राजबाड़ा 2 रेसीडेंसी
अरविंद तिवारी
बात यहां से शुरू करते है
♦ जिन कैलाश जोशी ने मध्यप्रदेश में भाजपा को स्थापित करने के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया था उनके बेटे, तीन बार विधायक रहे दीपक जोशी को आखिर पार्टी के नेताओं के सामने तीखे तेवर क्यों दिखाना पड़े। यह सब जानते हैं कि बिना जोशी की मदद के हाटपिपलिया से मनोज चौधरी चुनाव जीत नहीं सकते इसलिए सब उन्हें साधने में लगे हैं। वी.डी. शर्मा और सुहास भगत उन्हें भोपाल बुला कर बात कर चुके हैं। कैलाश विजयवर्गीय और अनूप मिश्रा देवास जाकर मिल चुके हैं। छनकर बात यह सामने आ रही है कि मनोज के चक्कर में जोशी को जिस तरह मैदान से बाहर किया जा रहा है उससे वे बेहद खफा है। सीधी बात है वनडे मैच के खिलाड़ी को आपको टेस्ट न सही रणजी में तो खिलाना ही पड़ेगा। खेल से बाहर करना तो नाइंसाफी ही है ना।
♦ ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास सिपहसालार तुलसी सिलावट का चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और स्वयं सिंधिया से ज्यादा प्रतिष्ठा का प्रश्न मालवा निमाड़ के प्रभारी बनाए गए कैलाश विजयवर्गीय के लिए बन गया है। सांवेर से कांग्रेस के तय उम्मीदवार माने जा रहे हैं प्रेमचंद गुड्डू से विजयवर्गीय के संबंध किसी से छुपे हुए नहीं हैं। दोनों एक दूसरे के मददगार रहे हैं और विजयवर्गीय ही गुड्डू को भाजपा में ले गए थे। इन रिश्तों से इस चुनाव पर पैनी निगाहें लगा कर बैठे संघ के कर्ताधर्ता भी वाकिफ हैं। तीनों सोनकरो राजेश, सावन और विजय के साथ ही खाती और कलौता समाज के मतों को साधना भी कोई छोटा-मोटा काम नहीं है। यही कारण है कि चुनाव भले ही सिलावट लड़ रहे हों पर चुनौती विजयवर्गीय के लिए उनसे ज्यादा है।
♦ समय का फेर है। बात ज्यादा पुरानी नहीं है। कुछ साल पहले जब कमलनाथ केंद्रीय मंत्री थे और प्रेमचंद गुड्डू उज्जैन से सांसद, तब कमलनाथ ने बाबा रामदेव के कुछ कार्यक्रम मध्यप्रदेश में तय करवाए थे। इनमें से एक उज्जैन में भी होना था। तब गुड्डू ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कमलनाथ को खुली चुनौती देते हुए कार्यक्रम नहीं होने दिया था। वक्त बदला, अब जब भाजपा में गुड्डू को अपना कोई भविष्य नजर नहीं आया तो उन्हें मजबूर होकर आखरी दस्तक कमलनाथ के दरबार में ही देना पड़ी। कहा जा रहा है कि बहुत मान मनौवल के बाद कमलनाथ माने और अपनी नाराजगी जाहिर करने से भी नहीं चूके।
♦ तेजतर्रार आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया का मुकाम मध्य प्रदेश में कहां होगा यह सब जानना चाहते हैं। मुख्यमंत्री उन्हें अहम भूमिका में ही देखना चाहेंगे। जिस तरह से आर. परशुराम की अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन संस्थान से असमय विदाई हुई और मुख्यमंत्री इस संस्थान को एक बड़ी भूमिका में देखना चाहते हैं ऐसे में यदि वे जुलानिया को यहां डीजी बनाएं तो चौंकिएगा मत। वैसे भी इस संस्थान को अब सुशासन के अलावा योजना से संबंधित काम भी सौंपकर वजनदार किया जा रहा है। ऐसे में वहां जुलानिया की मौजूदगी अहम हो जाएगी। एक कयास उनके एनवीडीए या पीईबी पहुंचने का भी है। देखें क्या होता है।
♦ ग्वालियर में भाजपा के शहर अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद जिस तरह से वहां के नेताओं ने एकजुट होकर संगठन महामंत्री सुहास भगत को निशाने पर लिया था वह तो चौंकाने वाला था ही, लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाला है केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का चुप्पी साध लेना। नाराजी इजहार करने का तोमर का अपना तरीका रहता है और इसका एहसास जब सुहास भगत को हुआ तो उन्होंने खुद ही तोमर को फोन लगा इस विवाद का पटाक्षेप करने की कोशिश की। दरअसल तोमर इस घटनाक्रम के बाद भगत से दूरी बनाए हुए थे और उपचुनाव के पहले की इस दूरी में पार्टी के दिग्गजों को चिंता में डाल दिया था।
♦ हर अफसर मनीष सिंह नहीं हो सकता, यह ढाई महीने के इस बेहद कठिन दौर में इंदौर वाले अच्छे से समझ गए। शहर में किस काम में, किस का, कैसा उपयोग हो सकता है, यह मनीष सिंह अच्छे से जानते हैं और इसी का फायदा भी हमेशा लेते हैं। हुआ यह कि शहर को अनलॉक करने से पहले तीन जोन में बांटने की बात चली और मुद्दा यह उठा कि इसे जनता तक बहुत सरल तरीके से कैसे पहुंचाया जाए तो कलेक्टर को ख्यात वास्तुविद हितेंद्र मेहता का ख्याल आया। मेहता ने मिनटों में काम आसान कर दिया। उन्होंने ऐसा नक्शा बनाकर प्रशासन को दिया जिसमें तीनों जोन स्पष्ट तौर पर रेखांकित थे। जनता के साथ ही प्रशासन की परेशानी भी खत्म हो गई।
♦ संघ लोक सेवा आयोग में 5 जून से अनलॉक होने के बाद पहली प्राथमिकता पर जो काम होना है उनमें से एक है मध्य प्रदेश के राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा के अफसरों की डीपीसी। इंदौर में पदस्थ इन सेवाओं के दो दमदार अफसर राप्रसे के विवेक श्रोत्रिय और रापुसे के अरविंद तिवारी जल्दी ही आईएएस और आईपीएस हो जाएंगे। श्रोत्रिय को तो काफी पहले आईएस हो जाना था, लेकिन विभागीय परीक्षा देरी से पास होने के कारण होने वे साथियों से कुछ पिछड़ गए। तिवारी की बैच बहुत बड़ी होने के कारण उन्हें भी पदोन्नति का लाभ विलंब से मिल रहा है। राप्रसे में 18 तो रापुसे में 8 लोगों को पदोन्नति का लाभ मिलना है।
चलते-चलते
♦ यह बहुत हिम्मत का काम है। सत्ता खोने के बाद कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह से पल्ला कैसे झटका यह एक यक्ष प्रश्न है। जवाब सुरेश पचौरी, सज्जन सिंह वर्मा, एनपी प्रजापति और विजयलक्ष्मी साधौ से मिल सकता है।
♦ मंत्रिमंडल के माइक टू यानी गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के दबदबे का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि अबोलापन दूर करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उनके घर जाना पड़ा।
पुछल्ला
… जरा पता लगाइए, क्यों आईपीएस की तबादला सूची जारी नहीं हो पा रही है और अविनाश लवानिया व श्रीमंत शुक्ला के कलेक्टर बनने के आदेश कहां अटक गए।
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बात मीडिया की
– 16 साल की अथक मेहनत के बाद दिग्गज पत्रकार राजकुमार केसवानी की पुस्तक मुगल-ए-आजम अंततः प्रकाशित हो गई। गीत, संगीत और फिल्म के मामले में सबसे अलग पहचान रखने वाले श्री केसवानी की यह पुस्तक 392 पेज की है और इसमें मकबूल फिदा हुसैन की 25 पेंटिंग्स भी हैं।
– यह अच्छी खबर नहीं है। धर्म समाज के क्षेत्र में जबरदस्त मैदानी पकड़ वाले दो धुरंधर रिपोर्टर पत्रिका के सुधीर पंडित और दैनिक भास्कर के अमित सालगट को प्रबंधन ने आर्थिक मंदी के दौर में विदा कर दिया है।
– सांध्य पत्रिका के वरिष्ठ साथी जगदीश डाबी को लेकर भी कुछ हलचल है। यहां अच्छी खबर धुआंधार रिपोर्टर लखन शर्मा की नई शर्तों पर वापसी की भी है।
– सहारा मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ में बड़े बदलाव के बाद इस चैनल के भोपाल के सर्वेसर्वा वीरेंद्र शर्मा की क्या भूमिका होगी इस पर सबकी निगाहें हैं।
– दैनिक भास्कर ने अपने एक बहुत पुराने साथी सिटी डेस्क के जाहिद खान को भी अलविदा कह दिया है।
– भास्कर और पत्रिका ने अपने ब्यूरो दफ्तर समेटना शुरू कर दिए हैं। जहां ब्यूरो रहेंगे वहां स्टाफ कम किया जा रहा है और दफ्तर भी कम किराए के ढूंढे जा रहे हैं।
– दबंग-2 के नाम से नया सांध्य दैनिक बाजार में आने की चर्चा है।
इस बार बस इतना ही, अगले सप्ताह फिर मिलेंगे, नई जानकारियों के साथ…