इस बॉडी बिल्‍डर अफसर का सही उपयोग हो

राकेश अचल

भारतीय पुलिस सेवा के 2007 बैच के अफसर सचिन अतुलकर मध्यप्रदेश पुलिस में मक्खियां मार रहे हैं। वे जाने माने बॉडी बिल्डर हैं, इन दिनों ग्वालियर रेंज में डीआईजी पद पर हैं। इस पद के लायक चूंकि कोई काम नहीं होता इसलिए सचिन अपना अधिकांश समय या तो अपनी बॉडी बिल्डिंग में लगाते हैं या फिर इंस्ट्राग्राम पर सक्रिय रहते हैं और इसीलिए उनकी आलोचना भी होती है।

भोपाल में 08 अगस्त 1984 को भावसे अधिकारी के घर जनमे सचिन अतुलकर युवाओं में अपने शारीरिक सौष्ठव के लिए प्रेरणास्रोत हैं। अविवाहित अतुल ने केवल बीकॉम तक पढ़ाई की और भापुसे के लिए चुन लिए गए, इस लिहाज से वे पढ़ाकू और प्रतिभाशाली भी हैं, लेकिन पुलिस में उनके लिए फिलहाल कोई काम नहीं है। 2006 की संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में उनकी 258वीं रैंक थी।

सचिन अपने शरीर पर ख़ास ध्यान देते हैं। वे रोजाना एक घंटे जिम में खर्च करते हैं। बचपन से खेलों के प्रति रुझान रखने वाले सचिन 1999 तक अच्छे क्रिकेटर भी रहे। घुड़सवारी में भी वे स्वर्णपदक विजेता हैं। सचिन ने एक पुलिस अफसर के रूप में उतना नाम नहीं कमाया जितना की शारीरिक सौष्ठव में। पुलिस उनकी इस प्रतिभा का इस्तेमाल अब तक नहीं कर पाई। उन्हें फील्ड में पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थापना मिली, उन्होंने काम भी किया लेकिन अपना शौक बनाये रखा।

सचिन के सोशल मीडिया पर तमाम प्रशंसक हैं, अकेले इंस्ट्राग्राम पर ही उनके साथ करीब 8 लाख लोग जुड़े हैं। सचिन शांत चित्त पुलिस अफसर हैं। उन्हें पगार भी अच्छी खासी मिलती है, लेकिन उनकी योग्यता का कोई लाभ मध्‍यप्रदेश पुलिस को नहीं मिल पा रहा इसलिए उनकी आलोचना भी होती है। बेहतर ये हो कि सचिन अतुलकर मध्यप्रदेश पुलिस के लिए आदर्श बना दिए जाएँ। उनकी नियुक्ति पुलिस के किसी प्रशिक्षण संस्थान में कर दी जाये ताकि वे पुलिस को अपने जैसे लौह देह वाले पुलिस जवान तैयार कराकर दे सकें।

सचिन यदि व्यावसायिक बॉडी बिल्डर बन जाएँ तो अपनी पगार से ज्यादा कमा सकते हैं। उन्हें विज्ञापन, सिनेमा में भी अनेक अवसर मिल सकते हैं, लेकिन उन्होंने इस दिशा में कोई प्रयास शायद गंभीरता से नहीं किया है क्योंकि पुलिस की वर्दी उन्हें आकर्षित करती है। मध्यप्रदेश पुलिस में वरिष्ठ स्तर पर आज भी अनेक ऐसे पुलिस अफसर हैं जिनकी फिटनिस लोगों के लिए ईर्ष्या का कारण बनी हुई है किन्तु सचिन अतुलकर इन सबमें अलग हैं।

हमारे देश में ये विसंगति है कि जो जिस फील्ड में शीर्ष तक जा सकता है वो गलत रास्ता चुन लेता है और न घर का रहता है न घाट का। सचिन अतुलकर इसका ताजा उदाहरण हैं। सचिन बॉडी बिल्ड़र हैं तो उन्हें भापुसे की नौकरी में नहीं आना था, वे अपने ही क्षेत्र में राष्ट्रीय क्या अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक जा सकते थे, किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे पुलिस में आ गए। पुलिस में उन्हें वर्दी, रुतबा और अच्छी पगार तो मिल रही है किन्तु वे पुलिस को अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रहे हैं।

मेरा मानना है कि यदि सचिन को भापुसे के या मध्यप्रदेश पुलिस के किसी प्रशिक्षण संस्थान में सेवा देने का अवसर मिलता तो मुमकिन है वे पुलिस बल को अपने जैसे अनेक सचिन अतुलकर तैयार कर दे सकते थे जो पुलिस की छवि सुधारने में सहायक साबित होते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सचिन सरकारी लोकसेवक हैं लेकिन उनके रहने से पुलिस को क्या हासिल है ये वे जानते हैं या विभाग वाले।

सचिन अभी कुल 34 वर्ष के हैं वे चाहें तो अभी भी कुछ अलग कर सकते हैं। लेकिन ये सचिन के ऊपर है कि वे क्या करें और क्या नहीं? सोशल मीडिया पर ज्यादा और फील्ड में कम दिखने के आरोप सचिन पर लगे हैं और आगे भी लगेंगे किन्तु अब उनकी नौकरी फील्ड की रह नहीं गयी है, इसलिए उन्हें आलोचनाओं से घबराने की जरूरत नहीं है।

सचिन भापुसे के लिए एक उपलब्धि और मध्यप्रदेश पुलिस के लिए गर्व का विषय हैं। लेकिन मेरा एक ही सुझाव है कि वे अनिर्णय से बाहर आएं और सही रास्ता चुनें,  वैसे उन्हें सलमान खान की तरह अविवाहित रहना है या घर बसाना है वे जानें, हमारी तो शुभकामनायें हमेशा उनके साथ हैं। देश को उनके जैसे मजबूत देह वाले युवकों की ही जरूरत है। हर क्षेत्र में जरूरत है। फिर चाहे वो पुलिस हो या राजनीति का क्षेत्र।

सचिन के साथ सफलताएं और असफलताएं साथ-साथ चलती हैं। बालाघाट में उन्हें बहादुर पुलिस अफसर के रूप में याद किया जाता है तो उज्जैन में सरकार ने उन्हें कॉरोना काल में एक लापरवाह अफसर मानकर हटा भी दिया था। ये तस्वीर का दूसरा पहलू है। सचिन अतुलकर अपनी फिटनेस और आकर्षक व्यक्तित्व के कारण चर्चा में छाए रहते हैं। उन्होंने दूसरी बार रिएलिटी शो बिग बॉस का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। उन्हें बिग बॉस के 13वें सीजन के लिए आमंत्रण मिला था लेकिन उन्होंने शासकीय सेवा और व्यस्तता का हवाला देते हुए इस ऑफर को ठुकरा दिया है।

सलमान खान के फैन सचिन अतुलकर के सोशल मीडिया पर लाखों फैन हैं। इसी कारण उन्हें बिग बॉस में शामिल होने के दो बार ऑफर दिए गए। उनकी कार्यशैली और कार्य करने का तरीका पुलिस विभाग के लिए एक मिसाल है। इससे पहले सचिन की दीवानगी में एक लड़की अपना घर छोड़कर उज्जैन आ गई थी। पंजाब की परमजीत कौर को उसके परिवार के साथ वापस भेज दिया गया। लड़की सचिन अतुलकर से मिलने की चाहत लेकर पंजाब से भागकर प्रदेश पहुंची थी। आपको बता दें कि सचिन अच्छे नर्तक भी हैं। विभाग को उनसे कोई शिकायत नहीं है।

पुलिस महकमे में बहुमुखी प्रतिभा के धनी अफसरों की कमी नहीं है। अतुल से पहले एक सुशोभन बनर्जी या मुखर्जी थे, वे सिनेमा के क्षेत्र में सक्रिय थे। लेखक तो अनेक हुए हैं। इसलिए सचिन पर उंगली उठाने की कोई वजह नहीं है। सरकार को चाहिए की जिस अधिकारी में जैसी प्रतिभा है उससे वैसा ही काम लिया जाये तो दोनों का फायदा है। (मध्‍यमत)
डिस्‍क्‍लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं।
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नोट- मध्‍यमत में प्रकाशित आलेखों का आप उपयोग कर सकते हैं। आग्रह यही है कि प्रकाशन के दौरान लेखक का नाम और अंत में मध्‍यमत की क्रेडिट लाइन अवश्‍य दें और प्रकाशित सामग्री की एक प्रति/लिंक हमें [email protected] पर प्रेषित कर दें।संपादक

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