रवीन्द्र व्यास

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में 28 फरवरी को बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के अंगरोठा गाँव की जिस युवती बबीता राजपूत का जल संरक्षण के लिए जिक्र किया वह अपने आपको भाग्यशाली मानने लगी है। वह बताती है की मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारे काम की वजह से मोदी जी हमारा नाम लेंगे। मुझे यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। भविष्य में जल संरक्षण के कार्य के लिए उसने बताया कि हम लोग खेत का पानी खेत में रोकने के स्ट्रेच बनवा रहे हैं। उस तालाब में और पानी बढ़ जाए इसके लिए दूसरी तरफ के पहाड़ को काट कर नहर बनाएंगे। अब और तेज़ी से जल संरक्षण क़े लिये कार्य करूंगी।

बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा बबीता राजपूत बताती है कि वह एक गरीब परिवार से है, इसलिए बाहर पढ़ने नहीं जा सकी। घुवारा के कालेज से ही बीए कर रही हूँ। तालब में पानी की स्थिति के बारे में उसने बताया कि अभी तो तालाब में पानी कम है पर दूसरी पहाड़ी से नहर बनने के बाद तालाब में पर्याप्त पानी रहेगा।

बुंदेलखंड में पानी का संकट सदैव बना रहता है इसी को ध्यान में रख कर इस गाँव की लगभग 200 महिलाओं ने पहाड़ी को काटा और अपने गांव को पानी की समस्या से निजात दिला दी। 19 साल की लड़की बबीता राजपूत ने गांव की महिलाओं को प्रेरित किया था।

दरअसल अंगरौठा गांव वर्षों से पानी के संकट का सामना कर रहा था। बुंदेलखंड के गाँवों की बसाहट की तरह ही भेल्दा पंचायत का यह गाँव भी पहाड़ी तलहटी में बसा हुआ है। पहाड़ की तलहटी में बना तालाब और तालाब से निकलने वाली बछेड़ी नदी एक तरह से बरसाती जल स्रोत बन कर रह गए थे। गरमी के मौसम में गाँव के लोगों और गाँव के जानवरों के सामने पानी का विकराल संकट खड़ा हो जाता था। इन हालात को देख गाँव की लड़की बबीता राजपूत ने हालात बदलने का निश्चय कर लिया ऐसे में उसको साथ मिला परमार्थ स्वयं सेवी संस्था का।

बबीता ने गाँव की महिलाओं को जोड़ा और समझाया कि अगर गाँव की इस पहाड़ी को काटकर एक नहर बनाई जाए तो जो पानी दूसरी ओर बह कर बर्बाद जाता है, वह तालाब में पहुँचने लगेगा। गाँव की महिलाओं को बात समझ में आई और वे इसके लिए तैयार हो गईं। ग्रामीण बताते हैं कि शुरुआती दौर में पहाड़ी काटना असंभव लग रहा था इसलिए बड़े पत्थर हटाने और खुदाई शुरू करने के लिए जेसीबी मशीन का उपयोग किया था। बाद में गांव की लगभग 200 महिलाओं ने 107 मीटर लंबी खाई खोदकर पहाड़ को काट दिया।

बबीता की प्रेरणा और गाँव की महिलाओं के इन प्रयासों के कारण अब ना सिर्फ वह तालाब पानी का प्रमुख स्रोत बन गया है बल्कि तालाब से निकलने वाली बछेड़ी नदी को भी नव जीवन मिला है। इसका सबसे बड़ा लाभ गाँव वालों को यह भी हुआ कि गाँव के जो 10 कुएं और पांच बोरवेल सर्दी की विदाई तक सूख जाते थे अब उनमें भी पानी है।

बबीता को तालाब के पानी का स्रोत विकसित करने के लिए भी बड़ी मशक्कत करनी पड़ी। असल में पहाड़ी और यह तालाब वन क्षेत्र में आते हैं, इसके लिए वन विभाग से अनुमति प्राप्त करना भी जरूरी था, जिसे पाने के लिए उसे कई पापड़ बेलने पड़े। लोगों को इकट्ठा करने और पानी संरक्षण के लिए बबीता और अन्य लोगों को जाग्रत करने में परमार्थ समाजसेवी संस्थान ने बड़ी भूमिका निभाई। सामूहिक प्रयास हुए और पहाड़ी को काट दिया गया। एक खाई के जरिए नदी को तालाब से जोड़ दिया गया है।

महिलाओं द्वारा पहाड़ी को काट कर तालाब तक नहर बनाने की बात पर परमार्थ स्वयं सेवी संस्था ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। पर इसका दूसरा पहलू इलाके के लोग बताते हैं कि बारिश का पानी तालाब तक लाने के प्रयास हुए हैं, इसके लिए पहाड़ी को जेसीबी मशीन और डायनामाइट के जरिए काटा गया, गाँव की महिलाओं ने मिट्टी खुदाई में मदद की। पर यह भी सत्य है कि बुंदेलखंड की सख्त चट्टानों को काटने के लिए मशीनी यंत्रों का उपयोग करना मज़बूरी होती है, अगर यह नहीं किया जाता तो इतना समय लग जाता कि लोग हताश हो जाते।

तालाब को नया जीवन देने के लिए बबीता जैसी युवती और गाँव की महिलाएं बधाई की पात्र हैं। मोदी जी द्वारा आज मन की बात कार्यक्रम में उनका नाम लिए जाने से ना सिर्फ बबीता के अंदर नवऊर्जा का संचार हुआ है, बल्कि इससे अनेक युवाओं को प्रेरणा मिली है।

बड़ा मलहरा जनपद के सीईओ अजय सिंह बताते हैं कि गांव की महिलाओं ने पहाड़ को काटकर तालाब तक नहर बनाई जिस कारण सूखा रहने वाले तालाब में पानी पहुंचा, वर्तमान में तालाब में पानी की स्थिति के बारे में वह कहते हैं कि फिलहाल तो पानी कम है। उस गांव में तालाब के लिए शीघ्र मनरेगा से भी काम कराया जाएगा।(मध्‍यमत)
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