अरुण पटेल
राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट की तर्ज पर इन दिनों राजनेताओं में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के साथ ही इसका श्रेय लेने की होड़ लग गई है। अचानक ट्विटर हैंडल बदल गए हैं और नेता राम रंग में रंगे नजर आ रहे हैं। जो जितना श्रेय लूट सके लूटने की जुगत में है, कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता। भाजपा तो खुलकर हमेशा राम नाम लेती रही है और जय श्रीराम के नारे लगाती रही है, उसने कभी भी इस मामले में कोई कोताही नहीं बरती, लेकिन अब कांग्रेस नेताओं की जुबान पर भी राम नाम काफी चढ़ गया है और वह भी जय सियाराम अपने ट्विटर और फेसबुक पर लिखने लगे हैं।
अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन की पूर्व बेला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमि पूजन के साथ ही मध्य प्रदेश की राजनीति में भी भगवा रंग और अधिक खिल उठा है। इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नेताओं में एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ मची है। अधिकांश नेताओं ने अपने ट्विटर हैंडल और फेसबुक की प्रोफाइल फोटो और कवर फ़ोटो को बदलकर भगवा चोले वाली फोटो चस्पा कर दी है।
भगवान राम की भक्ति में रंगे नेताओं में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से लेकर पुराने कांग्रेसी और ताजा-तरीन भाजपा के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया तक शामिल हैं। शिवराज ने अपनी प्रोफाइल फोटो की जगह भगवान राम की फोटो लगाई है और वैसी ही कवर फोटो भी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी भगवाधारी हो गए हैं और अपने ट्विटर अकाउंट का कवर पेज बदल डाला है, अब वे भगवाधारी नजर आ रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के फेसबुक प्रोफाइल फोटो में राम छाए हुए हैं और कवर फोटो में सिंधिया भगवान का तिलक करते नजर आ रहे हैं। विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने भी राम की फोटो लगा ली है। इन सब बदलावों के बीच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कोई बदलाव नहीं किया है।
भाजपा की जुबान पर राम नाम चढ़ना कोई नई बात नहीं है, वह तो राम रंग में रंग कर ही लोकसभा में दो सांसदों वाली पार्टी से बढ़कर लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई। कांग्रेस में आया बदलाव एक बड़ा बदलाव माना जा सकता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय के बाद गठित एंटोनी कमेटी ने सिफारिश की थी कि कांग्रेस को अपनी पुरानी मूल उदार हिंदुत्व और सर्वधर्म समभाव की नीति पर वापस आना चाहिए। धीरे-धीरे कुछ बदलाव हुए और राहुल गांधी मंदिर और धर्म स्थलों में जाने लगे।
मध्यप्रदेश में सबसे पहले तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने कांग्रेस कार्यालय में गणेश प्रतिमा और दुर्गा प्रतिमा की स्थापना पूरे विधि विधान और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ करने की परंपरा शुरू की। अब कांग्रेस बिना हिचक के पुरानी राह पर लौट रही है। देखने वाली बात यही होगी कि वह इस पर कितना आगे बढ़ती है। कांग्रेस के अंदर अनुभवी नेताओं का एक समूह था जो कि बीते तीन दशक में राम मंदिर मामले में जो भटकाव आया उससे नाखुश था। उसे इस बदलाव से संतोष हो रहा होगा। अब कमलनाथ खुलकर कह रहे हैं कि इसका श्रेय राजीव गांधी को है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि राजीव गांधी ने 1985 में शुरुआत की थी और 1989 शिलान्यास किया। राजीव जी के कारण ही राम मंदिर निर्माण का सपना साकार हो रहा है।
और अंत में…
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने 5 अगस्त के दिन ही कसरावद विधानसभा क्षेत्र के ग्राम लेपा पुनर्वास में श्रीराम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन किया। उनके अनुज प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव भी साथ थे। प्रदेश से जुड़े तीन बड़े नेताओं ने अपनी भावनाओं का प्रकटीकरण किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने ट्वीट किया कि वे भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होंगी, उन्होंने कहा कि मैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की मर्यादा से बंधी हूं, मुझे राम मंदिर न्यास के वरिष्ठ अधिकारी ने शिलान्यास स्थल पर उपस्थित रहने का निर्देश दिया है इसलिए मैं कार्यक्रम में उपस्थित रहूंगी।
इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया था कि वे सरयू नदी के किनारे रहेंगी। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि आज अयोध्याजी में भगवान रामलला के मंदिर का शिलान्यास वेद द्वारा स्थापित ज्योतिष् शास्त्र की मान्यताओं के विपरीत हो रहा है, हे प्रभु हमें क्षमा करना। यह निर्माण निर्विघ्न रूप से पूरा हो यही हमारी आप से प्रार्थना है। जय सियाराम। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का सपना साकार हुआ, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पहल करके 9 नवंबर 1989 में शिलान्यास करवाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ऐतिहासिक भूमि पूजन किया। भगवान राम सबके हैं इसलिए भारतवासियों के लिए यह हर्ष और उल्लास का विषय है।
(लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं।)