भोपाल/ प्रख्यात क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तुलना में प्रिंट मीडिया आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ज्यादा प्रभावी और जवाबदारी से अपनी भूमिका निभाता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया आतंकवाद को फैलाने का एक बड़ा हथियार बन गया है। इसलिए सोशल मीडिया पर उपलब्ध आतंकी साहित्य और उनकी गतिविधियों को तलाश कर उनके प्लेटफार्म को भी समाप्त किये जाने की जरूरत है।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा ‘वैश्विक आतंकवाद और मीडिया’ विषय पर आयोजित फेसबुक लाइव के दौरान अग्रवाल ने कहा कि भारत में सायबर आतंकवाद को खत्म करने के लिए तकनीकी रूप से और अधिक संसाधन जुटाए जाना जरूरी है। इसके अलावा राज्य पुलिस को भी सायबर तकनीक में पारंगत करने की आवश्यकता है।
सोशल मीडिया शिक्षित वर्ग को आतंकवाद से प्रभावित करने का सबसे बड़ा प्लेटफार्म बनता जा रहा है। मीडिया को इस बारे में भी सोचने की आवश्यकता है। आतंकवाद से जुड़ी खबरों को प्रस्तुत करने में मीडिया कई बार आतंकवादियों के हाथों अनजाने में इस्तेमाल भी हो जाता हैं। इसके लिए जरूरी है कि मीडिया और संपादक और अधिक जिम्मेदारी से तय करें कि क्या दिखाया जाना है क्या नहीं।
भाषायी पत्रकारिता आतंकवाद के खात्मे में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। आतंकवाद की समस्या विश्व के हर कोने में है। केवल धरती ही नहीं, अब आतंकवाद जल क्षेत्रों में भी समुद्री लुटेरों के रूप में पहुंच कर आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। पूरे विश्व में उदार लोकतंत्र से लेकर कठोर साम्यवादी राष्ट्र जैसे चीन और रूस में भी आतंकवाद एक बड़ी समस्या है। खासतौर पर अमेरिका में हुई आतंकवादी हमले की घटना के बाद विश्व में आतंकवाद को गंभीर समस्या के रूप में स्वीकार कर लिया गया है।
मीडिया छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि केवल अनपढ़ और गरीब ही नहीं आतंकवाद में शिक्षित युवाओं को भी शामिल कराया जा रहा है। नशीले पदार्थ, सोने की तस्करी, नकली नोट का कारोबार, अपहरण, हफ्ता वसूली जैसे अपराधिक गतिविधियों से ही आतंकवाद के लिये पैसा जुटाया जाता है।
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टीम मध्यमत