जयपुर, मई 2016/ वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने राजस्थान में कक्षा 8 की नई पाठ्य पुस्तक से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाम हटा दिया है। पूर्व में प्रकाशित पुस्तक में नेहरू के बारे में लिखा गया था कि बैरिस्टर बनने के बाद उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और बाद में कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने। वे आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर से संबधित पाठयक्रम में कक्षा 8 के सामाजिक विज्ञान की संशोधित पुस्तक में नेहरू के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। हालांकि संशोधित पुस्तक बाजार में उपलब्ध नहीं है। इस पुस्तक के प्रकाशक राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल ने इसे वेबसाइट पर अपलोड किया है। पुस्तक के संशोधित संस्करण में स्वतंत्रता सेनानी हेमू कालानी का नाम जोड़ा गया है। साथ में वीर सावरकर,महात्मा गांधी, भगतसिंह, बालगंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस आदि अन्य नामों का पहले से उल्लेख है, लेकिन नेहरू का नाम ना तो पुस्तक के स्वतंत्रता संग्राम के पाठ में है और ना ही आजादी के बाद के भारत के पाठ में। संशोधित पुस्तक का पाठयक्रम उदयपुर के राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा तैयार किया गया है।
शिक्षा के भगवाकरण कर रही सरकार: प्रतिपक्ष
राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने इस मामले पर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकार राजस्थान में शिक्षा के भगवाकरण का अपना एजेंडा लागू करने की दिशा में बढ़ रही है। उसने देश के स्वत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेता जवाहर लाल नेहरू का नाम हटाकर ओछी राजनीति का उदाहरण प्रस्तुत किया है। कांग्रेस इस कदम का पुरजोर विरोध करेगी।
नेहरू के साथ गोडसे का नाम भी हटाया: गहलोत
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि स्कूली पाठ्य पुस्तकों से इतिहास पुरुषों, राष्ट्र निर्माताओं के नाम हटाने वाली सरकारें खुद हट जाती हैं,लेकिन इतिहास का सच नहीं मिटता।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान बोर्ड की आठवीं कक्षा की किताब में नेहरू का नाम तो हटाया ही गया है, गांधी की हत्या वाले हिस्से और हत्यारे नाथूराम गोडसे का नाम भी हटा दिया गया।
आधुनिक भारत के निर्माता और दुनिया के सबसे बड़े भारतीय लोकतंत्र के संस्थापक प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का नाम स्कूली पाठ्य पुस्तकों से हटा देने का राजस्थान सरकार का कृत्य शर्मनाक है। गहलोत ने कहा कि राष्ट्रवाद का दंभ जताने वाले आरएसएस के लोगों की, संघर्ष और निर्माण के बेमिसाल राष्ट्रीय योगदान पर पर्दा डालने की यह कोशिश इतिहास की इस सच्चाई को ढंक नहीं सकती। आरएसएस के लोगों ने आजादी की लड़ाई से न केवल अपने को दूर रखा था, बल्कि सविनय अवज्ञा से लेकर अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन तक का विरोध भी किया था। संघर्ष के गौरवपूर्ण इतिहास में आरएसएस अपनी जगह नहीं बना सका, उसकी सरकार नेहरू को पाठ्यक्रम से निकाल कर जो पाप कर रही है, उन्हें जनता सबक सिखायेगी।