अनिल यादव

अठारहवीं सदी में चीनी समाज का एक बड़ा वर्ग अफीम के नशे का आदी हो चुका था और इसी कारण चीनी सम्राट ने चीन में अफीम के आयात पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। फिर उन्नीसवीं सदी में अंग्रेज व्यापारी वहाँ पंहुचे और अपने देश के लिए चीन से चाय निर्यात करने लगे। बदले में वे जो सामान चीन में लाते थे उसकी ज्यादा मांग नहीं थी। इसलिए उन्हें व्यापार में घाटा होने लगा। लेकिन उन्होंने गौर किया जैसे अंग्रेजों को चाय का शौक था वैसे ही चीनियों को अफीम का शौक था, कुछ ज्यादा ही।

चीनियों के अफीम के शौक को देखते हुए उन्होंने गुपचुप चीन में अफीम भेजना शुरू कर दिया। लेकिन भेद खुल गया और अफीम के अंग्रेज कारोबारियों पर कार्रवाई की गई। इसका नतीजा ये निकला कि चीन और ब्रिटेन में युद्ध हो गया।  जिसका जिक्र इतिहास में अफीम युद्ध के नाम से मिलता है। चीनी कुछ तो पहले से ही और कुछ अंग्रेजों की मेहरबानी से पक्के अफीमची हो चुके थे। उस युद्ध में हजारों की संख्या में चीनी मारे गए और चीन हार गया।

यह कहानी आज इसलिए याद आई कि इससे मिलती-जुलती चीनी कहानी हमारे देश में भी चल रही है। हमारे युवा नशा करने की हद तक ‘पबजी और टिकटॉक’ जैसे कई चीनी ऐप्‍स के आदी हो चुके हैं। जरा अपने आसपास निगाह घुमाइए तो ज्यादातर युवा दिन हो या रात मोबाइल फोन चलाने में मस्त दिखेंगे।

वे अकेले होने पर भी मोबाइल फोन चलाते हुए कभी खुश होते हैं तो कभी तनाव में आ जाते हैं। वजह होती है उनकी इन या इन्हीं जैसे दूसरे ऐप्‍स पर सक्रियता। आजकल हमारे लगभग सभी किशोरों या युवाओं के मोबाइल में ऐसे या इनमें से कोई न कोई चीनी ऐप जरूर होता है।

पबजी नामक बीमारी तो इतनी अधिक बढ़ गई है कि देश में आज पबजी के साढ़े ग्यारह करोड़ से अधिक यूजर हैं। यदि ध्यान देंगे तो पायेंगे कि आसपास के ही कई युवा कई-कई घंटों तक, दूर-पास के जाने-अनजाने दोस्तों के साथ, लगातार पबजी खेलते रहते हैं। हमारे यहाँ ये दीवानगी इतनी अधिक है कि दुनिया भर के कुल पबजी यूजर्स में इक्कीस फीसदी हमारे भारतीय युवा ही हैं।

इनमें से बहुत सारे तो अपनी पढ़ाई-लिखाई और कामकाज, सबकुछ छोड़ कर पबजी में ही मस्त रहते हैं। यदि आपके आसपास पबजी का कोई शौकीन हो तो आप चुपचाप उसकी भाव-भंगिमाएं देखिये। कभी वह अकेला ही खुश होता है तो कभी बहुत तनाव में आ जाता है, कितना? अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि घंटों से पबजी खेल रहा एक किशोर तो इतना उत्तेजित हो गया था कि ब्लास्ट-ब्लास्ट कहते हुए कार्डियक अटैक से मर गया था।

एक दूसरा किशोर पैंतालीस दिनों तक लगातार पबजी खेलने के बाद ब्रेन हैमरेज का शिकार हो गया था। एक के पिता ने जब अपने किशोर बेटे को पबजी खेलने से रोका तो उसने पिता की गला काट कर हत्या कर दी थी। ये गेम एक नशे की तरह हमारे युवाओं पर हावी हो चुका है और जब उनकी रोकटोक की जाती है तो उनमें से कुछ तो इतने उत्तेजित हो जाते हैं कि आत्महत्याएं तक कर लेते हैं। हालांकि ये चरम बीमारी के उदाहरण हैं लेकिन इनसे यह जरूर पता चलता है कि ये चीनी ऐप हमारे युवाओं के दिमाग पर कितने हावी हैं।

इसी तरह का चीनी शॉर्ट-वीडियो शेयर ऐप टिकटॉक है जिससे सभी अच्छी तरह परिचित हैं। इस पर अपने वीडियो शेयर करने वाले कई युवा अब टिकटॉक स्टार कहे जाने लगे हैं। इस टिकटॉक के भी हमारे यहाँ ग्यारह करोड़ से अधिक यूजर हैं। टिकटॉक का नशा युवाओं से ज्यादा युवतियों पर सवार है। यही नहीं अधेड़ और बूढ़े स्त्री-पुरुषों के सिर पर भी इसका जादू चढ़ कर बोल रहा है।

ऐसे उदाहरण भी सामने आये हैं जिनमें वीडियो शेयर करने से रोकने पर कोई घर से भाग गया तो किसी ने आत्महत्या कर ली। टिकटॉक पर अश्लील वीडियो की भी भरमार है। पिछले दिनों इस पर शेयर किये गए बहुत सारे वीडियोज ने देश में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

ये उदाहरण सिर्फ दो चीनी ऐप्‍स के हैं। कई अन्य चीनी ऐप हैलो, वीगो वीडियो, वीगो लाइव, वी चैट, शेयर इट, ब्यूटी क्वींस इत्यादि के कितने करोड़ यूजर्स हैं और ये हमारे युवाओं पर क्या असर छोड़ रहे हैं कह पाना मुश्किल है।

सीमा पर चीनी घुसपैठ के बाद से देश में राष्ट्रभक्ति का उबाल सा उठा है और चीन में बने सामान के बहिष्कार की मांग भी जोर पकड़ रही है। कई जगह तो प्रदर्शन करते हुए चीनी माल जलाया भी जा रहा है। ये तब हो रहा है जब हमारा बाजार उस चीनी सामान से अटा पड़ा है जिसका भुगतान भारतीय व्यापारियों द्वारा चीन को किया जा चुका है। यानी ऐसा करने से चीन को फिलहाल तो कोई नुकसान नहीं होने वाला।

इसलिए प्रदर्शनकारियों को देश में आ चुके चीनी सामान की जगह टिकटॉक और पबजी जैसे वे तमाम चीनी ऐप मोबाइल से हटाने की मुहिम चलाना चाहिए जो हमारे युवाओं और देश को नुकसान पहुंचा रहे हैं या पहुंचा सकते हैं। ये ऐप हमारे युवाओं को उन्नीसवीं सदी के चीनी अफीमचियों की ही तरह डिजिटल नशे का शौक़ीन बना रहे हैं और कल इनमें से डिजिटल अफीमची हो चुके युवाओं का क्या होगा कोई नहीं जानता।

यहाँ हमें यह भी याद कर लेना चाहिए कि हाल ही में यूपी एसटीएफ ने अपने स्टाफ को टिकटॉक, हैलो जैसे बावन चाईनीज ऐप्स अपने मोबाइल फोन से हटाने को कहा है। उधर भारतीय खुफिया एजंसियों ने भी केंद्र सरकार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप जूम, शॉर्ट-वीडियो ऐप टिक टॉक, यूसी ब्राउजर, एक्सेंडर, शेयरइट और क्लीन-मास्टर जैसे 53 चीनी ऐप्‍स की सूची भेज कर सतर्क किया है कि इनसे मोबाइल डाटा चीन द्वारा चोरी किया जा सकता है। इस सूची में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप जूम भी है जिसके बारे में पहले भी एडवायजरी जारी की जा चुकी है और इन दिनों इसका उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है।

तो इससे पहले कि हमारे युवा इस चीनी डिजिटल अफीम के आदी हो जाएं, सरकार और हम जाग जाएं तो बेहतर होगा।

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टीम मध्यमत

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