घर का माहौल कुछ खास न था
मेरी मां का चेहरा उदास सा था
एक मां जो अपनी पूरी जिंदगी
बच्चों की परवरिश में लगा देती है
एक पिता जो अपनी आवश्यकताओं को छोड़
बच्चों का जहां बसा देता है
एक बच्चा कहता है
जब मां बाप हमें हमेशा गम से निजात दिलाते हैं
फिर क्यों उनके जीते जी हम बंटवारे की बात करते हैं
मेरे भाई यह जो साथ की खुशियां हैं, सब बिखर जायेंगी
फिर एक दिन मां तेरे हिस्से में और
एक दिन मेरे हिस्से में आएगी
बड़े अनमोल हैं ये रिश्ते तू बेकार मत कर
मेरे हिस्से की भी जमीं तू रख ले
पर आंगन में दीवार मत कर
– याशिका सूर्यवंशी