ऐसा लगता है कि यह देश में वह सबकुछ हो जाने का दौर है जो आज तक नहीं हुआ। हम खबरों की दुनिया में किसी भी घटना दुर्घटना के लिए ‘अभूतपूर्व’ शब्द का इस्तेमाल अकसर यूं ही कर लेते हैं। लेकिन इन दिनों जो हो रहा है वह सचमुच इस शब्द को सार्थक करने वाला है। और जिस गति से ऐसी ‘अभूतपूर्व’ घटनाएं हो रही हैं, उनके चलते लगता है, आने वाली पीढि़यों के लिए अब शायद ही ऐसा कोई घटनाक्रम बचे जिसके लिए वे इस शब्द का उपयोग कर पाएं।
ताजा मामला पश्चिम बंगाल के जादवपुर विश्वविद्यालय का है। जहां 19 सितंबर को एक केंद्रीय मंत्री को छात्रों ने इस कदर घेरा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया कि प्रदेश के राज्यपाल को उन्हें बचाने और उग्र छात्रों के बीच से निकाल कर लाने के लिए खुद विश्वविद्यालय जाना पड़ा। कुलाधिपति होने के नाते राज्यपाल अनेक अवसरों पर विश्वविद्यालयों में जाते रहते हैं। उनका विश्वविद्यालय परिसर में जाना कोई अनहोनी नहीं है, लेकिन 19 सितंबर 2019 को जादवपुर विश्वविद्यालय में सचमुच अनहोनी हुई, वहां जो भी घटा वह वास्तविक अर्थों में ‘अभूतपूर्व’ था।
मुझे याद नहीं पड़ता कि अपने चार दशकों के पत्रकारिता जीवन में मैंने ऐसा कभी सुना हो कि किसी विश्वविद्यालय परिसर में हालात इतने बिगड़ गए हों कि वहां एक केंद्रीय मंत्री को इस कदर घेर लिया जाए कि उसकी जान पर बन आए और छात्रों के गुस्से से बचाने के लिए राज्यपाल को आपदा राहत बल की तरह विवि परिसर में जाकर उस केंद्रीय मंत्री के लिए राहत और बचाव का काम करना पड़े। अब तक राज्यपालों के जिम्मे विश्वविद्यालयों के अकादमिक और प्रशासनिक कामकाजों को देखना ही रहा है, लेकिन लगता है आने वाले दिनों में उन्हें विवि परिसरों में इस तरह के राहत और बचाव की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ेगी।
जादवपुर विश्वविद्यालय में हुआ पूरा घटनाक्रम पश्चिम बंगाल की राजनीति में इन दिनों चले रहे घमासान में रंगा नजर आया। इस संबंध में 20 सितंबर को आया पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष का यह बयान बहुत कुछ कहता है कि जादवपुर विवि में राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की जरूरत है। वैसे तो बंगाल में पिछले लंबे समय से मुख्य राजनीतिक संघर्ष मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही चल रहा है, लेकिन जादवपुर में टकराव भाजपा और वामपंथियों के बीच हुआ है।
दिलीप घोष ने विवि परिसर में बाबुल सुप्रियो के साथ हुई घटना को लेकर मीडिया से जो कहा है वह बहुत कुछ संकेत देता है। वे बोले- ‘’जादवपुर विवि परिसर राष्ट्रविरोधी और वामपंथी गतिविधियों का गढ़ है। यह कोई पहली बार नहीं है, कि परिसर में ऐसी घटना हुई हो। जिस तरह हमारे सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक की थी, हमारे कार्यकर्ता उसी तर्ज पर विवि परिसर में बने राष्ट्रविरोधी तत्वों के शिविरों का ध्वस्त करने की कार्रवाई करेंगे।‘’
यानी जिस तरह वाम और दक्षिण का टकराव दिल्ली के जेएनयू में देखने को मिल रहा है, आने वाले दिनों में वैसा ही टकराव जादवपुर विवि में भी देखने को मिल सकता है। आपको याद होगा जेएनयू में भी बात कथित राष्ट्रविरोधी और आतंकवाद समर्थक तत्वों के विरोध से शुरू हुई थी और एक कार्यक्रम में लगाए गए नारों को लेकर ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ जैसा शब्द प्रचलन में आया था। वैसा ही घटनाक्रम अब जादवपुर में दोहराया जाने वाला है।
19 सितंबर को हुई घटना के मूल में भी वाम और दक्षिण का टकराव ही है। दरअसल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को, जो गायक भी हैं, एक कार्यक्रम के लिए वहां बुलाया था। आयोजन के लिए उनका निमंत्रण किसी राजनेता या मंत्री के नाते नहीं बल्कि गायक के नाते था। लेकिन विवि के वामपंथी छात्र संगठनों ने बाबुल के विरोध का ऐलान किया और बाबुल के वहां पहुंचने पर उनके खिलाफ नारेबाजी की और उन्हें काले झंडे दिखाए।
उग्र स्वभाव के बाबुल ने भी इस विरोध का उसी तर्ज पर जवाब दिया, जिससे बात बढ़ गई और कुछ लोगों ने बाबुल के साथ मारपीट कर उनके कपड़े तक फाड़ डाले। स्थिति गंभीर होने की सूचना मिलने पर विवि के कुलपति सुरंजन दास वहां पहुंचे और उन्होंने बाबुल से ऑडिटोरियम में चलने को कहा।
इसी दौरान बाबुल और कुलपति सुरंजन दास के बीच तीखी कहासुनी भी हुई। इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि- बाबुल ने कुलपति से कहा, राजनेता के अलावा भी मेरी अलग पहचान है, मैं जनता का चुना हुआ नुमाइंदा हूं, केंद्रीय मंत्री हूं आप मुझे रिसीव करने भी नहीं आए… कुलपति बोले- मुझे कार्यक्रम का न्योता नहीं दिया गया था। इस पर बाबुल ने कहा- ‘’मैं आपके कैंपस में आया हूं आपको रहना चाहिए था। आप जैसे लोगों के कारण ही बंगाल में अराजकता फैली हुई है। मुझे पक्का यकीन है कि आप वामपंथी हैं।‘’
खैर जैसे तैसे कार्यक्रम संपन्न करने के बाद बाबुल जब बाहर निकलने लगे तो विरोध करने वाले छात्रों ने उन्हें घेर लिया। धक्का मुक्की में उनका चश्मा गिर गया। बाबुल ने कुलपति से पुलिस बुलाने को कहा तो कुलपति ने इनकार कर दिया। इधर जब राज्यपाल जगदीप धनकड़ को घटना की खबर मिली तो पहले उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी और मुख्य सचिव से बात की और बाद में खुद बाबुल को बचाने विवि परिसर में पहुंच गए। राज्यपाल जब बाबुल को अपनी गाड़ी में बिठाकर बाहर ले जाने लगे तो उनकी गाड़ी को भी घेर लिया गया और उसे आगे नहीं बढ़ने दिया गया। करीब छह घंटे चले इस नाटक के बाद भारी पुलिस फोर्स की मदद से राज्यपाल बाबुल को लेकर वहां से निकल सके।
घटना के बाद बंगाल की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी और उनकी पार्टी ने जहां राज्यपाल के कदम की आलोचना की है वहीं भाजपा ने इसे उचित बताते हुए आरोप लगाया है कि विवि परिसर में बाबुल की हत्या की कोशिश की गई। आने वाले दिनों में यह घटना और तूल पकड़ेगी। बाकी बातों के अलावा इस पूरे घटनाक्रम का एक पक्ष यह भी है कि अभी तक मुख्य रूप से भाजपा-टीएमसी में चल रहे घमासान के बीच इस घटना ने वामपंथी दलों को भी चर्चा में ला दिया है। देखना होगा यह बात कितनी दूर तक जाती है और कौन, किस पर, कैसी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करता है।