सिंधिया के गढ़ में सेंध लगाने की शिवराज की कोशिश

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मध्‍यप्रदेश के मुंगावली और कोलारस दोनों विधानसभा उपचुनावों के लिए चुनाव आयोग द्वारा कार्यक्रम की घोषणा कभी भी की जा सकती है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी से पूरी तरह अपने-अपने पक्ष में जनमानस को मोड़ने के लिए ताकत लगाने लगे हैं। सवाल यही है कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा क्षेत्र में आने वाले इन विधानसभा क्षेत्रों में जो कि सिंधिया के मजबूत गढ़ समझे जाते हैं, में शिवराज सेंधमारी करने में सफल रहेंगे।

यदि शिवराज सिंधिया के असर को कम करते हुए इन सीटों पर भाजपा की फतह का झंडा लहरा देते हैं तो फिर उनके लिए 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद चौथी बार भाजपा सरकार बनाने की राह कुछ आसान हो जायेगी। ज्योतिरादित्य उनके मुकाबले कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के संभावित चेहरे हैं और यदि उनके ही गृह निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा जीत जायेगी तो इससे एक ओर जहां कांग्रेसजन हतोत्साहित होंगे तो वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं का हौसला काफी बुलंद हो जाएगा।

दलितों और किसानों के बीच भाजपा और कांग्रेस का जनाधार बढ़ाने में कोई कोर-कसर शिवराज और ज्योतिरादित्य दोनों ही नहीं छोड़ रहे हैं। किसान चूंकि इन दिनों भाजपा सरकार से नाराज चल रहे हैं इसलिए उनको अपने पाले में लाने कांग्रेस सक्रिय है। शिवराज ने भी मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में किसानों का दिल जीतने के लिए कहा है कि उनकी प्राथमिकता यह होगी कि किसान पुत्र कृषि उत्पाद के उद्योग स्थापित करें, इसके लिए सरकार उन्हें ॠण के रूप में बड़ी राशि दिलायेगी। सरकार खेती के साथ ही किसानों के बेटे-बेटियों के लिए अभिनव योजना शुरू कर रही है जिसके तहत ॠण की गारंटी बैंकों को राज्य सरकार देगी।

अशोकनगर जिले के मुंगावली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बहादुरपुर और सहराई में विशाल किसान सम्मेलन एवं भावान्तर राशि भुगतान समारोह में 13 हजार 281 किसानों को 34 करोड़ रुपये से ज्यादा की भावान्तर राशि के स्वीकृति पत्र शिवराज ने वितरित किए। उन्होंने 13 करोड़ 72 लाख रुपये की लागत के दो निर्माण कार्य जनता को समर्पित करने के साथ ही साथ 146 करोड़ से ज्यादा की लागत के 17 निर्माण कार्यों का शिलान्यास भी किया और 7534 हितगाहियों को योजना के करीब 32 करोड़ के हितलाभ पत्र भी सौंपे।

गरीबों का दिल जीतने के उद्देश्य से शिवराज ने कहा कि गरीबों के लिए बिजली का बिल मीटर के आधार पर भिजवाने के स्थान पर एक निर्धारित राशि का बिल भिजवाने के लिए नियमों में बदलाव किया जाएगा। उन्होंने क्षेत्र के प्रसिद्ध करीला मॉ जानकीधाम के विकास के लिए प्राधिकरण बनाने के साथ ही यहां स्थापित मंदिर के कायाकल्प के लिए एक करोड़ रुपए देने की घोषणा की और रोड-शो भी किया। विधानसभा उपचुनाव के पूर्व ऐसी ही घोषणाओं की झड़ी और मतदाताओं को अपने पाले में करने के प्रयास शिवराज ने चित्रकूट में भी किए थे लेकिन वहां के मतदाताओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और कांग्रेस ने अपनी सीट बचा ली।

मुंगावली और कोलारस में कांग्रेस की सीट बचाने के लिए जहां एक ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बूथ स्तर पर माइक्रो मैनेजमेंट कर लिया है वहीं किसानों व दलितों के बीच पैठ बढ़ाने के लिए दलित, कार्यकर्ता और किसान सम्मेलन कर चुके हैं। शिवराज ने शुक्रवार को किसान सम्मेलन किया तो अब रविवार को अशोकनगर के मुंगावली विधानसभा क्षेत्र के पिपरई में एक विशाल जन-आक्रोश रैली ज्योतिरादित्य सिंधिया करने जा रहे हैं। किसानों के मुद्दे पर शिवराज सरकार की घेराबंदी वे अपने आक्रामक अंदाज में करेंगे।

वहीं छिंदवाड़ा जिले की कुछ जनसभाओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री सांसद कमलनाथ ने ऐलान किया है कि कांग्रेस की सरकार बनेगी तो किसानों का कर्ज माफ होगा। इसी लाइन को सिंधिया भी लिए हुए हैं कि कर्जमुक्ति सहित किसानों की समस्याओं का निराकरण कांग्रेस की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। गुजरात विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वहां के किसानों को भरोसा दिलाया था कि कांग्रेस की सरकार बनने के दस दिन के भीतर किसानों के कर्ज माफ कर दिए जायेंगे। इस प्रकार अब लगता है कांग्रेस आने वाले सभी चुनावों में किसानों की कर्जमाफी को अपने घोषणापत्र का स्थायी अंग बनायेगी ताकि किसानों के बीच से उसकी सत्ता में आने की राह आसान हो सके।

कोलारस और मुंगावली जैसे ज्योतिरादित्य के गढ़ में सेंध लगाना शिवराज के लिए आसान नहीं है क्योंकि एक तो यहां कांग्रेस की मजबूत पकड़ है और दूसरे यह उपचुनाव उसके ही विधायकों के निधन के कारण हो रहे हैं जिसमें उसे कुछ सहानुभूति लहर का फायदा भी मिल सकता है। अपने लोकसभा क्षेत्र में ज्योतिरादित्य का बेहतरीन माइक्रो बूथ मैनेजमेंट भी है। शिवराज की कोशिश यह है कि कम से कम एक क्षेत्र कांग्रेस से छीन लिया जाए और भाजपा ने कोलारस में अधिक ताकत लगाने की रणनीति बनाई है क्योंकि अंदरूनी सर्वे और कार्यकर्ताओं के फीडबैक से उसे मुंगावली जीत पाना टेढ़ी खीर नजर आ रहा है।

यदि भाजपा कोलारस ही जीत लेती है तो इससे कांग्रेस को धीरे से जोर का झटका लगेगा, क्योंकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांतिलाल भूरिया को हराने का जो लक्ष्य दे रखा है वह भाजपा के लिए कुछ आसान नजर आने लगेगा। इसीलिए शिवराज चाहते हैं कि ज्योतिरादित्य के इन दोनों गढ़ों में सेंध लगाई जाए। चूंकि अब 2018 के पूर्व कोई और विधानसभा उपचुनाव नहीं होना है इसलिए इनके ही जो नतीजे निकलेंगे उसके आधार पर भाजपा या कांग्रेसियों के हौसले बुलंद होंगे।

कांग्रेस की कोशिश यह है कि 2018 के विधानसभा चुनाव तक किसानों में सरकार के प्रति जो असंतोष है उसे और बढ़ाया जाए। भाजपा सरकार व संगठन को भी यह फीडबैक मिला है कि समय रहते किसानों में पनप रहे असंतोष को दूर नहीं किया गया तो विधानसभा चुनाव में पार्टी को इसका खमियाजा भुगतना ही पड़ेगा। भाजपा संगठन भी अब किसानों का असंतोष दूर करने के लिए कमर कस रहा है। इसके लिए वह किसानों के बीच काम करने वाले विशेषज्ञों की सलाह लेगा और जगह-जगह किसान चौपालें लगायेगा जिसमें विशेषज्ञ एवं भाजपा नेता साथ रहेंगे।

किसानों के गले यह बात उतारने की कोशिश की जा रही है कि शिवराज किसान पुत्र हैं और उनकी सरकार की नीतियां किसानों के सर्वाधिक हित में हैं और भाजपा ही असली किसान-हितैषी पार्टी है। किसानों में पनपते असंतोष को दूर करने और भाजपा के मिशन 2018 में “200 प्लस’’ के नारे को सफल बनाने के लिए गांव-गांव में भाजपा विशेषज्ञों को भेजकर सीधे संवाद स्थापित करेगी ताकि नये सिरे से पार्टी के प्रति सद्भाव बनाया जा सके। किसान चौपाल में सरकारी किसान हितैषी नीतियों को रेखांकित किया जायेगा। किसानों की समस्याओं व सुझावों को लिपिबद्ध कर उनके निराकरण की पहल होगी ताकि मिशन 2018 पर किसान असंतोष का ग्रहण न लग पाये।

(सुबह सवेरे में प्रकाशित अरुण पटेल का आलेख साभार)

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