अगर आप सोशल मीडिया या मीडिया के चक्कर में पड़े हुए हैं तो मानकर चलिए कि ये आपको घनचक्कर बनाकर ही छोड़ेंगे। इन पर रोज कोई न कोई नए नए चारे करता रहता है और देखते ही देखते देश के हजारों लोगों पर वह वायरल बुखार चढ़ जाता है।
ऐसा ही एक चारा सूचना प्रसारण और खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौर ने पिछले दिनों डाला। उन्होंने 22 मई को अपने ऑफिस में वर्कआउट करते हुए खुद का एक वीडियो अपलोड किया और उसे ट्वीट करते हुए रितिक रोशन, विराट कोहली और सायना नेहवाल को यह फिटनेस चैलेंज जॉइन करने की चुनौती दी।
अपने वीडियो संदेश में राज्यवर्धन ने कहा- ‘’नमस्कार दोस्तो, मैं जब भी प्रधानमंत्री को देखता हूं तो उनसे प्रेरित होता हूं। उनमें एक जबरदस्त ऊर्जा है दिन रात काम करने की और वो चाहते हैं कि पूरा भारत फिट हो जाए। अब मैं उनसे प्रेरित होकर अपने काम में थोड़ा सा व्यायाम शामिल करता हूं। आपके फिटनेस का मंत्र क्या है, एक वीडियो बनाइए, पिक्चर लीजिए और सोशल मीडिया पर डाल दीजिए, ताकि पूरा देश प्रेरित हो जाए। आइए हम सब मिलकर एक फिट इंडिया बनाएं। हम फिट तो इंडिया फिट…’’
फिटफाट रहना कोई बुरी बात नहीं है। स्वस्थ शरीर वाले नागरिक किसी भी देश की पूंजी होते हैं। लोग स्वस्थ हैं, फिट हैं तो मानकर चलिए कि वह समाज वह देश भी फिट ही होगा। वैसे भी हमारे यहां कहा गया है कि स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। रोगग्रस्त नागरिक और रोगग्रस्त समाज लेकर कोई भी देश तरक्की नहीं कर सकता।
तो जैसे ही राज्यवर्धन का ट्वीट आया, वह देखते ही देखते वायरल हो गया। क्रिकेटर विराट कोहली ने अगले ही दिन चैलेंज स्वीकार करते हुए अपना वीडियो अपलोड कर ट्वीट किया- ‘’मैंने राज्यवर्धन सर का फिटनेस चैलेंज स्वीकार किया है और अब मैं अपनी पत्नी अनुष्का, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और धोनी भाई को चैलेंज करना चाहूंगा।‘’
इस अभियान ने उस समय नई ऊंचाई को छू लिया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विराट कोहली का चैलेंज मंजूर करते हुए जवाबी ट्वीट में कहा ‘’ चैलेंज मंजूर है विराट, मैं जल्दी ही अपना वीडियो शेयर करूंगा।’’ गौरतलब है कि प्रधानमंत्री खुद अपनी फिटनेस बनाए रखने के लिए योग करते हैं और उनकी ही पहल पर पूरी दुनिया में योग दिवस भी मनाया जाने लगा है।
लेकिन बात यहां खत्म नहीं हुई। जैसाकि हमारे यहां प्रचलन है, जब तक किसी बात में राजनीति न घुसेड़ी जाए तब तक उसका आनंद ही नहीं आता। सो इस मामले में भी राजनीति का प्रवेश हुआ, जैसे ही प्रधानमंत्री का ट्वीट आया कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उस पर तंज कसते हुए मोदी जी को एक नई चुनौती दे डाली।
राहुल ने ट्वीट किया- ‘’डियर पीएम, यह देख कर खुशी हुई कि आप ने विराट कोहली का फिटनेस चैलेंज स्वीकार किया। यहां मेरी ओर से भी एक चैलेंज है। आप तेल की कीमतों को कम करें, नहीं तो कांग्रेस देश भर में प्रदर्शन करेगी और आपको ऐसा करने को मजबूर करेगी। मैं आपके जवाब का इंतजार कर रहा हूं।’’
राहुल का ट्वीट आया तो बाकी कांग्रेसी भी उत्साह में आ गए। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर पीएम मोदी को युवाओं को 2 करोड़ जॉब मुहैया कराने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, विदेशों से काला धन वापस लाने, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर नकेल कसने और चीन द्वारा भारत की सीमा में घुसपैठ रोकने जैसे जाने कितने चैलेंज एकसाथ दे डाले।
जब कांग्रेस चुनौती दे रही थी तो बाकी दल भला पीछे कैसे रहते। लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी मोदी को ट्वीट कर डाला-‘’मैं भी आपको चैलेंज करता हूं कि, नौजवानों को रोजगार दें, किसानों को राहत, दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बंद करवाएं। क्या आप मेरा चैलेंज स्वीकार कर रहे हैं?’’
जाहिर है प्रधानमंत्री ऐसे ‘फालतू टाइप’ के ट्वीट अव्वल तो देखते नहीं और कोई उनके संज्ञान में ला भी दे तो वे ऐसे लोगों को बिलकुल भाव नहीं देते। वैसा ही हुआ और प्रधानमंत्री की तरफ से न राहुल को कोई जवाब आया और न ही तेजस्वी यादव को।
अब इस पूरे किस्से को पढ़ते हुए मैं सोचता रहा कि गजब है भाई हमारा देश। बेकार ही यहां बेरोजगारी या काम नहीं होने का रोना रोया जाता है। देखिए जरा, निठल्ले से निठल्ले लोगों तक को सरकार और मीडिया ने काम पर लगा रखा है। सबके सब पुशअप या वर्कआउट के वीडियो अपलोड करने में लगे हैं। हमारे अपने मध्यप्रदेश के ही जनकवि दुष्यंत ने लिखा था-
भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ
आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ।
तो आपके पास अगर कोई काम नहीं है तो आप भी पुशअप करिए। अरे फिट रहेंगे तभी तो किसी काम के लायक रहेंगे। फिट नहीं हुए तो यही बहाना बनाकर आपको टरका दिया जाएगा कि यार बाकी तो सब ठीक है पर तुम ‘फिट’ नहीं हो। हमारे यहां सारी नौकरियों में लोग ऐसे ही तो ‘फिट’ होते हैं।
दुष्यंत आज होते तो कुछ यूं कहते-
भूख है तो पुशअप कर रोटी नहीं तो क्या हुआ
आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ।
वैसे मुझे लगता है कि साला हमारा लोकतंत्र भी आखिरकार पुश-अप ही है। चुनाव में इधर हम किसी के नाम का बटन ‘पुश’ करते हैं और उधर वह ‘अप’ होकर हमारे ही माथे पर आकर बैठ जाता है। और बैठ जाए वहां तक भी ठीक है, पर वह हमारे ही माथे पर बैठकर हमें पुश करने लगता है। और हमारी उस हालत को गालिब के शब्दों में बयां करें तो-हम हैं कि कभी अपने पुश को, कभी उसके अप को देखते रहते हैं…