सूर्य के देवत्व की वैज्ञानिक जांच करने निकला है ‘प्रोब’

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अजय बोकिल

पौराणिक कथा के अनुसार जब बाल हनुमान ने उगते सूरज को मीठा फल समझ कर गपक लिया था, तब क्या हनुमान में सूर्य की भीषण को पचा लेने की ताकत थी? क्योंकि हकीकत में हर क्षण आग में खदकते सूर्य को गपकना तो दूर उसके आस-पास फटकना भी मनुष्य के लिए अभी असंभव है। सूरज की यह असमाप्त आग ही उसे सौरमंडल में खास बनाती है। अनुपम तेजस्वी बनाती है। ऐसी तेजस्विता कि जिसके असर से दूसरे जी जाएं या फिर खाक हो जाएं।

ऋग्वेद में सूर्य को समूचे स्थावर जंगम (चल-अचल) का स्वामी कहा गया है। मनुष्यों में प्रतिभा और प्रताप का सर्वोच्च पैमाना सूर्य ही है। वह जितना बड़ा है, उतना ही रहस्यमयी भी है। सूरज पर मिथक तो खूब रचे गए, लेकिन उसके नजदीक जाकर उसकी तासीर को समझने और उसके भीतर होने वाले सतत अग्नि विस्फोटों के कारणों को उजागर करने के वैज्ञानिक प्रयत्न कम हुए हैं। इस लिहाज से नासा का सूर्य के नजदीक पहुंचने की कोशिश करने वाला पार्कर सोलर प्रोब यान, संभव है कि सूर्य के देवत्व के साथ-साथ उसकी विराट ऊर्जा स्रोत होने के रहस्यों पर से भी कुछ पर्दा उठाए।

पृथ्वी हमारे लिए भले सब कुछ हो, लेकिन वह बहुत कुछ सूर्य के कारण, उसके प्रकाश के कारण ही है। सौरमंडल का स्वामी सूर्य पृथ्वी से 13 हजार गुना बड़ा है और धरती से 14 करोड़ 96 लाख किमी दूर है। नासा का ’प्रोब’ इसी महान सूर्य की कुछ प्रामाणिक जानकारियां धरतीवासियों को देने निकला है। हालांकि यह भी सूर्य से काफी दूर यानी 64 लाख किमी के फासले से गुजरेगा।

सूर्य के इतने नजदीक भी अभी तक कोई नहीं पहुंच सका है। क्योंकि सूर्य के ताप को सहन करने की कोई तकनीक अभी हमारे पास नहीं है। फिर भी प्रोब को 1377 डिग्री का ताप सहन करने लायक बनाया गया है। सूरज में ये ‍अग्नि विस्फोट वहां करोड़ों सालों से हो रहे परमाणु विखंडन के कारण होते आए हैं। अरबों साल तक होते भी रहेंगे। सूर्य एक तारा है। अंतरिक्ष यान प्रोब सूर्य के बाहरी वातावरण के रहस्यों पर से पर्दा उठाने और अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले उसके प्रभावों को जानने के लिए सात साल का सफर तय करेगा।

नासा विज्ञान अभियान निदेशालय के सहयोगी प्रशासक थामस जुरबुकान के अनुसार ‘यह अभियान सचमुच एक तारे की ओर मानव की पहली यात्रा को चिन्हित करता है जिसका असर न केवल यहां धरती पर पड़ेगा बल्कि हम इससे अपने ब्रह्मांड को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।’

इस मिशन का उद्देश्य यह जानना है कि किस तरह ऊर्जा और गर्मी सूरज के चारों ओर घेरा बनाकर रखती है। तो क्या प्रोब सूरज के असहनीय ताप से पिघल तो नहीं जाएगा? क्या उसमें बाल हनुमान की शक्ति का सहस्त्रांश भी है? इसका वैज्ञा‍निक उत्तर यह है कि प्रोब में थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम लगा हुआ है। सूरज की भयंकर गर्मी से अंतरिक्षयान और उपकरणों की सुरक्षा इसमें लगाई गई साढ़े चार इंच मोटी एक ढाल करेगी जो कार्बन से बनी हुई है।

लेकिन चूंकि अंतरिक्ष में बेहद कम पदार्थ मौजूद हैं, इसलिए प्रोब उतना नहीं तपेगा, जितना हम समझ रहे हैं। वैसे महाविराट सूर्य का तापमान भी अलग अलग होता है। इसके मुख्य भाग में तापमान 1.5 करोड़ ‍डिग्री सेल्सियस है तो बाहरी सतह पर यह 5500 डिग्री सेल्सियस है। ‘प्रोब’ इसी बाहरी सतह के काफी दूर से सूर्य का जायजा लेगा। अधिकतम 6 लाख 90 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ने वाला यह अंतरिक्ष यान अगले 7 सालों में सूरज के 7 चक्कर लगाएगा। इस यान के साथ करीब 11 लाख लोगों के नाम भी सूरज तक पहुंचेंगे।

नासा ने इसी साल मार्च में अपने ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनने के लिए लोगों से नाम मंगाए थे। नासा ने बताया था कि मई तक करीब 11 लाख 37 हजार 202 नाम उन्हें मिले थे, जिन्हें मेमोरी कार्ड के जरिए यान के साथ भेजा गया है। ये वो लोग हैं, जो सूरज बनने की तमन्ना लिए हुए सूर्य के आभा मंडल तक ही अपने नाम पहुंचाकर खुश होंगे।

लेकिन क्या सूर्य को जानना इतना आसान है? क्या सूर्य स्वयं को भी ठीक से जान पाया है? जो सतत आग में जलता हो, उसे सोचने का भी वक्त कहां होगा? कई सवाल हैं। सूरज सतत क्यों जलता रहता है? इतनी ताकत उसमें कहां से आती है? वह इतना गुस्सा क्यों करता है? दिन भर जलकर शाम को इत्मीनान से डूब क्यों जाता है? रात भर डूब कर सुबह फिर ताजगी भरी लालिमा के साथ क्यों उग आता है? अपने संगी-साथी ग्रहों को इतना प्रकाश क्यों बांटता है? क्‍या सूरज कभी मरेगा? मरेगा तो क्या होगा? क्या उसकी परिक्रमा पर जीने वाले तमाम ग्रह भी उसी घड़ी मर जाएंगे?

ऐसे कई प्रश्न हैं, जो मन को मथते हैं। विज्ञान के लिए चुनौती बनते हैं। कविता में घुमड़ते हैं। प्रतिमानों को रचते हैं। सूरज की यही अखंड आग दूसरों के लिए ज्योति बन जाती है। हम लोग सूर्य के उपासक हैं, लेकिन हमे सूर्य का शोधक भी बनना होगा। दुनिया यही कोशिश कर रही है। क्योंकि सूर्य एक सत्य भी है। उपनिषदों में सूर्य को ब्रह्म भी कहा गया है। क्योंकि अनंत ऊर्जा का स्रोत होना ही ब्रह्म है। वह ब्रह्मांड की केन्द्रक शक्ति भी है। उसके भीतर उठने वाले सौर तूफानों से पूरा ब्रह्मांड हिल जाता है। उसका प्रसन्न होना जितना सुखदायी है, उसका कुपित होना उतना ही विनाशकारी है।

हमारे यहां सूर्य देव के रथ को सप्त रंगों के रूप में सात घोडों द्वारा खींचने की सुंदर कल्पना है। ‘प्रोब’ सूर्य को लेकर उठने वाली जिज्ञासाओं के कुछ जवाब जरूर हमें देगा। अभी तो यह शुरुआत है। आने वाले समय में शायद कोई ऐसा मिशन भी आए, जो सूरज से सीधे आंख से आंख मिला सके। क्योंकि सूर्य की ऊर्जा अनंत है तो मनुष्य की जिज्ञासा और उनका शमन करने की इच्छा भी अनंत है। प्रोब इस अनंत प्रतिस्पर्द्धा का प्रस्थान बिंदु है। कल को मनुष्य की जानने की चाह भी बाल हनुमान का स्वरूप ले ले, कौन जानता है?

(सुबह सवेरे से साभार)

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