नई दिल्ली, मई 2016/ सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मानहानि की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि यह कानून बना रहेगा। कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मानहानि के लिए तय आईपीसी की धाराएं 499 और 500 रद्द नहीं होंगी। इन धाराओं के खिलाफ कोर्ट में दलील दी गई थी कि आईपीसी का यह प्रावधान संविधान से मिले अभिव्यक्ति के अधिकार का उल्लंघन करता है। गौर हो कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी सहित 20 मशहूर हस्तियों ने इस कानून को रद्द करने की मांग की थी। जबकि केंद्र सरकार इस कानून को बनाए रखने के पक्ष में थी। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 2 साल की सजा का प्रावधान है।

सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अहम है, जो संविधान प्रदत्त है, लेकिन किसी व्यक्ति के सम्मान से जीने का हक भी संविधान से मिला है, जिसे बाधित नहीं किया जा सकता है। मानहानि में जेल भेजे जाने का प्रावधान कायम रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने देश के सभी मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिए हैं कि वे निजी मानहानि की शिकायतों पर समन जारी करते समय बेहद सावधान रहें। कोर्ट ने राहुल गांधी, केजरीवाल, स्वामी और अन्य की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि मानहानि के मामलों में जारी समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना उन पर निर्भर करता है। कोर्ट ने कहा कि 8 सप्ताह के अंदर हाई कोर्ट जाने तक अंतरिम राहत जारी रहेगी और निचली अदालत के समक्ष फौजदारी कार्यवाही स्थगित रहेगी।

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नीति किसी को पसंद नहीं है तो उसकी आलोचना मानहानि के दायरे में नहीं है। भारतीय संविधान में सभी को बोलने और अभिव्यक्ति का अधिकार मिला है। ऐसे में आलोचना में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन ऐसी कोई भी आलोचना, जिससे किसी व्यक्ति विशेष के सम्मान को ठेस पहुंचती हो, वह मानहानि के दायरे में आएगी। इससे पहले केजरीवाल के खिलाफ निचली अदालत में चल रहे मानहानि से संबंधित मामले की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। मानहानि से संबंधित धाराओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दलील दी गई थी कि मानहानि से संबंधित आपराधिक कानून को खत्म किया जाना चाहिए। साथ ही केजरीवाल ने आईपीसी की धारा-499 व 500 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की इस याचिका को पहले से दाखिल सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के साथ जोड़ दिया था। स्वामी ने मानहानि से संबंधित आपराधिक मामलों से संबंधित आईपीसी की धारा की संवैधानिक वैधता को चुनौती दे रखी है। बाद में राहुल गांधी ने भी मानहानि के प्रावधान को चुनौती दी थी, जिसे भी इन याचिकाओं के साथ जोड़ दिया गया था।

गौरतलब है कि राहुल गांधी पर महाराष्ट्र के भिवंडी में आरएसएस पर टिप्पणी करने के खिलाफ मानहानि का मामला है, वहीं अरविंद केजरीवाल डीडीसीए विवाद में अरुण जेटली का नाम घसीटने को लेकर मानहानि केस का सामना कर रहे हैं। स्वामी पर दर्ज मानहानि का मामला तमिलनाडु से संबंधित है।

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