कुछ समय पहले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान उनका दिया गया वह वक्तव्य बहुत चर्चा और विवाद में रहा था जिसमें उन्होंने कहा था कि मध्यप्रदेश की सड़कें अमेरिका की सड़कों से बेहतर हैं। अमेरिकी मीडिया से चर्चा करते हुए शिवराजसिंह चौहान ने कहा था- “जब मैं वाशिंगटन डीसी एयरपोर्ट पर उतरा और सड़क यात्रा कि तो मैंने महसूस किया कि मध्यप्रदेश की सड़कें अमेरिका से अच्छी हैं।”
इस मामले पर खूब बवाल मचा, लेकिन शिवराज अमेरिका से लौटने के बाद भी अपने कथन पर कायम रहे और भोपाल में उन्होंने मीडिया से कहा कि मध्यप्रदेश की सड़कें सचमुच अच्छी हैं। वे यह कहने से भी पीछे नहीं रहे कि मैं वहां (अमेरिका) मध्यप्रदेश की खूबियां बताने गया था, खामियां नहीं। मेरी सरकार ने करीब 1.75 लाख किलोमीटर सड़कें बनाई हैं और राज्य के सभी गाँवों को सड़कों से जोड़ दिया है।
राज्य की सड़कों की इतनी तारीफ होने की इस पृष्ठभूमि में बुधवार को राजधानी के एक बड़े अखबार ने पहले पन्ने पर एक चौंकाने वाली खबर प्रमुखता से छापी जिसका शीर्षक था- ‘’सड़कों के नाम पर पेट्रोल-डीजल पर 50 पैसे सेस लगाने की तैयारी’’ खबर कहती है कि यह शुल्क लगाने से सरकार को हर साल 200 करोड़ रुपए मिलेंगे, जिनका इस्तेमाल सड़क निर्माण में किया जाएगा।
खबर के मुताबिक ‘’कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग की बैठक में कहा था कि विधायक मेरे पास आकर रोते हैं। उनकी मांग के अनुसार कुछ सड़कें तो बनाई जाएं। इस पर विभाग ने दो हजार करोड़ रुपए की जरूरत बताई थी। सरकार को उम्मीद है कि पेट्रोल-डीजल पर सेस लगाकर ही पैसा जुटाया जा सकता है।‘’
और बुधवार को ही हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला कर लिया गया कि पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर 50 पैसे का शुल्क वसूला जाएगा। वैसे ईंधन की सर्वाधिक कीमतों के लिए मध्यप्रदेश पहले से ही बदनाम रहा है। 13 अक्टूबर 2017 को केंद्र सरकार के कहने पर मप्र सरकार ने डीजल पर 5 फीसदी और पेट्रोल पर 3 प्रतिशत वैट घटाया था। लेकिन सरकार अभी भी पेट्रोल पर 4 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 3 रुपए प्रति लीटर अतिरिक्त वसूल रही है।
अब सरकार ने जो 50 पैसे का शुल्क लगाया है उसके कारण मध्यप्रदेश में पेट्रोल पर ली जाने वाली अतिरिक्त राशि साढ़े चार रुपए प्रति लीटर और डीजल पर ली जाने वाली राशि साढ़े तीन रुपए प्रति लीटर हो जाएगी। यानी हर मामले में अव्वल रहने की चाह रखने वाला अपना मध्यप्रदेश ईंधन के दामों की अधिकता के मामले में भी अव्वल रहेगा।
इसमें कोई दो राय नहीं कि सड़कें विकास की बुनियादी जरूरत हैं। उन्हें आधुनिक विकास की धमनियां भी कहा जाता है। इसलिए इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि सड़कों का अधिक से अधिक निर्माण होना चाहिए। वे सारे इलाके सड़क मार्गों से जोड़े जाने चाहिए जो अभी इससे वंचित हैं। इससे उन इलाकों में भी विकास की धारा पहुंच सकेगी, जो अभी तक सड़क संपर्क न होने से पिछड़े हुए हैं।
लेकिन सवाल यह है कि इसके लिए आखिर जनता का कितना खून चूसा जाएगा। सड़कों के निर्माण के लिए कई मदों से पैसा आता है। लोक निर्माण विभाग का बजट तो अपनी जगह है ही, उसके अलावा प्रधानमंत्री सड़क योजना और मुख्यमंत्री सड़क योजना में भी राशि आवंटित होती है। नगरीय निकाय अलग से इस गतिविधि को अंजाम देते हैं। उसके अलावा प्रदेश में रजिस्टर होने वाले प्रत्येक वाहन से रोड टैक्स वसूला जाता है। टोल नाके पैसा वसूल ही रहे हैं। तो आखिर सरकार सड़कों के निर्माण के लिए कितनी कितनी जगह से पैसा वसूलेगी।
पेट्रोल डीजल चूंकि बुनियादी आवश्यकता हैं इसलिए सरकारें उन्हें जनता को निचोड़ लेने का बहुत आसान जरिया समझने लगी हैं। मनमाने तरीके से इनके दामों में बढ़ोतरी और जब चाहे इन पर कोई भी शुल्क लगा देना सरकारों ने ढर्रा बना लिया है। इसका हिसाब किताब कोई नहीं देता कि ये जो अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है, उसका संबंधित उद्देश्य के लिए आखिर कितना उपयोग हुआ?
और सड़कों की भी मत पूछिए। रो धो कर यदि सड़कें बना भी दी जाएं तो वास्तविकता में वे सड़कों के नाम पर कलंक ही होती हैं। सड़क बनाने के नाम पर जो होता है वह किसी से छिपा नहीं है। कुछ गिट्टी छिड़क कर और कुछ तारकोल पोतकर अनुष्ठान पूरा कर लिया जाता है। ऐसे ठेके भी चहेतों को ही दिए जाते हैं। जनता की गाढ़ी कमाई से वसूली गई राशि इस तरह अपने लोगों की जेबें भरने के काम आती हैं, बस..
सरकार यदि सड़क निर्माण के मामले में इतनी ही गंभीर है तो पेट्रोल और डीजल पर यह जो अतिरिक्त राशि वसूलने का उसने फैसला किया है उसकी पाई पाई का हिसाब अलग से एक वेबसाइट के जरिए जनता को पूरी पारदर्शिता से बताया जाए। जैसाकि अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वसूली से सरकार के खजाने में करीब 200 करोड़ रुपए आएंगे, तो वे 200 करोड़ किस इलाके की कौनसी सड़क बनाने पर खर्च हुए, यह बात जनता को क्यों नहीं बताई जानी चाहिए?
लेकिन नीयत में खोट तो पहले निवाले से ही दिखने लगा है। यकीन न आए तो वह आधिकारिक जानकारी देख लीजिए जो सरकार ने ईंधन पर 50 पैसे प्रति लीटर के नए अतिरिक्त शुल्क की वसूली को लेकर दी है। यह जानकारी कहती है- ‘’मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश मोटर स्प्रिट उपकर अध्यादेश 2018 तथा मध्यप्रदेश हाई स्पीड डीजल उपकर अध्यादेश 2018 का अनुमोदन किया गया।‘’
अरे, जब आप में खुले तौर पर यह बताने की हिम्मत नहीं है कि आप जनता की जेब से प्रति लीटर 50 पैसे अतिरिक्त वसूलने जा रहे हैं, तो क्या खाक उम्मीद की जाए कि आप यह बताने की जहमत उठाएंगे कि इस तरह वसूली गई राशि का आपने आखिर क्या किया?