भुत लिखा, अपने तरीके से लिखा, ऐसा लिखा जिसकी अहमियत आज भी कायम है। इस देश की एक साथ अनेक पीढ़ियां नीरज जी से प्रभावित हैं और नीरज जी प्रभावित थे उस सनातन, शाश्वत भारतीय परमपरा से जिसका कोई ओर-छोर नहीं है। ये परम्परा है परस्पर प्रेम की परम्परा।
महिलाओं के श्रृंगार का अभिन्न हिस्सा रही चूड़ी के जरिये नीरज जी ने प्रेम की व्याख्या कर डाली थी, याद कीजिये-“चूड़ी जैसा प्यार है मेरा, जिसका ओर न छोर”, सीधे-सपाट शब्दों में प्रेम की व्याख्या अद्भुत है। नीरज जी ने भारतीय सिनेमा के लिए 100 से अधिक गीत लिखे। इनमें से एक-दो को छोड़ कर सबके सब अमर हो गए। अमर इसलिए क्योंकि इन गीतों को आज भी देश गुनगुनाता है।
इंसानियत के लिए नीरज के गीत धरोहर हैं। उन्होंने सीना ठोक कर कहा था- ‘‘बस यही अपराध में हर बार करता हूँ, आदमी हूँ, आदमी से प्यार करता हूँ” यह गीत सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि नीरज जी का एक हलफनामा है, जिस पर हर भारतीय अपने हस्ताक्षर करना चाहता है। समूची मानवीयता के लिए इससे बड़ा और कोई दूसरा उद्घोष हो सकता है क्या?
नीरज ने भारतीय साहित्य के सभी वादों का सामना किया और टिके रहे। उन पर न छायावाद हावी हो सका और न हालावाद, वे निरंतर सदाबहार बने रहे। भारत में जनता जितना किसी फ़िल्मी महानायक को जानती या स्नेह करती है उससे कहीं ज्यादा नीरज को चाहती है। वे सशरीर आज भले ही हमारे बीच मौजूद न हों, लेकिन आज भी जनता के हीरो हैं और शायद हमेशा रहेंगे। उन्हें याद रखने में पल भर नहीं लगता लेकिन भुलाने में ज़माने लग जायेंगे।
सिनेमा के इतर नीरज जी के साहित्य पर लगातार लिखा जा सकता है, लेकिन मैं आज केवल जनता के नीरज की बात कर रहा हूँ जो जाफरान की खुशबू को पहचानता है, शोखियों में शराब घोल कर नया नशा तैयार करने का फन जानता है, जो किसी की याद में लिखे खतों को कभी फूल तो भी सितारे बना सकता है और जिसमें इतना साहस है जो गुजरते कारवां को और उसके गुबार को देख सकता है।
नीरज आज होते तो वे 96 साल के हो रहे होते। छह साल पहले जब मैं उनसे मिला था तब नीरज जी पूरी तरह सक्रिय, चेतन और मस्त थे। अपने सदाबहार गीतों के साथ, मुझे उनसे इस शुभ दिन सत्संग का अवसर मिला था, यदि आप भी इस महानायक के मुरीद हैं तो आइये याद कीजिये उन्हें उनके जन्मदिन पर, ताकि वे लगातार हमारी सुधियों में रहकर गा सकें रंगीला रे…
(चित्र में लेखक नीरज जी के 90 वें जन्मदिवस पर उनके साथ)