राजनीतिक दलों का चलन भी अजीब है। चुनाव जमीन पर लड़ना होता है और प्रचार सितारों से करवाते हैं। आसमान से तारे तोड़ना मुमकिन न हो तो, जमीन पर ही तारे उगा लाते हैं। किस्सा ये है कि मध्यप्रदेश में बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने जा रहा है। गुरुवार को जब भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इस उपचुनाव के लिए अपने अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की, तो मुझे हंसी आ गई। मामला कोई गहन चिंतन या विमर्श का नहीं है, लेकिन बात उठी तो आज खुद को इस पर लिखने से रोक नहीं पाया।
मेरी पहली जिज्ञासा तो यही है कि लोकतंत्र में आपको वोट मांगने जनता के पास जाना है, इसमें कौनसा स्टार प्रचारक और कौनसा साधारण प्रचारक। काम भीख मांगने का है और ठसक स्टार की, क्या खूब अदा है…। वैसे इस ‘प्रचारक’ शब्द पर भी पुनर्विचार कर लिया जाए तो बेहतर होगा। आज नहीं तो कल इस पर बवाल होना पक्का है। किसी भी दिन इस शब्द को लेकर कोई सिरफिरा खड़ा हो जाएगा। असहिष्णुता उबाल लेने लगेगी। देश के भगवाकरण का आरोप लगाते हुए भाई लोग चुनाव आयोग को भी लपेटे में ले सकते हैं। कहा जा सकता है कि चुनाव आयोग देश का संघीकरण कर रहा है। सरकार इस देश में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की व्यवस्था और कार्यप्रणाली थोपना चाहती है। आदि आदि…
वैसे चुनाव में प्रचार करना पार्टी का काम है। इसमें कौन तो सितारा और कौन उल्का पिंड। आप जमीन का पत्थर बन जाएं वही बहुत है। लेकिन यह भारत में ही संभव हो सकता है, जहां सितारे प्रचार करेंगे और नेता जमीन का चुना जाएगा।
अब जरा सितारों की सूची पर भी नजर डाल लीजिए भारतीय जनता पार्टी ने घोड़ाडोंगरी विधानसभा उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी मंगल सिंह के समर्थन में प्रचार करने के लिए स्टार प्रचारकों की जो सूची घोषित की है, उसमें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर, थावरचन्द गेहलोत, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, प्रदेश संगठन प्रभारी डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय मंत्री ज्योति धुर्वे, अजजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष फग्गनसिंह कुलस्ते, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत, राष्ट्रीय आयामों के प्रमुख अरविन्द मेनन सहित 40 नेताओं एवं पार्टी पदाधिकारियों के नाम शामिल किए हैं। यह सूची इतनी लंबी है कि आपको पढ़ते पढ़ते झपकी आ जाए। मैं तो लिखते लिखते थक गया। इस सूची को पढ़ने के बाद ऐसा लगता नहीं कि भाजपा में कोई गैर स्टार या साधारण कार्यकर्ता भी बचा होगा।
पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से आकाशगंगा में ही विचर रही भाजपा की ओर से इन सितारों/ धूमकेतुओं के नाम का ऐलान होने के बाद तो मध्यप्रदेश में, एक कोने में दुबकी पड़ी कांग्रेस के होश वैसे ही उड़ जाने हैं। हालांकि पंजा लड़ाने की तर्ज पर (यहां पंजे को मुहावरे की तरह ही पढ़ें) कांग्रेस ने भी अपने स्टार प्रचारक घोषित कर दिए हैं। जरा उनके नाम भी सुन लीजिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह, मोहनप्रकाश, राकेश कालिया, दिग्विजयसिंह, अरुण यादव, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांतिलाल भूरिया, गुलाम नबी आजाद, सुरेश पचौरी, सचिन पायलट, शकील अहमद, संजय निरुपम, अभिनेत्री नगमा, खिलाड़ी मोहम्मद अजहरुद्दीन सहित यहां भी तुर्की ब तुर्की पूरे 40 नामों की सूची है। नतीजा कुछ भी निकले, स्टार प्रचारकों के मामले में तो कांग्रेस भाजपा को पूरी टक्कर दे रही है।
पुलिस में एक जमाने में परंपरा थी कि जब भी कोई बड़ा हाथ मारा जाता… माफ कीजिए… जब भी कोई बड़ा अपराधी पकड़ा या मारा जाता तो उसका प्रेस नोट एक वंशावली की तरह जारी होता था। उसमें थानेदार साहब की प्लानिंग, डीएसपी साहब की निगरानी, एसपी साहब की रणनीति, डीआईजी साहब के नेतृत्व, आईजी साहब के मार्गदर्शन से होती हुई बात डीजी साहब तक जाती थी। श्रेय का बंटवारा इसी भक्ति भाव से होता था। डाकू से भिड़ता था बेचारा कांस्टेबल, जान उसकी दांव पर लगी होती थी, लेकिन उसका नाम कहीं नहीं होता था।
हमारे राजनीतिक दल भी उसी पुलिसिया परंपरा का अनुसरण कर रहे हैं। सरदी, गरमी, बारिश में काम करता है बेचारा कार्यकर्ता लेकिन स्टार तो छोडि़ए वह कभी रेत के कण की तरह भी दर्ज नहीं होता। घोड़ाडोंगरी का ही मामला ले लें। क्या आपको लगता है कि वहां प्रचार करने के लिए अमित शाह और सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह व राहुल गांधी जैसे नेता जाएंगे? लेकिन चूंकि मामला स्टार बनाने का है, इसलिए ये सारे नाम सूची में मौजूद हैं। काम धेले भर का ना हो, पर माला जपने में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए और वही हो रहा है। मैं शर्त लगा सकता हूं कि आप अचानक इन नेताओं से घोड़ाडोंगरी के बारे में पूछ लीजिए, मेरा दावा है कि इनमें से ज्यादातर ‘सितारों’ ने उस जगह को देखना तो दूर उसका नाम तक नहीं सुना होगा। लेकिन जैसा मैंने कहा, हेड कांस्टेबल का काम है सबके नेतृत्व, मार्गदर्शन, प्लानिंग आदि का जिक्र करना, वही यहां भी हो रहा है। घोड़ाडोंगरी वालो… सावधान! आपके माथे पर सितारे टपकने ही वाले हैं….