दोस्तो! आज से हम एक और नई शुरुआत कर रहे हैं। हम नियमित रूप से आप तक एक ऐसी प्रेरक कहानी या नीति कथा पहुंचाएं जो आपके जीवन को दिशा देने वाली हो। हमारी कोशिश होगी कि प्रतिदिन एक कहानी आप को मिले।फिलहाल कुछ व्यावहारिक दिक्कतों के चलते रोज ऐसा संभव नहीं होगा, लेकिन हम वादा करते हैं कि यह क्रम जल्दी ही प्रतिदिन हो जाएगा। इस नई पहल की पहली कड़ी में आज पढि़ए रूसी साहित्यकार लियो टॉलस्टाय की कहानी ‘तीन प्रश्न’
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एक राजा के मन में तीन प्रश्न अक्सर उठा करते थे जिनका उत्तर उसे किसी से नहीं मिलता। एक दिन उसने अपने मंत्री से सलाह कर अपने प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए सभासदों की बैठक बुलाई और उनके सामने वही तीन प्रश्न रखे-
- सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य क्या होता है?
- सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति कौन होता है?
- कोई भी काम करने का सबसे महत्त्वपूर्ण समय कौन सा होता है?
लेकिन सभासदों में से भी कोई राजा के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया। तभी किसी ने बताया कि जंगल में एक साधु हैं जो शायद इन प्रश्नों के ठीक ठीक उत्तर दे सकते हैं। राजा साधारण वेष में अपने कुछ सैनिकों एवं गुप्तचरों के साथ जंगल को चल दिया। जब वे सब साधु की कुटिया के पास पहुंचे तो राजा ने सैनिकों व गुप्तचरों को दूर रहने का आदेश दिया और खुद अकेला ही साधु की ओर चल पड़ा।
कुटिया के पास ही खेत पर कुदाल चला रहे साधु ने राजा को देखा तो आने का कारण पूछा। राजा ने तीनों प्रश्नों वाली अपनी जिज्ञासा बताई। साधु ने जवाब देने के बजाय राजा को इशारा किया वह भी कुदाल उठाए और खेत जोतने में मदद करे। प्रश्नों का जवाब पाने की गरज से राजा खेत जोतने लगा। कुदाल चलाते चलाते शाम हो गई।
इतने में खून से लथपथ एक घायल व्यक्ति उस साधु से मदद लेने आया। साधु और राजा ने उसका उपचार किया। दर्द से राहत मिलने पर वह व्यक्ति वहीं सो गया। सुबह उठा तो राजा से माफी मांगने लगा। राजा को बड़ा ताज्जुब हुआ। तब घायल ने बताया कि वह तो राजा की हत्या करने आया था। क्योंकि राजा ने उसके भाई को फांसी दे दी थी। वह मौके की तलाश में था। लेकिन राजा के सैनिकों ने उसे पकड़ लिया, संघर्ष में जैसे तैसे वह छूट कर भागा। उसने राजा से कहा- मैं तो आपको मारने आया था पर आपने मेरी जान बचाई। मैं आज से आपका दास हूं। आप जो चाहे दण्ड दे दें। घायल की बात सुनकर राजा हक्का बक्का रह गया। उसने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया।
राजा की मनोदशा देख साधु मुस्कुराया, उसने पूछा- राजन, आपको अपने प्रश्नों के उत्तर मिले या नहीं? राजा कोई जवाब नहीं दे पाया तो साधु ने कहा- आपका पहला प्रश्न था कि सबसे महत्वपूर्ण कार्य क्या होता है? उसका जवाब है जो आपके सामने हो वही सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। जैसे मैंने आपसे खेत जोतने को कहा। यदि आप खेत नहीं जोतते तो शायद आपके प्राण भी नहीं बचते।
दूसरा प्रश्न था कौनसा व्यक्ति महत्त्वपूर्ण होता है? तो जो हमारे सामने हो वही व्यक्ति सबसे महत्वपूर्ण होता है। उस समय वह घायल व्यक्ति आपके सामने था जिसकी आपने मदद की। उसके प्राण बचे और एक घोर शत्रु आपका मित्र हो गया।
तीसरा प्रश्न था- कोई भी काम करने का सबसे महत्त्वपूर्ण समय कौन सा होता है? तो उसका जवाब है- अभी! … जो भी काम करना है उसे टालने के बजाय अभी कर डालो। यही समय सबसे महत्वपूर्ण है।
दोस्तो, यह कहानी हमें सीख देती है कि वर्तमान के महत्त्व को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। भविष्य की चिंता में वर्तमान यदि बिगड़ गया तो हम हाथ ही मलते रह जाएंगे। हमारे सामने जो काम है उसे पूरा मन लगाकर करना या समय का सदुपयोग करना बहुत आवश्यक है। वही हमारे सुनहरे भविष्य का निर्माण करता है।