अजय बोकिल
नेताओं को सत्ता मिलते ही जो पहला ‘राज रोग’ लगता है, वह है मूर्खतापूर्ण और ऊलजलूल बयान देने का। ऐसे नेता अपने कामों के बजाय बयानों के ब्रेकफास्ट से चर्चा में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। मानकर कि बेवकूफाना बयान उनकी राजनीतिक शक्ति के लिए बोर्नविटा साबित होते हैं। इसी ‘विद्वान उवाच’ श्रृंखला में ताजा कड़ी त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लब देव के हाल में दिए बयानों की है। विप्लब ने कहा कि मिस वर्ल्ड बनने का सही में हक ऐश्वर्या राय का ही है। एक और मिस वर्ल्ड रही डायना हेडन मिस वर्ल्ड के लायक कहां से खूबसूरत हो गईं?
डायना ने विप्लब के इस बयान पर नाराजी जताते हुए कहा कि यह मेरे मिस वर्ल्ड जीतने का काफी कड़ा विरोध है और बेहद शर्मनाक है। इसके पहले विप्लब देव ने यह भी कहा था कि महाभारत काल में भी सेटेलाइट और इंटरनेट था। संजय ने इसी के माध्यम से धृतराष्ट्र को कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध का लाइव हाल सुनाया था।
विप्लब ने डायना वाला बयान अगरतला में एक डिजाइन वर्कशॉप में दिया। वे सौंदर्य प्रतियोगिताओं के माध्यम से सौंदर्य प्रसाधनों के सुनियोजित बाजार तंत्र पर टिप्पणी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया के कॉस्मेटिक माफियाओं की नजर भारत की 125 करोड़ की आबादी पर है। पहले महिलाएं डैंड्रफ साफ करने के लिए पत्तियों का इस्तेमाल करती थीं, लेकिन जैसे-जैसे ये ब्यूटी कॉन्टेस्ट आयोजित हो रहे हैं, वैसे-वैसे विदेशी कॉस्मेटिक कंपनियां भारत में अपने पैर पसार रही हैं। सौंदर्य प्रतियोगिताओं के आयोजक इंटरनेशनल मार्केटिंग माफिया हैं।
यहां तक तो फिर भी ठीक था। साथ में देव ने यह भी जोड़ा कि हमने ‘लगातार पांच साल तक मिस वर्ल्ड या मिस यूनिवर्स खिताब जीते। डायना हेडन ने भी जीता। फिर सवाल किया कि क्या आपको लगता है कि उन्हें सही में खिताब जीतना चाहिए था?’ देव ने यह भी कहा कि वे 1997 की मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की निर्णय प्रक्रिया को नहीं समझ पाए, जिसमें डायना ने खिताब जीता था।
इस बयान पर विप्लब देव सोशल मीडिया में खासे ट्रोल हुए। खुद डायना हेडन ने कहा कि त्वचा के रंग की वजह से किसी की आलोचना करना गलत है। जब आप दुनिया का सबसे बड़ा और अहम ब्यूटी टाइटल जीतते हैं, तो आपको सराहना मिलने की बजाए, आपकी आलोचना की जाती है। उन्होंने कहा कि मेरे अपने उसूल और विश्वास हैं। हम भारतीय हैं और हमारी त्वचा का रंग ब्राउन है। हमें इस पर गर्व होना चाहिए। दुनिया भर में इसे सराहा जाता है। जाहिर है कि मुख्यमंत्री के दिमाग में भी गोरे और काले की समझ को लेकर फर्क है, तभी उन्होंने मेरी तुलना ऐश्वर्या राय से की न कि प्रियंका अथवा मानुषी से।‘
डायना हेडन हैदराबाद की हैं और एंग्लो इंडियन हैं। वे 1997 में मिस वर्ल्ड चुनी गईं थीं। उन्होंने एक विदेशी से शादी की है। डायना ने फिल्मों में भी किस्मत आजमाई। लेकिन ज्यादा चल नहीं पाई। बहरहाल देब की इस टिप्पणी पर खासा बवाल मचा। कविता कृष्णन ने इस टिप्पणी को ‘मूर्खतापूर्ण, कामुक और सांप्रदायिक’ बताया तो दिल्ली के मुख्यमंत्री के सलाहकार नागेन्द्र शर्मा ने रिट्वीट किया कि हम अभी भी अप्रैल में है। हो सकता है यह 2018 का सबसे हास्यास्पद उद्धरण बन जाए। एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि देश को ‘नया मनोरंजन करने वाला‘ मिल गया।
इसके पहले विप्लब महाभारत काल में इंटरनेट और सेटेलाइट होने की बात कहकर जमकर ट्रोल हो चुके थे। त्रिपुरा यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट विप्लब को न जाने कहां से यह पता लगा कि महाभारत के जमाने में इंटरनेट था और संजय ने उसी के जरिए राजा धृतराष्ट्र को युद्ध का सारा हाल सुनाया था। देव की स्थापना का आधार भी यही था कि बिना इंटरनेट के कोई डायरेक्ट टेलीकास्ट कैसे कर सकता है? संजय के पास जरूर वो डिवाइस था, जिसकी वजह से अंधे धृतराष्ट्र भी पूरा युद्ध लाइव देख रहे थे। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि महाभारत काल का इंटरनेट कलियुग में विलुप्त क्यों हो गया? और क्यों हमें विदेशियों से अपनी ही यह तकनीक सीखनी पड़ी।
विप्लब देव के ये दोंनो बयान उनकी उस समझदार और जुझारू नेता की छवि के विपरीत है, जिसने उन्हें सीएम बनवाया। लेकिन विप्लब पूर्व जिम ट्रेनर भी हैं। हो सकता है कि इस तरह की शाब्दिक कसरत वो दूसरों के मनोरंजन के लिए बीच-बीच में करते रहते हों। इंटरनेट के बारे में उनका दिव्य ज्ञान संजय की उस दिव्य दृष्टि से यकीनन बेहतर है, जिसकी वजह से वो अंधे धृतराष्ट्र को ऑनलाइन लेकर लड़ाई का पूरा वृत्तांत सुना पाया था।
माना जाता है कि उस जमाने ये दिव्य शक्तियां योग के माध्यम से अर्जित की जाती थीं। और अगर यह इंटरनेट और सेटेलाइट भी था तो बाद में उसका सर्वर कहां और कैसे डाउन हो गया, इसकी जानकारी किसी भक्त ज्ञानी के पास नहीं है। और फिर उस जमाने में इंटरनेट था भी तो केवल संजय के पास ही क्यों था? दुर्योधन या कर्ण के पास क्यों नहीं था। होता तो वो अंबानी की तरह हर बिजनेस वॉर जीतते।
जहां तक डायना हेडन पर टिप्पणी का सवाल है तो इससे इतना तो साबित हुआ ही कि त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विश्व सुंदरियों के मामले में बेहद संवेदनशील और ‘चूजी’ रहे हैं। उन्हें ऐश्वर्या राय केवल इसलिए पसंद हैं कि उनका रंग गोरा है और सौंदर्य ‘असल भारतीय’ है। लक्ष्मी और सरस्वती की तरह। ऐश्वर्या सुंदर हैं, इसमें दो राय नहीं। लेकिन डायना मिस वर्ल्ड के लायक ही नहीं थीं, इस बयान में कुछ खोट है।
कौन सी महिला किसी पुरुष को क्यों सुंदर लगती है, इसका कोई निश्चित शास्त्र नहीं है। वैसे भी महिलाओं की खूबसूरती को लेकर भारतीय पुरुषों की दृष्टि और सोच अलग है। सभी विश्व सुंदरियां हमारी नजर में भी सुंदर हों, जरूरी नहीं। सौंदर्य के हमारे अपने मानक हैं, जिनमें गोरा रंग एक अनिवार्य तत्व है, इस सच्चाई के बावजूद कि भारतीयों का रंग गेहुंआ होता है। हम गोरी त्वचा को ही सुंदरता का पैमाना मानते हैं। जबकि विश्व सुंदरी होने के मानक भारतीय पूर्वाग्रहों से अलग हैं, वरना कोई नीग्रो लड़की कभी भी विश्व सुंदरी नहीं बन सकती थी।
फिर भी डायना की सुंदरता को खारिज करने वाले बयान के पीछे शायद उस सुंदरी का ईसाई होना ज्यादा बड़ा कारण लगता है। वरना 21 साल बाद डायना की ब्यूटी को खारिज करने का कोई औचित्य नहीं है। सौंदर्य प्रतियोगिता के बाजारवाद को दूसरे और ज्यादा प्रभावी तरीकों से नकारा जा सकता है। लेकिन वैसा करने की हिम्मत किसी सरकार में नहीं है। इसकी खुन्नस डायना को ‘असुंदर’ बताकर निकलना कहीं से भी जायज नहीं है।
विप्लब ने जो बोला वो एक राजनीतिक एजेंडे के तहत था। वो एजेंडा, जो सौंदर्य में भी किसी गैर हिंदू की शेयरिंग को नकारता है। वो एजेंडा जो अतीत को भविष्य से बेहतर मानता है। वो एजेंडा जो परंपरा की आरती से शुरू होकर विवेक के शोकगीत पर खत्म होता है। ‘राज रोग’ के भी यही लक्षण हैं।
(सुबह सवेरे से साभार)