मध्यप्रदेश से कुपोषण खत्म करने साथ काम करेंगे यूनिसेफ और जेएलयू

भोपाल/ यूनिसेफ और जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी ने इम्पेक्ट 4 न्यूट्रिशन (आई4एन) के लिए राज्य सचिवालय स्थापित करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह सचिवालय पोषण के क्षेत्र में निजी भागीदारी के लिए संचालित इम्पेक्ट फ़ॉर न्यूट्रिशन नेटवर्क का हिस्सा है। यह देश में अपनी तरह का पहला सचिवालय है।

जेएलयू परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में यह अनुबंध किया गया। कुपोषण से निपटने के इस प्रयास के तहत जागरण लेकसिटी विश्वविद्यालय में एक आई 4 एन सचिवालय स्थापित किया जाएगा है। यह सचिवालय एफआईआईसीआई, सीआईआई, यंग इंडियंस (मध्य प्रदेश चैप्टर) सहित निजी क्षेत्र के भागीदारों और उद्योगों सहित विविध हितधारकों की भागीदारी के लिए आई 4 एन के केंद्र के रूप में कार्य करेगा। यह पोषण पर राज्य सरकार का सहयोग करने के लिए जेएलयू और यूनिसेफ के बीच साझा मंच भी होगा।

यूनिसेफ और जेएलयू इम्पेक्ट 4 न्यूट्रिशन प्लेटफॉर्म के माध्यम से मध्य प्रदेश में पोषण के लिए सार्वजनिक-निजी क्षेत्र के सहयोग और भागीदारी के अवसरों को बढ़ाने का कार्य करेंगे।कार्यक्रम को यूनिसेफ, मध्य प्रदेश के प्रमुख मार्गरेट ग्वाडा, यूनिसेफ इंडिया के पोषण प्रमुख अर्जन डी वाग्ट और चीफ ऑफ रिसोर्स मोबिलाइजेशन एंड पार्टनरशिप, यूनिसेफ इंडिया रिचर्ड बेइटन ने संबोधित किया था।

आई 4 एन सचिवालय के शुभारंभ अवसर पर बोलते हुए जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर और एफआईसीसीआई यूथ लीडर्स फोरम के संस्थापक अध्यक्ष अभिषेक मोहन गुप्ता ने कहा कि हम इस सार्थक गठबंधन पर रोमांचित और सम्मानित महसूस कर रहे हैं। हम पोषण, महिलाओं तथा बच्चों के विकास को प्रभावित करने वाले इस महत्वपूर्ण क्षेत्र पर सकारात्मक कार्य के लिए आशान्वित हैं।”

यूनिसेफ, मध्य प्रदेश के प्रमुख मार्गरेट ग्वाडा ने पोषण पर प्रभाव के लिए गठित आई4एन सचिवालय के भागीदार बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह केंद्र पोषण के लिए व्यक्तिगत क्षमताओं व शक्ति को जुटाने और उपयोग करने के लिए निजी क्षेत्र की मैपिंग और भागीदारी बढ़ाने का कार्य करेगा। निजी क्षेत्र की भागीदारी पोषण अभियान (पोषण मिशन) के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पाने में सरकार के प्रयासों में वृद्धि कर सकती है।

यूनिसेफ इंडिया के पोषण प्रमुख अर्जन डी वाग्ट ने मध्य प्रदेश को पहला राज्य सचिवालय शुरू करने के लिए बधाई दी और कहा कि पोषण पर प्रभाव डालने के लिए निजी क्षेत्र के संसाधनों और कॉर्पोरेट्स की ऊर्जा का उपयोग करने की आवश्यकता है। बाल कुपोषण रोकने के लिए निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण है। रिचर्ड बेयटन, चीफ, रिसोर्स मोबिलाइजेशन एंड पार्टनरशिप, यूनिसेफ इंडिया ने कहा कि यह ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि इम्पैक्ट 4 न्यूट्रीशन के हिस्से के रूप में निजी क्षेत्र अपने सीएसआर, संसाधनों द्वारा क्षमता विकास और पोषण साक्षरता संवेदीकरण गतिविधियों आदि में सहायता कर सकता है।

इस अवसर पर डॉ संदीप शास्त्री, कुलपति, जेएलयू, डॉ. दिवाकर शुक्ला, डीन, पत्रकारिता और रचनात्मक अध्ययन संकाय, जेएलयू ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन यूनिसेफ एमपी कार्यालय के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने किया। डॉ. समीर पवार, पोषण विशेषज्ञ, पुष्पा अवस्थी, पोषण अधिकारी यूनिसेफ, ऑनलाइन उपस्थित थे।

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