भारतभूषण आर. गांधी

आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में दुपहिया वाहन सबसे बड़े प्रदूषक बने हुए हैं। शहरों में दुपहिया वाहनों की बढ़ती तादाद वायु प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण बनी हुई है। हालांकि चार पहिया वाहनों को प्रदूषण फैलाने के आरोपों से मुक्त नहीं किया जा सकता, लेकिन दुपहिया वाहनों पर तो प्रदूषण के अलावा भी कई आरोप लगाए जा सकते हैं।

गंभीर सड़क दुर्घटनों में भी दुपहिया वाहन पहले नंबर पर आते हैं। खबरें छपती हैं कि कार ने दुपहिया को टक्कर मारी, ट्रक ने मोटर साइकिल को कुचला आदि। यही नहीं दिन ब दिन विस्तार लेते सारे नगरों में जिस प्रकार से दुपहिया वाहनों की तादाद बढ़ रही है, वो और भी कई समस्याओं की जनक होती जा रही है। गांवों में सभी प्रकार के वाहन चाहे दुपहिया हो, चार पहिया वाहन हों, ट्रैक्टर हो या हार्वेस्टर हों सभी तरह के वाहन लोग अपने आँगन या अपनी जमीन पर ही रखते हैं। लेकिन शहरों में मकानों के सिमटते आकार और बिना आँगन वाले घरों के बाहर जहां देखो दुपहिया और कार सड़क पर रखे मिलते हैं।

देश भर में शहरी प्रशासन की अनदेखी या जानबूझकर लापरवाही के कारण यह समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। लोगों अपनी सुख सुविधा का दायरा सुरसा के मुंह कि तरह लगातार और ज्यादा और ज्यादा बढ़ाते जा रहे हैं। शहरों में सड़कों पर दुपहिया वाहन चलाने वालों में कम उम्र के बच्‍चों और महिलाओं की संख्‍या भी बढ़ती जा रही है। और ये वर्ग ऐसा है जिसे यातायात के नियमों का जरा सा भी ज्ञान नहीं है। ये लोग रोजाना सड़क पर छोटे मोटे झगड़ों का कारण भी लगातार बने हुए हैं।

एक बड़ी समस्‍या दुपहिया वाहनों लगे साइड स्‍टैंड की है। ये साइड स्टैन्ड ही हैं जिनके कारण बच्चे और महिलाओं सहित लगभग 95 फीसदी लोग अपना वाहन चाहे जहां, चाहे जैसे टिका देते हैं। चाट के ठेलों और दुकानों के सामने इस तरह मनमर्जी के वाहन साइड स्टैन्ड लगाकर खड़े देखे जा सकते हैं। बैंक और कई दफ्तरों के सामने भी दुपहिया वाहन बड़ी तादाद में ऐसे ही खड़े कर दिए जाते हैं। ऐसे में यदि साइड स्टैन्ड हटा दिए जाएं तो खासतौर से बच्चे हर कहीं पार्किंग नहीं कर सकेंगे क्योंकि भारी मोटर साइकिल को बिना साइड स्टैन्ड के पार्क करने में उन्हें नानी याद या जाएगी। वहीं महिलायें भी सोच समझकर दुपहिया वाहनों का इस्तेमाल करेंगीं।

आवश्यकता आविष्कार की जननी है और नवाचार की भी, लेकिन दुपहिया वाहनों के आविष्कार के बाद साइड स्टैन्ड की सुविधा का नवाचार अगर समस्याओं को बढ़ाने लगा है तो इस पर लगाम लगाकर गलती को सुधारा भी तो जा सकता है।(मध्यमत)
डिस्‍क्‍लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता, सटीकता व तथ्यात्मकता के लिए लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए मध्यमत किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है। यदि लेख पर आपके कोई विचार हों या आपको आपत्ति हो तो हमें जरूर लिखें।

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