भारत को आर्थिक दृष्टि से दुनिया भर में एक मजबूत देश बनाने वाले भविष्यदृष्टि बजट के बावजूद देश का अर्थजगत सदमे में है। कारण! मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी के पैरों के नीचे से जमीन लगातार खिसक रही है। गुरुवार को गौतम अडानी विश्व के सबसे अमीर लोगों की सूची में एक पायदान और नीचे खिसक गए हैं। अब वह 16 वें नंबर पर हैं। जबकि सप्ताह भर पहले वह दुनिया के तीसरे रईस थे।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद गौतम अडानी और उनका समूह भारी परेशानी में है। संकट भी ऐसा जो रोज बढ़ता ही जा रहा है। गुरुवार को एक बार फिर समूह के शेयरों में जबरदस्त बिकवाली हुई। दबाव का आलम यह था, कि बाजार बंद होते समय ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज के 41 लाख 94 हजार 376 शेयर बिकने की कतार में थे, पर खरीददार कोई नहीं था। वह भी बुधवार की तुलना में 26.7 फीसदी गिरने के बाद।
गुरुवार को अडानी इंटरप्राइजेज का शेयर 570 रुपए गिरा। ऐसा ही हाल ग्रुप की अन्य कंपनियों का रहा। एक ही दिन में उनकी संपत्ति 27.10 प्रतिशत कम हो गई है। उन्हें 24 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। उनकी संपत्ति अब 64.6 बिलियन डॉलर है। 24 जनवरी 2022 के बाद सिर्फ आठ ट्रेडिंग दिनों में गौतम अडानी के समूह को कुल 46 प्रतिशत की चपत लगी है। यह घाटा आठ लाख करोड़ से भी ज्यादा है।
संकट के बादल
शेयर बाजार को किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर माना जाता है। ऐसे में अगर अडानी समूह पर संकट बढ़ता है तो उसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने का अंदेशा है। खासकर बैंकों को भारी खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। शेयर बाजार सेंटीमेंट के साथ चलता है। जब बाजार में कीमतें गिरनी शुरू होती हैं तब वह कब थमेंगी, कोई नहीं जानता। ऐसे में कई बार पूरा बाजार ही मंदी की गिरफ्त में आ सकता है। सन् 2008 के सब प्राइम संकट और हर्षद मेहता के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ था ।
निगाहें नियामक पर
बाजार के विशेषज्ञों की निगाहें अब बाजार नियामक पर हैं। उनका कहना है, नियामक को अब देर नहीं करनी चाहिए। बाजार नियामक सेबी और रिजर्व बैंक को तुरंत एक्शन में आना चाहिए। दोनों की नजर समूह पर है तो, लेकिन अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बाजार विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि समूह की कई कंपनियाँ वायदा एवं विकल्प खंड में हैं और निफ्टी एवं सेंसेक्स का भी हिस्सा हैं। इसे देखते हुए देरी नहीं करनी चाहिए।
समूह पर कर्ज
ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए के अनुसार समूह की पांच कंपनियों पर कुल कर्ज 2 लाख 10 हजार करोड है। यह कंपनियाँ हैं, अडानी इंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट, अडानी पावर, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी ग्रीन। कुल उधार का लगभग 39 प्रतिशत भारतीय बैंकों का है। यह रकम लगभग 80 हजार करोड़ है। सभी उधारदाता समूह पर बारीक नज़र बनाए हुए हैं।
बैकों के पास विकल्प
बैंक किसी भी कंपनी को लोन देते समय ग्यारंटी के रूप में दो तरह की संपत्तियाँ गिरवी के रूप में रखते हैं। एक, कंपनी की भौतिक पूंजीगत संपत्ति। इसमें बिल्डिंग मशीनरी आदि आती है। दूसरा, कंपनी के शेयरों के बदले में दिया जाने वाला कर्ज। यह आम तरीका है। अब जब कंपनी के शेयरों की कीमत गिरती है तो बैंक गिरी हुई कीमत की भरपाई के लिए और संपत्ति की मांग करते हैं।
एक उदाहरण से समझें। किसी कंपनी ने 100 रुपए के शेयर गिरवी रखकर कर्ज लिया। अब शेयर की कीमत 80 रुपए रह जाती है। ऐसी स्थिति में बैंक कंपनी से 20 रुपए के शेयर या संपत्ति की मांग रखेगा। यहाँ पर अडानी समूह के साथ समस्या यह है, कि कीमत शेयरों की लगातार तेजी से गिर रही है। जाहिर है उसी अनुपात में बैंक अधिक कोलेटरल की मांग रखेंगे। अगर अडानी ग्रुप ज्यादा शेयर या संपत्ति नहीं दे पाते हैं तब बैंक पहले से उनके पास मौजूद शेयरों को बेच सकते हैं। खतरा यह है ऐसी परिस्थिति में शेयरों की कीमतों पर ज्यादा दवाब पड़ेगा।
बढ़ती परेशानियाँ
गौतम अडानी की समस्याएं घटने के बजाय बढ़ती जा रही हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद जैसे तैसे अडानी इंटरप्राइजेज का एफपीओ तो भर गया लेकिन अगले ही दिन स्विटजरलैंड के इन्वेस्टमेंट बैंकर और ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुईस ने खुद के ग्राहकों के पास मौजूद अडानी ग्रुप के बांड को मान्यता देने से इंकार कर दिया। जबकि बांड को नकदी की तरह से माना जाता है। बाजार ने इस खबर पर तीखी प्रतिक्रिया दी और अच्छे बजट के बावजूद शेयर बाजार में हड़कंप मच गया। अब ताजा खबर है, कि रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे अडानी समूह को दिए गए ऋण का ठीक से आकलन करें।
मूल्यांकन की समस्या
अडानी ग्रुप के शेयरों का मूल्यांकन अभी भी आसमान पर है। सिर्फ उन कंपनियों को छोड़कर जिन्हें समूह ने हाल ही में अपने साथ जोड़ा है। इनमें सीमेंट कंपनी एसीसी, गुजरात अंबुजा और मीडिया कंपनी एनडीटीवी शामिल हैं। उदाहरण के लिए गिरे हुए भाव पर भी प्रमुख कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज गुरुवार को प्रति शेयर कमाई के 313 गुने पर अथवा बुक बेल्यू के नौ गुना कीमत पर कारोबार कर रही थी। यही हाल अडानी ग्रीन एनर्जी का है उसका गुरुवार का बंद भाव था 1039.85 यानी अपनी बुक बैल्यू से 70 गुने से भी ज्यादा। ऐसा ही हाल समूह की बाकी कंपनियों का भी है।
निवेशकों को सलाह
जब तक समूह को लेकर चीजें साफ नहीं होती, छोटे निवेशक अडानी समूह (एसीसी, अंबुजा सीमेंट, एनडीटीवी को छोड़कर) के शेयरों से दूर ही रहें। गिरते बाजार में लालच में न फंसे। अगर आपके पास शेयर हैं तो घबराकर बेचें भी नहीं। इंतजार करें। लेकिन प्रत्येक उछाल पर निकलने का प्रयास करें। (ज्ञानेश पाठक)
(मध्यमत)
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