भगवान कहां रहता है, वह कैसे मिलता है?

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बादशाह अकबर ने एक दिन बीरबल के सामने अचानक 3 प्रश्न उछाल दिए-

1) भगवान कहाँ रहता है?

2) वह कैसे मिलता है

3) वह करता क्या है?

बीरबल इन प्रश्नों को सुनकर सकपका गए और बोले- ”जहाँपनाह! इन प्रश्नों के उत्तर मैं आपको कल दूँगा।”

जब बीरबल घर पहुँचे तो बहुत उदास थे। उनके बेटे ने जब उनकी उदासी का कारण पूछा तो उन्होंने बताया-

”बेटा! आज बादशाह ने मुझसे एक साथ तीन प्रश्न किए-

भगवान कहाँ रहता है?

वह कैसे मिलता है?

और वह करता क्या है?

मुझे इन प्रश्‍नों का उत्‍तर नहीं सूझ रहा, कल दरबार में इनका उत्तर देना है।”

बीरबल के बेटे ने कहा- ”पिता जी! कल आप मुझे दरबार में अपने साथ ले चलना मैं बादशाह के प्रश्नों के उत्तर दूँगा।”

पुत्र की हठ के आगे झुकते हुए बीरबल अगले दिन उसे साथ लेकर दरबार में पहुँचे। बीरबल को देख कर बादशाह अकबर ने कहा- ”बीरबल मेरे प्रश्नों का उत्‍तर लाए हो?

बीरबल ने कहा- ”जहाँपनाह आपके प्रश्नों के उत्तर तो मेरा पुत्र भी दे सकता है।”

अकबर ने बीरबल के पुत्र से पहला प्रश्न पूछा- ”बताओ! भगवान कहाँ रहता है?”

बीरबल के पुत्र ने एक गिलास शक्कर मिला हुआ दूध बादशाह से मँगवाया और कहा- जहाँपनाह इसे पीकर बताइए दूध कैसा है?

अकबर ने दूध चखा और कहा कि ये मीठा है।

बच्‍चा बोला- परन्तु बादशाह सलामत क्‍या आपको इसमें शक्कर दिखाई दे रही है।

बादशाह बोले नहीं। वह तो घुल गई।

जी हाँ, जहाँपनाह! भगवान भी इसी प्रकार संसार की हर वस्तु में रहता है। जैसे शक्कर दूध में घुल गई है परन्तु वह दिखाई नही दे रही है। उसी तरह वह भी दिखाई नहीं देता।

बादशाह ने सन्तुष्ट होकर दूसरे प्रश्न का उत्तर पूछा- ”बताओ! भगवान मिलता कैसे है?”

बालक ने कहा- ”जहाँपनाह थोड़ा दही मँगवाइए।‘’

बादशाह ने दही मँगवाया तो बीरबल के पुत्र ने कहा- ”जहाँपनाह! क्या आपको इसमें मक्खन दिखाई दे रहा है।

बादशाह ने कहा- ”मक्खन तो दही में है और वह तो इसको मथने पर ही दिखाई देगा।”

बालक ने कहा- ”जहाँपनाह! मन्थन करने पर ही भगवान के दर्शन हो सकते हैं।”

बादशाह ने सन्तुष्ट होकर अन्तिम प्रश्न का उत्तर पूछा – ”बताओ! भगवान करता क्या है?”

बीरबल के पुत्र ने कहा- ”महाराज! इसके लिए आपको मुझे अपना गुरू स्वीकार करना पड़ेगा।”

अकबर बोले-”ठीक है, आप गुरु और मैं आप का शिष्य।”

अब बालक ने कहा-”जहाँपनाह गुरु तो ऊँचे आसन पर बैठता है और शिष्य नीचे।‘’

अकबर ने बालक के लिए सिंहासन खाली कर दिया और स्वयं नीचे बैठ गया।

अब बालक ने सिंहासन पर बैठ कर कहा- ”महाराज! आपके अन्तिम प्रश्न का उत्तर यही है।”

अकबर बोले- ”क्या मतलब? मैं कुछ समझा नहीं।”

बालक ने कहा- ”जहाँपनाह! भगवान यही तो करता है। पल भर में राजा को रंक बना देता है और भिखारी को सम्राट बना देता है।”

बादशाह ने प्रसन्‍न होकर बच्‍चे को गले से लगा लिया और उसे ढेर सारे ईनाम दिए।

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