भोपाल/ मध्यप्रदेश में एक तरफ जहां राजनीतिक उठापटक चल रही है वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक हलकों में भी उठापटक का दौर जारी है। विधायकों की खरीद फरोख्त की खबरों और सरकार बचाने की कोशिशों के बीच ही गुरुवार को राज्य के पुलिस महानिदेशक को बदल दिया गया। सरकार ने कई दिनों से चल रही ऊहापोह को खत्म करते हुए आनन फानन में वीके सिंह को पुलिस महानिदेशक पद से हटाते हुए विवेक जौहरी को प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक बनाने के आदेश जारी कर दिए। लेकिन अब बड़ा सवाल यह है कि क्या विवेक जौहरी प्रदेश के नए डीजीपी की कुर्सी पर बैठने को तैयार होंगे?
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि लंबे समय से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चल रहे विवेक जौहरी इस समय सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के महानिदेशक हैं। 1984 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी विवेक जौहरी को तेज तर्रार और काम से काम रखने वाले अधिकारी के रूप में जाना जाता है। वे मध्यप्रदेश मे इंटेलीजेंस के एडीजी रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने केंद्र में सीबीआई और रॉ जैसे संस्थानों में भी लंबे समय तक सेवाएं दी हैं। उनका नाम पहले भी प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के लिए चला था लेकिन बाद में उन्हें केंद्र में ही बीएसएफ के महानिदेशक जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी गई।
विवेक जौहरी का सेवाकाल इसी साल सितंबर तक है। यानी यदि वे आज प्रदेश के पुलिस महानिदेशक बनते हैं तो इस पद पर सिर्फ छह माह ही रह पाएंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ इतनी सी अवधि के लिए वे दिल्ली की महत्वपूर्ण पोस्टिंग छोड़कर मध्यप्रदेश आना चाहेंगे? वैसे जौहरी मूलत: मध्यप्रदेश के ही हैं और उनका परिवार भोपाल में ही निवास करता है लेकिन उनकी सेवा का बहुत बड़ा हिस्सा दिल्ली में ही बीता है इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि वे भोपाल आने के लिए शायद ही इच्छुक हों। खासतौर से मध्यप्रदेश में जिस तरह की राजनीतिक उठापटक का दौर चल रहा है उसमें जौहरी जैसे काम से काम रखने वाले अधिकारी की रुचि पुलिस महानिदेशक जैसा संवेदनशील पद संभालने में कम ही होगी। उनका आना इस बात पर निर्भर करेगा कि वे अपने लिए केंद्र और राज्य के स्तर पर अपना भविष्य क्या देखते हैं?
जौहरी यदि केंद्र में ही रहते और यहां नहीं आते तो उनके लिए बीएसएफ के महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद दिल्ली में ही किसी नई जिम्मेदारी की संभावनाएं ज्यादा हैं बनिस्बत मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में। चूंकि वे विवादास्पद अधिकारी नहीं रहे हैं इसलिए हो सकता है मोदी सरकार उन्हें दिल्ली में ही कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दे। लेकिन छह माह के लिए मध्यप्रदेश का पुलिस महानिदेशक बनकर सेवानिवृत्त होने के बाद भोपाल में उनके लायक जिम्मेदारी के अवसर कम ही होंगे। इसलिए वे भोपाल आना तभी चाहेंगे जब तक कि खुद दिल्ली को छोड़ देने का फैसला न कर लें या वहां अपने लिए कोई भविष्य न देखें, जिसकी गुंजाइश बहुत कम है।
ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश सरकार भी विवेक जौहरी को लेकर कोई बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं है। शायद इसीलिए गुरुवार को जब उन्हें राज्य का नया पुलिस महानिदेशक बनाए जाने के आदेश जारी किए गए तो उसमें एक पेंच डाल दिया गया। यह पेंच था विवेक जौहरी के पदभार ग्रहण करने तक राज्य के स्पेशल डीजी और एसआईटी चीफ राजेंद्र कुमार को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपना। राजेंद्र कुमार ने शुक्रवार को वीके सिंह से डीजीपी का पदभार ग्रहण भी कर लिया। वीके सिंह को सरकार ने राज्य का नया खेल एवं युवा कल्याण संचालक बनाया है।
वैसे सरकार खुद राजेंद्र कुमार को ही नया डीजी बनाना चाहती थी। इसके संकेत काफी पहले से मिल रहे थे। लेकिन यूपीएससी की ओर से भेजे गए पैनल में विवेक जौहरी का भी नाम होने और उनकी लिखित सहमति न मिलने से मामला उलझ गया था। चूंकि सरकार वीके सिंह की कार्यप्रणाली से खुश नहीं थी इसलिए उसने अपनी पसंद के किसी अफसर को इस पद पर बैठाने का मन बनाया था। यूपीएससी पैनल में जिन तीन अफसरों के नाम थे उनमें वीके सिंह, विवेक जौहरी और मैथिलीशरण गुप्त शामिल थे। चूंकि राजेंद्र कुमार का नाम पैनल में नहीं था इसलिए उसका तोड़ आदेश में यह लिख कर निकाला गया कि विवेक जौहरी के पदभार ग्रहण करने तक राजेंद्र कुमार पुलिस महानिदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार देखेंगे।
यह शायद पहली बार होगा कि प्रदेश में पुलिस महानिदेशक जैसा महकमे का सर्वोच्च पद का कामकाज कोई अफसर अतिरिक्त प्रभार के रूप में देखेगा। विवेक जौहरी यदि दिल्ली से नहीं लौटते तो राजेंद्र कुमार पद पर बने रहेंगे। संयोग से राजेंद्र कुमार का सेवाकाल इसी साल अगस्त तक का है जबकि विवेक जौहरी का इसी साल सितंबर तक का। यानी चंद महीनों के भीतर सरकार को नया पुलिस महानिदेशक खोजने की कवायद फिर से करनी ही पड़ेगी। और यदि सरकार राजेंद्र कुमार को ही बनाए रखने में रुचि रखती होगी तो वह उनकी सेवावृद्धि का प्रस्ताव भी केंद्र को भेज सकती है, पर उस स्थिति में सब कुछ केंद्र के रवैये पर निर्भर करेगा।