राकेश अचल
कोरोना संक्रमण से बुरी तरह जूझ रहे मध्यप्रदेश की सियासत में उपचुनावों की तैयारी धीरे-धीरे शुरू हो गयी है, लेकिन इस तैयारी को गति देने के लिए सरकार को लॉकडाउन या तो खोलना पड़ेगा या फिर उसमें अपार ढील देना पड़ेगी, बिना इसके मतदाता तक पहुँच पाना मुमकिन नहीं है। मार्च 2020 में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद प्रदेश में कांग्रेस के तख्ता पलट के बाद 22 विधायकों के इस्तीफे ने उपचुनाव का मैदान तैयार किया है।
इन उपचुनावों में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि अब भाजपा को कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए इन सभी 22 पूर्व विधायकों को जिताने का जिम्मा भी लेना पड़ेगा। फिलहाल इन 22 में से 2 को भाजपा की नयी सरकार में मंत्री भी बना दिया गया है। अभी ये तय नहीं है कि भाजपा नेतृत्व इन सभी विधायकों को दोबारा चुनाव लड़वाएगा या कुछ का इस्तेमाल दूसरे रूप में करेगा, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की मजबूरी ये होगी की वे सभी बागियों को दुबारा न सिर्फ चुनाव लड़वाएं बल्कि उन्हें जिताएं भी। हालांकि सभी को दोबारा चुनाव जितवाना आसान काम नहीं है।
आपको याद होगा कि सिंधिया के समर्थक जिन 22 विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा था, उनमें 6 मंत्री भी शामिल थे। गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभु राम चौधरी ऐसे नाम हैं। शिवराज सिंह चौहान की पहली कैबिनेट में गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है जबकि बाकी पूर्व मंत्रियों को भी आगे कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना है। हालांकि, इन सारे नेताओं को 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है। भाजपा पशोपेश में है कि सिंधिया के अन्य समर्थकों को मंत्री बनाकर चुनाव लड़ाया जाये या चुनाव जीतने के बाद मंत्री बनाया जाए?
इन उपचुनावों में कांग्रेस के पास अब खोने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस को अब जो भी मिलेगा, वो अतिरिक्त ही होगा। बताया जाता है कि सत्ताच्युत किये गए मुख्यमंत्री कमलनाथ को दोबारा सत्ता में लाने के लिए कांग्रेस ने बागियों में सबसे पहले 6 पूर्व मंत्रियों की घेराबंदी करने की रणनीति बनाई है। कांग्रेस ने इन 6 बागी मंत्रियों के सामने मजबूत कैंडिडेट की तलाश शुरू कर दी है ताकि बगावत का हिसाब बराबर हो सके। उप चुनाव के लिए कांग्रेस के पास प्रत्याशियों की लम्बी कतार है, इनमें से जीतने वाले प्रत्याशियों का चयन ही एक समस्या है, लेकिन इससे पार पाया जा सकता है।
कांग्रेस से बगावत करने वाले अधिकांश पूर्व विधायकों और मंत्रियों को अब अपने पुराने साथियों के अलावा भाजपा के असंतुष्टों से भी दो-दो हाथ करना पड़ेंगे। मसलन ग्वालियर में पूर्व मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और श्रीमती इमरती देवी को। ग्वालियर के ही पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल से जूझने के लिए कांग्रेस और भाजपा में बराबर की होड़ है। तोमर के खिलाफ क्या सिंधिया के ही पूर्व समर्थक आएंगे या दिग्विजय सिंह के, ये अभी तय नहीं है। इस अंचल में दिग्विजय सिंह ही कांग्रेस के प्रत्याशियों का चयन करेंगे ऐसा लगता है।
उपचुनावों को लेकर अभी खिचड़ी भीतर ही भीतर पक रही है। लॉकडाउन की वजह से न तो सिंधिया अंचल में आ पाए हैं और न ही भाजपा के दूसरे क्षत्रप, इसलिए जो कुछ गतिविधियां हैं वे दिल्ली और भोपाल तक सीमित हैं। स्थानीय स्तर पर दावेदार अपनी तैयारियों में जुटे हैं लेकिन अंतिम फैसले का इन्तजार सभी को है। प्रदेश में उप चुनाव सम्भवत: अगस्त या सितंबर में हो सकते हैं। अभी तक केंचुआ (केंद्रीय चुनाव आयोग) को इस बारे में कोई लिखा-पढ़ी नहीं की गयी है। इसलिए तिथियों को लेकर संशय बना हुआ है।
लॉकडाउन के चौथे चरण में दी जाने वाली छूट के ऊपर सब निर्भर है। लॉकडाउन के चलते तो कोई चुनाव सम्भव नहीं है। चुनाव के लिए खुला माहौल चाहिए। इन उप चुनावों में दलबदल तो एक मुद्दा है ही लेकिन अब लॉकडाउन के कारण हुई जनता की फजीहत भी एक आंशिक मुद्दा होगा।
ये उपचुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राजनैतिक भविष्य का फैसला करने वाले भी होंगे, क्योंकि यदि इन उपचुनावों में भाजपा को अपेक्षित परिणाम न मिले तो मुमकिन है, शिवराज सिंह को जाना पड़ जाए और उनके स्थान पर किसी दूसरे चेहरे को आगे किया जाये। ये चेहरा कोई भी हो सकता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए ये उपचुनाव जीवन-मरण का प्रश्न हैं। यदि उनके सभी 22 बाग़ी विधायक दोबारा न चुने गए तो उनकी ताकत कम होगी और यदि सभी जीत गए तो सिंधिया की हैसियत दोबारा बढ़ेगी और वे भाजपा से सौदेबाजी कर पाएंगे। सिंधिया के सामने अभी भी कांग्रेस में वापसी और नयी पार्टी बनाने का विकल्प खुला हुआ है। उनके संपर्क में भाजपा के भी अनेक असंतुष्ट विधायक हैं जो भविष्य में उनके काम आ सकते हैं। भाजपा को भी इसकी भनक है।
————————————-
निवेदन
कृपया नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर मध्यमत यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।
https://www.youtube.com/channel/UCJn5x5knb2p3bffdYsjKrUw
टीम मध्यमत