कोरोना दोहे…

ओम वर्मा

करो नमस्ते दूर से, नहीं मिलाना हाथ।
वरना दुनिया से कहीं, छूट न जाए साथ॥

कोरोना में बस यही, इक गुण मिला महान।
इसकी नज़रों में सभी, होते एक समान॥

मंदिर मस्जिद बंद हैं, गिरजे भी हैं बंद।
ईश न खोजो, पूज लो, चिकित्सकों का वृंद॥

इक मामूली जीव से, फैली जग में पीर।
लेकिन भाईजान को, दिखता बस कश्मीर॥

हुआ कलंकित आज क्यों, शहर एक इंदौर।
क्या इस पर भी भक्त गण, फरमाएँगे गौर॥

हर ग़लती से सीख ले, हे मानव कुछ पाठ।
रोम बसाने युग लगे, मिटने में दिन आठ॥

जब तक दुनिया में रहे, कोरोना का ज़ोर।
सुनें सियासतदान सब, तजें विरोधी शोर॥

तन्हाई में आलिया, तन्हा हैं अमिताभ।
नहीं दे सकी दौलतें, बड़ों बड़ों को लाभ॥

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