क्या नगों की भी एक्सपायरी डेट होती है?

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बलदेव राज

यह बात सुनने में अटपटी लग सकती है और जिन्होंने 10 – 20 साल से एक ही नग अंगूठी या पैंडेंट में पहना हुआ है , उन्हें यह पढ़ कर थोड़ा अचरज भी हो सकता है कि दवाइयों या खाद्य वस्तुओं की तो एक्सपायरी डेट हो सकती है परंतु किसी रत्न की कैसे? क्‍या यह कोई खाने की चीज है? जैसे खाद्य वस्तुओं में डेट, वेट और रेट का महत्व है ठीक वैसे ही नगों के विशय में भी ये तीनों  बातें जाननी आवश्यक हैं परंतु थोड़े अलग संदर्भ में।
चाहे आप कार रखें या टीवी या फ्रिज या ऐसी ही कोई आयटम जिसका उपयोग प्रतिदिन हो रहा हो वह घिसती अवश्य है ओर उसकी कार्यक्षमता  भी दिन प्रतिदिन  कम होती जाती है। और आप एक दिन उसे बदल कर नया ले आते हैं। एक प्रकार से उसका नवीनीकरण हो जाता है परंतु कार की जगह कार ही लेते है, और फ्रिज के स्थान पर फ्रिज ।
इसी प्रकार जो भी रत्न हम धारण करते हैं,  वह दिन प्रतिदिन घिसता रहता है । वैज्ञानिक दृष्टि से हर नग अपने अंदर कुछ नकारात्मक ऊर्जा शरीर से , बाहरी वातावरण से ग्रहण करता रहता है और अपने में संजोए रहता है। एक नग ग्रहों की विशेष रश्मियों एवं तरंगों को एकत्रित करके मनुष्य के शरीर में स्नायु तंत्र के माध्यम से प्रवेश करवा कर उसके शरीर को अनुकूल बनाता है। आपने देखा होगा या कभी अनुभव भी किया होगा कि कई बार नग स्वयं टूट जाते हैं या उनमें पहने पहने दरारें आ जाती हैं। ऐसा कहीं टकराने से भी हो सकता है और कभी कभी  अच्छे नग आपकी मुसीबत अपने उपर लेकर तिड़क भी जाते हैं। ये रक्षा क्वच की तरह भी काम करते है। जैसे कई बार आपने देखा होगा कि आपका पालतू कुत्ता कई मुसीबतें अपने ऊपर ले लेता है। स्वयं बीमार हो जाता है, आपको नहीं होने देता। या कभी कभी आपकी रक्षार्थ अपनी जान दे देता है। या कई बार रत्न का रंग फीका पड़ गया। यह दो कारणों से हो सकता है। पहला तो यह कि आपका नग असली नहीं अपितु हीट ट्र्ीटमेंट से रंगा हुआ है। दूसरा यह कि अशुभ ग्रह का प्रभाव नग ने अपने अंदर ले लिया है ।
जैसे मोबाईल का डैटा कुछ दिनों बाद इतना अधिक हो जाता है और  आपका मोबाइल हैंग होने लगता है अर्थात जैसा काम वह पहले दिन करता था उतना एक साल बाद नहीं करता और आप उसे बेच कर नया ले लेते हैं। इसी प्रकार पत्थर ही सही परंतु कुछ दिनों बाद ये अपने आकर्षण के साथ साथ अपनी उपयोगिता भी खो देते हैं। इनकी अपनी शक्ति का ह्यास होता जाता है।
यदि आपने पांच वर्ष पूर्व कोई मोती पहना हो तो उसे गौर से देखें तो पता चलेगा कि वह कई जगह से घिस चुका है और उसी अंगूठी में गोल गोल घूम रहा होगा। कारण यह है कि मोती पहनने की आयु सीमा सबसे कम ढाई साल निर्धारित की गई है।यह सबसे अधिक जल्दी घिस जाता है। यदि आपको मोती सारी उम्र पहनने के लिए कहा गया है तो इसे ढाई- तीन साल में बदलवा लिया करें। अन्यथा यह काम कुछ नहीं करेगा बस उंगली में सजावटी आईटम बनकर ही रह जाएगा।
इसी प्रकार रत्न शास्त्र के अनुसार माणिक्य- 4 वर्ष, मूंगा -3, पन्ना -4, पुखराज-4, हीरा -7,नीलम-5, गोमेद और लहसुनिया 3 – 3 साल के बाद बदल देने चाहिए।
परिवार में किसी भी रत्न की आपस में एक दूसरे  से अदला बदली नहीं करनी चाहिए भले  ही  वे भाई – बहन, मां -बेटे , पति- पत्नी या निकट संबंधी ही क्यों न हों । अपना उतरा हुआ नग किसी और को नहीं पहनाना चाहिए। आपकी शुभता अथवा अशुभता लिए यह रत्न किसी को नुक्सान पहुंचा सकता है । इसे जल प्रवाह कर देना चाहिए।  अच्छे ज्यूलर्स कभी एक बार पहना हुआ नग वापस नहीं लेते।  बार बार इसे उतारना भी नहीं चाहिए। यदि किसी एलर्जी के कारण उतारना पड़ जाए या अंगूठी की एडजस्टमेंट के लिए किसी कारीगर को देनी ही पड़ जाए तो पुनः प्राण प्रतिष्ठा करवा के ही धारण करना चाहिए। खंडित नग कभी नहीं पहनना चाहिए।    सदा अच्छे ज्योतिषी से परामर्श करना चाहिए जिसे रत्न विज्ञान के अतिरिक्त जन्म पत्रिका विशलेषण का भी अच्छा ज्ञान तथा अनुभव हो

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