क्‍या अरुण यादव को एक और मौका मिलने वाला है?

अरविंद तिवारी

0  बड़े नौकरशाहों के बीच इन दिनों एक शब्द बड़ा कॉमन हो गया है और वह है पेड हॉलिडे। मंत्रालय हो या पुलिस मुख्यालय, ऐसे कई विभाग हैं जिनमें कोई काम ही नहीं है। यहां पदस्थ अफसर कहने लगे हैं कि हम तो इन दिनों जिंदगी के मजे ले रहे हैं। दरअसल इन विभागों में सरकार ने बहुत वरिष्ठ अधिकारियों को पदस्थ तो कर दिया पर उनके पास कोई काम नहीं है। ये अफसर इन दिनों लगभग बिना काम के तनख्वाह ले रहे हैं। इनमें से कई अपनी सेहत सुधारने में लगे हैं तो कई धर्म और समाज की गतिविधियों में समय दे रहे हैं। कुछ सुबह शाम अरेरा क्लब में टेनिस खेल रहे हैं तो कुछ योग गुरु की शरण में चले गए हैं और खेती के नए नुस्खों पर काम कर रहे हैं।

0  अरुण यादव को एक मौका और मिलने वाला है और कहा तो यह जा रहा है कि यह मौका यादव के कारण ही आया है। उनके खासमखास मांधाता के विधायक नारायण पटेल भाजपा में चले गए हैं, अच्छी खासी फीस वसूलने के बाद। मांधाता बड़वाह से लगा हुआ विधानसभा क्षेत्र है और अरुण के पुराने संसदीय क्षेत्र खंडवा का एक हिस्सा है। भाजपा का टिकट तो पटेल के ही खाते में जाएगा, लेकिन कांग्रेस से कौन लड़ेगा इसका फैसला होने में अरुण यादव की भूमिका अहम रहेगी। हो सकता है कि यादव खुद मैदान में आना पसंद करें। वैसे यहां से एक बार फिर राज नारायण सिंह या उनके बेटे उत्तम पाल सिंह को विधायक के रूप में देखना कमलनाथ का एक सपना है।

0  मध्यप्रदेश माध्यम में बकाया अपना करीब 40 करोड रुपये का भुगतान प्राप्त करने के लिए मुकेश श्रीवास्तव मुख्यमंत्री सचिवालय में तो कोई मददगार नहीं ढूंढ पाए लेकिन संकट के समय में अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने जरूर उनकी मदद कर दी। यह मदद भी मुकेश ने अपनी परंपरागत शैली में हासिल की है। मुकेश का पर्दाफाश करने में लगे लोगों को आश्चर्य इस बात पर है कि आखिर कांग्रेस सरकार के दौर में मध्यप्रदेश में स्थापित हुए इस शख्स को शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल में इतनी मदद किसके इशारे पर मिल रही है। वैसे मुख्यमंत्री तक यह बात पहुंच चुकी है कि मुकेश को जो 40 करोड़ रुपये का भुगतान होना है उसमें से 80 फीसदी से ज्यादा कागजों पर हुए काम का है।

0  संजय द्विवेदी के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) का डायरेक्टर बनाए जाने के बाद माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नया कुलपति बनाया जाना है। यह भी तय है कि कुलपति संघ की पसंद का ही होगा। जब संघ की पहली पसंद की बात आती है तो निगाहें घूम फिर कर सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी पर टिक जाती हैं। अब मुद्दा यह है कि क्या तिवारी सूचना आयुक्त का पद छोड़कर कुलपति बनना पसंद करेंगे तो पहला जवाब यह मिलता है कि यहां का कुलपति बनना उनका एक सपना है। वैसे कुलपति पद की दौड़ में दूसरा नाम भी बहुत वजनदार है और यह है उदय माहुरकर का जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्लू आईड हैं।

0  यह तो मानना पड़ेगा की शिवशेखर शुक्ला बहुत किस्मत वाले हैं। आईएएस अफसरों की पदस्थापना के  पिछले 15 साल के इतिहास को खंगाला जाए तो शुक्ला के खाते में कभी भी लूप लाइन दर्ज नहीं है। अलबत्ता 23 विभागों का अतिरिक्त प्रभार ही उनके पास रहा। नई सरकार में उन्हें संघ की पसंद का संस्कृति विभाग तो मिला ही था अब जल संसाधन जैसा भारी-भरकम महकमा भी उनके खाते में दर्ज हो गया। इधर डीपी यानी देवेंद्रपाल आहूजा को हर विभाग में नेताओं से पंगा लेने का खमियाजा राजभवन की पदस्थापना के रूप मे भुगतना पड़ा।

0  बुरहानपुर के विधायक सुरेंद्र सिंह यानी शेरा भैया इंदौर के मामलों में भी अच्छी खासी रुचि लेने लगे हैं। जब कांग्रेस की सरकार थी तब उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग कर खजराना क्षेत्र के जमीन से जुड़े कुछ लोगों की खूब मदद की। ये लोग जमीन से जुड़े मामलों में मुख्यमंत्री के माफिया अभियान की चपेट में आ गए थे। अब शेरा भैया ने स्कीम 140 में बन रही इंदौर विकास प्राधिकरण की बहुमंजिला इमारत में विधायक कोटे से एक शोरूम लेने के लिए टेंडर भर दिया और निर्णय भी उनके ही पक्ष में हुआ। इतनी महंगी दुकान और जमीन के कामकाज से जुड़े लोगों की बुरे वक्त में मदद। पता करिए कहीं इसमें कोई तारतम्यता तो नहीं।

0  कहने को भाजपा से संघ में वापसी के बाद अतुल राय भले ही लूप लाइन में हों लेकिन उनका जलवा बरकरार है। मध्यप्रदेश भाजपा के सर्वशक्तिमान सुहास भगत आज भी अपने प्रिय शिष्य को उतनी ही तवज्जो देते हैं जितनी भाजपा में उनके संगठन महामंत्री रहते हुए दिया करते थे। राय भी अपने गुरु के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं और इन दोनों की युति इन दिनों मध्य प्रदेश भाजपा के कई बड़े फैसलों में अहम भूमिका निभा रही है। बात ज्यादा विस्तार से समझना हो तो थोड़ी अपनी आवाजाही वहां बढ़ाइये जहां इन दिनों राय का मुख्यालय है।

0  एमपीसीए यानी मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के कर्ताधर्ता उस घड़ी को जरूर कोस रहे होंगे जब अशोक जगदाले, नरेंद्र मेनन और सुनील लाहोरे जैसे खांटी क्रिकेटरों के बजाय उन्होंने मुर्तुजा अली, प्रशांत द्विवेदी और योगेश गोलवलकर को एमपीसीए की क्रिकेट कमेटी में स्थान दिया। मेनन और जगदाले से तो उनके घर जाकर क्रिकेट कमेटी की दावेदारी वापस करवाई गई थी। अब क्रिकेट कमेटी के यह 3 सदस्य एमपीसीए के पदाधिकारियों को सरेआम चुनौती दे रहे हैं और उन्होंने उन निर्णयों से पल्ला झाड़ लिया है जो उनकी सहमति से लिए जाना बताए गए थे। इनमें से एक चंद्रकांत पंडित की मध्यप्रदेश क्रिकेट टीम के कोच के रूप में नियुक्ति का मामला भी है।

-चलते चलते-

0 मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी को लेकर कमलनाथ बहुत आशान्वित हैं। उनके इस कॉन्फिडेंस का कारण वह सर्वे है जो कांग्रेस को 20 से ज्यादा सीट पर जीत दिलवा रहा है। जरा पता तो करिए कि आखिर यह सर्वे किया किसने है।

0 उपचुनाव के लिए कांग्रेस को 25 करोड रुपये का फंड चाहिए और इसके लिए जिसका गला दबाया गया है वह पहले ही पानी मांग चुका है।

अब बात मीडिया की

0 एक एनजीओ से जुड़े आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले में दैनिक भास्कर के स्टेट हेड अवनीश जैन कभी भी एमडी सुधीर अग्रवाल के निशाने पर आ सकते हैं। मामला थोड़ा पुराना होने के कारण जैन निश्चिंत हो गए थे। लेकिन सुधीर जी द्वारा करवाई गई जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वह जैन के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं।

0 आनंद पांडे के बाद सिटी भास्कर के नेशनल हेड बनाए गये राहुल ठगेले ने भास्कर को अलविदा कह दिया है।

0 वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार केसवानी की पुस्तक मुग़ल-ए-आज़म अमेज़न पर बेस्ट सेलर नंबर वन है। इस पुस्तक पर रवीश कुमार एनडीटीवी पर एक शो भी कर चुके हैं।

0 एबीपी न्यूज़ के मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ ब्रजेश राजपूत की पुस्तक ‘वह 17 दिन’ भी इन दिनों जबरदस्त चर्चा में है।

0 नईदुनिया डिजिटल ने मध्यप्रदेश में अपना काम समेटना शुरू कर दिया है, इंदौर में इसके लिए काम कर रहे 5 साथियों को नोटिस देकर अलविदा कहने की तैयारी है।

0 वरिष्ठ पत्रकार राजीव सोनी जो हाल ही में नवदुनिया भोपाल से सेवानिवृत्त हुए हैं अब पीपुल्स समाचार में सेवाएं देंगे।

0 पीपुल्स ग्रुप के वरिष्ठ साथी भान सिंह अब पुनीत पांडे के स्थान पर पीपुल्स समाचार भोपाल के नए संपादक होंगे।

0  भास्कर डिजिटल ने इंदौर में अपने स्टाफ के दो लोगों अभिजीत कौशिक और देवेश लाहरे को विदाई दे दी है।

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