जूते मारने वालों की संख्‍या बढ़ा दीजिए

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एक राजा था जिसकी प्रजा पूरी तरह सोई हुई थी!

बहुत से लोगों ने कोशिश की प्रजा जाग जाए…

अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसका विरोध करे,

लेकिन प्रजा को कोई फर्क नहीं पड़ता था!

 

राजा ने रोटी के दाम बढ़ा दिए प्रजा चुप रही

राजा ने अजीबो गरीब टैक्स लगाए प्रजा चुप रही

राजा मनमानी करता रहा लेकिन प्रजा चुप रही

 

एक दिन राजा के दिमाग मे एक बात आई

उसने एक अच्छे-चौड़े रास्ते को खुदवा कर पुल बनवा दिया

जबकि वहां पुल की कतई आवश्यकता नहीं थी…

प्रजा फिर भी चुप थी

किसी ने नहीं पूछा कि भाई यहां तो किसी

पुल की जरुरत नहीं है, आप काहे बना रहे है?

 

राजा ने अपने सैनिक उस पुल पर खड़े करवा दिए

पुल से गुजरने वाले हर व्यक्ति से टैक्स लिया जाने लगा

फिर भी किसी ने कोई विरोध नहीं किया!

फिर राजा ने अपने सैनिको को हुक्म दिया कि

जो भी इस पुल से गुजरे उसको 4 जूते मारे जाएं

और एक शिकायत पेटी भी पुल पर रखवा दी

कि अगर किसी को कोई शिकायत हो तो

शिकायत पेटी मे लिख कर डाल दे

लेकिन प्रजा फिर भी हरकत में नहीं आई

राजा रोज़ शिकायत पेटी खोल कर देखता

शायद किसी ने कोई विरोध किया हो लेकिन

उसे हमेशा पेटी खाली मिलती!

 

कुछ दिनों बाद अचानक एक दिन एक चिट्ठी मिली

राजा खुश हुआ कि चलो कम से कम एक आदमी तो जागा

लेकिन जब चिट्ठी खोली गई तो उसमें लिखा था-

 

हुजूर जूते मारने वालों की संख्या बढ़ा दी जाए…

हम लोगों को घर जाने मे देरी होती है!

 

नोट- यह कहानी काल्‍पनिक है, इसका किसी भी देश की वास्‍तविक स्थिति से कोई लेना देना नहीं है।

(यह कहानी हमें मध्‍यमत डॉट कॉम के पाठक श्री राजकुमार अहिरवार ने भेजी है)

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