खैरागढ़ जीत के असली हीरो भूपेश बघेल

रवि भोई

खैरागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा की 20 हजार से अधिक मतों से जीत से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कद काफी ऊंचा हो गया है। कांग्रेस की जीत से भाजपा के साथ भूपेश बघेल के विरोधियों को भी करारा झटका लगा है। खैरागढ़ में प्रत्याशियों से ज्यादा दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। खासतौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिस तरह ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं लेकर माहौल बनाया और पार्टी प्रत्याशी को जीत दिलाई, उसके चलते जीत के असली हीरो तो वही हैं।  लोग कह रहे हैं खैरागढ़ उपचुनाव जीतने के लिए भूपेश बघेल का जिले और तहसील का दांव मास्टर स्‍ट्रोक साबित हुआ। वहीं भूपेश सरकार के साढ़े तीन साल के कामकाज पर मुहर भी लग गई।
इस उपचुनाव में भाजपा की तरफ से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान समेत केंद्रीय मंत्री भी लगे थे। इसके बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी की 20 हजार से अधिक मतों से जीत भूपेश बघेल सरकार के लिए बड़े मायने रखती है। भाजपा इस उपचुनाव को 2023 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानकर मैदान में उतरी थी। कांग्रेस की जीत से भूपेश सरकार का लिटमस टेस्ट भी हो गया। यह उपचुनाव दंतेवाड़ा, मरवाही और चित्रकोट से अलग था। भाजपा ने कांग्रेस की चौकस घेराबंदी की थी, फिर भी भाजपा प्रत्याशी कोमल जंघेल के सिर सेहरा नहीं बंध पाया। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को वादे के मुताबिक़ खैरागढ़ क्षेत्र की जनता को तोहफा देना होगा।

‘आप’ ने उड़ाई छत्तीसगढ़ के कुछ नेताओं की नींद
पंजाब में कब्जे के बाद आम आदमी पार्टी हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और गुजरात के साथ छत्तीसगढ़ में भी जमीन तलाशने में लग गई है। आम आदमी पार्टी ने लोरमी के रहने वाले डॉ. संदीप पाठक को पंजाब से राज्यसभा भेजकर दांव चला है। अब 18 अप्रैल को आम आदमी पार्टी बिलासपुर में रैली निकालने जा रही है। इसमें डॉ. संदीप पाठक, गोपाल राय के साथ कई नेता रहने वाले हैं। चर्चा है कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब में लगी टीम को 19 अप्रैल से छत्तीसगढ़ में चुनावी तैयारी के लिए लगाने का फैसला किया है। यह टीम विधानसभा चुनाव निपटने तक छत्तीसगढ़ में रहेगी। आम आदमी पार्टी की तैयारी से बिलासपुर संभाग के कुछ विधायकों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं और उनकी नींद भी हवा होने लगी है। लहर में कांग्रेस के विधायक बन गए एक नेताजी को तो आम आदमी पार्टी का झोंका भूत जैसा दिखाई पड़ने लगा है।

शाह के दरबार में भूपेश बघेल को भाव
सुना है 13 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच करीब एक घंटे तक मुलाक़ात चली। बताया गया कि दोनों नेताओं के बीच नक्सल, फंड और सुरक्षा के मुद्दे पर बातचीत हुई। लोग इसका मतलब यह निकाल रहे हैं कि शाह के दरबार में भूपेश बघेल को भाव मिला। इसका संकेत है कि छत्तीसगढ़ के लिए कुछ अच्छा होना है। आमतौर पर दिल्ली में बैठे नेता और ब्यूरोक्रेट छत्तीसगढ़ को छोटा राज्य मानते हैं और उसी नजरिए से देखते हैं। कहा जा रहा है कि भूपेश बघेल की आक्रामकता से छत्तीसगढ़ दिल्ली वालों की नजरों में चढ़ा है।

आरडीए और स्मार्ट सिटी पोस्टिंग की प्रयोगशाला
कांग्रेस सरकार में आरडीए और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्‍ट अफसरों की पोस्टिंग की प्रयोगशाला बन गए हैं। शहर विकास से जुडी दोनों सरकारी संस्थाओं में पिछले साढ़े तीन साल के भीतर कई कार्यपालक मुखिया की पोस्टिंग हो चुकी है। अधिकांश अफसर दोनों संस्थानों में साल पूरा होने से पहले दूसरी जगह चले जा रहे हैं। लोग कह रहे हैं अफसर काम समझने से पहले ही विदा हो रहे हैं, जिसका सीधा असर संस्था के कामकाज पर पड़ रहा है। अभी तक आरडीए के सीईओ का काम कई प्रभारों के साथ अभिजीत सिंह देख रहे थे, उनकी जगह चंद्रकांत वर्मा को पदस्थ किया गया है। वर्मा के पास आरडीए का ही चार्ज है। 2017 बैच के आईएएस चंद्रकांत वर्मा अब आरडीए में कितने दिन रहते हैं, देखना है? अभी तक स्मार्ट सिटी में प्रबंध संचालक अभिजीत सिंह और अतिरिक्त प्रबंध संचालक चंद्रकांत वर्मा थे। अब सरकार ने स्मार्ट सिटी की जिम्मेदारी रायपुर जिला पंचायत के सीईओ मयंक चतुर्वेदी को अतिरिक्त रूप से सौंपी है। कहते हैं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में जल्द ताला लगने वाला है, इस कारण सरकार ने उसे महत्व देना बंद कर दिया है। केंद्र और राज्य सरकार की बराबर हिस्सेदारी वाला यह प्रोजेक्ट पांच साल के लिए था। इसे एक साल के लिए बढ़ाया गया है।

2023 विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का सर्वे
2023 विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने जमीन नापनी शुरू कर दी है। 15 साल सत्ता में रही भाजपा 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों बुरी तरह मात खा गई थी। कहा जा रहा है कि भाजपा ने 2023 में सत्ता में वापसी के लिए जमीनी हकीकत जानने के वास्ते विधानसभा वार सर्वे शुरू कर दिया है, जिसके तहत प्रत्याशियों की तलाश के साथ जीत की रणनीति का भी खाका बन रहा है। सर्वे के काम में आरएसएस के लोग भी हैं। चर्चा है कि 2023 में जीत के लिए भाजपा 80 से 90 फीसद सीटों में नए व अनजान चेहरों पर दांव लगा सकती है।

मंचों से अफसरों की तारीफ
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आईएएस कॉन्क्लेव में अफसरों की पीठ थपथपाई। शिवरीनारायण में भगवान श्रीराम के निहितार्थ आयोजित कार्यक्रम और बिलासपुर के कृषि मेला में भी मुख्यमंत्री ने अफसरों की मेहनत पर मुहर लगाईं। दोनों कार्यक्रमों में मंच पर विराजे मंत्रियों ने भी अफसरों की प्रशंसा की। शिवरीनारायण और बिलासपुर के सरकारी कार्यक्रम में मंच पर कांग्रेसियों का मजमा रहा, फिर भी कमिश्नर, आईजी, कलेक्टर-एसपी और दूसरे अफसरों को मंच पर कुर्सी मिल गई।  आमतौर पर नेता-मंत्री के साथ अफसर मंच पर नहीं विराजते, लेकिन समय के साथ ट्रेंड भी तो बदलता है। अब देखते है कितने अफसर भूपेश सरकार के मुरीद बनते हैं?

छत्तीसगढ़ी में भाषण
वैसे छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी अभी जन-जन की भाषा नहीं बन पाई है और हर किसी की जुबान से छत्तीसगढ़ी निकलती नहीं है, पर किसानों के कार्यक्रम में मंच से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने अपना पूरा भाषण छत्तीसगढ़ी में देकर किसानों का मन मोह लिया। छत्तीसगढ़ में किसान राजनीति के केंद्र में रहते हैं और उन्हें साधने के लिए हर पार्टी के लोग तरह-तरह के दांव चलते रहते हैं। माना जाता है कि यहां जिस दल से किसान खुश होंगे, उसी दल की चुनावी नैया पार लगना तय है। करीब डेढ़ साल बाद यहां विधानसभा चुनाव होना है। सत्ता में कांग्रेस है, ऐसे में कांग्रेस सरकारी कार्यक्रमों के बहाने किसानों से रिश्ता प्रगाढ़ करने में लगी है।

कांग्रेस की राजनीति में ठाकुरवाद
कांग्रेस की राजनीति में ठाकुरवाद की झलक जब-तब दिखाई पड़ ही जाती है। इस ठाकुरवाद के तार भाजपा से भी जुड़े हैं। खबर है कि बिलासपुर में पदस्थ स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी को हटाने के लिए कांग्रेस के स्थानीय ठाकुर नेता ने स्वास्थ्य मंत्री से अप्रोच लगाया, साथ में भाजपा के एक नेता की पत्नी से भी मंत्री को फोन करवा दिया। कहा जाता है कि ठाकुर नेता के बिलासपुर के विधायक से अच्छे संबंध हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसर को हटवाने के लिए बिलासपुर विधायक से भी दबाव डलवाया गया। स्वास्थ्य विभाग के अफसर को भी पहुँच वाला बताया जाता है। अफसर ने भी अपनी गोटी फिट कर ठाकुर नेता के वार को फिलहाल तो नाकाम कर दिया है। देखते हैं आगे क्या होता है?
(लेखक छत्‍तीसगढ़ के वरिष्‍ठ पत्रकार हैं।)

(मध्यमत)
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