कह रहीम कैसे निभे अनार गुलमोहर को संग..!!

‘एक अनार और सौ बीमार’ वाली कहावत तो आपने सुनी होगी लेकिन ‘सौ अनार और एक गुलमोहर’ वाली नई कहावत से आपका कभी वास्‍ता नहीं पड़ा होगा। ऐसा होना स्‍वाभाविक भी है क्‍योंकि यह कहावत अभी अभी मध्‍यप्रदेश के बागवानी विभाग ने गढ़ी है। इस कहावत की ‘लॉबी’ इतनी मजबूत है कि हो सकता है धीरे धीरे प्रचलन में आकर यह पुरानी कहावत को भी मात देने लगे।

दरअसल यह कहानी शुरू होती है करीब ढाई साल पहले से। जब मध्‍यप्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी को बचाने और उसे हमेशा लबालब रखने के इरादे से मुख्‍यमंत्री की अगुवाई में ‘नमामि देवि नर्मदे’ अभियान की रूपरेखा बनी। यह अभियान 11 दिसंबर 2016 से 15 मई 2017 तक चला। इस अभियान के समाप्‍त होने के दो महीने बाद नर्मदा किनारे पौधारोपण का एक बड़ा आयोजन हुआ।

2 जुलाई 2017 को संपन्‍न इस पौधारोपण अभियान में नर्मदा तटों पर राज्‍य के 24 जिलों में छह करोड़ 63 लाख से अधिक पौधे लगाकर विश्‍व कीर्तिमान बनाने का दावा किया गया। इस पुनीत कार्य में राजनेताओं, धर्मगुरुओं, अंतर्राष्‍ट्रीय संगठनों और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ ही पर्यावरण और जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे विशेषज्ञों ने भागीदारी की थी।

यहां यह भी जान लेना जरूरी है कि पौधारोपण और उसका कीर्तिमान बनाने से मध्‍यप्रदेश को बहुत लगाव रहा है। ऐसा पहला विश्‍व रिकार्ड शहडोल जिले में 22 जुलाई, 2013 को 55 लाख से अधिक पौध-रोपण के साथ बनाया गया था। हालांकि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड ने अपनी  सत्यापन टीम की मौजूदगी वाले 17 लाख 8 हजार 181 पौधों को ही उस रिकार्ड में शामिल किया था।

उसके बाद अगला रिकार्ड मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा शुरू किए गए हरियाली महोत्‍सव के तहत कायम किया गया। उस दौरान 31 जुलाई, 2014 को एक ही दिन में 9 हजार 272 स्‍थनों पर एक करोड़ 43 लाख 72 हजार 801 पौधे रोपे गए और इसके लिए भी मध्‍यप्रदेश को विश्‍व रिकार्ड का प्रमाण पत्र मिला।

लेकिन पिछले साल यानी 2017 में करीब साढ़े छह करोड़ पौधे रोपने का जो रिकार्ड बनाया गया उसके साथ कुछ लोचे हो गए हैं। विश्‍व रिकार्ड और महाअभियान जैसे हल्‍लों के दौरान ही तय किया गया इस तरह का बड़ा पौधारोपण अभियान हर साल नर्मदा पट्टी में चलाया जाए। इसीके तहत पिछले दिनों जब धार जिले की डही नर्सरी में अनार के 22 हजार पौधे पहुंचाए गए तो पता चला कि वे मुरझाए हुए थे।

मुरझाए हुए पौधों की सप्लाई की खबर सामने आने पर सरकार ने धार जिले के उद्यानिकी विभाग के अफसरों को नोटिस जारी किया तो जवाब मिला कि जब पौधे मिले थे तब वे हरे-भरे थे। दो दिन तक लगातार बारिश हुई, और गुलमोहर के बड़े पेड़ के नीचे रखे होने के कारण अनार के ये पौधे सूख गए। जबकि मामले की जांच कमेटी ने पाया कि पहुंचाए गए 80 फीसदी पौधे मुरझाए हुए ही थे।

पौधारोपण में ऐसा खेल हर साल होता है। इस खेल की अहमियत आप जरा इस जानकारी से समझिये कि साल 2016 में उद्यानिकी विभाग ने नर्मदा किनारे की एक-एक किमी चौड़ी पट्टी में पौधे रोपने की जो योजना तैयार की थी उसका कुल बजट ही 534 करोड़ 20 लाख रुपये का था। उस योजना के तहत कई फलदार पौधे लगाए जाने थे और अनार पौधारोपण के लिए जिन स्‍थानों को चुना गया था उनमें झाबुआ जिले की पहाडि़यां, निमाड़ के मैदानी इलाके और विध्‍य का पठार शामिल थे।

धार जिले के ताजा ‘अनार कांड’ में आरोप यह है कि जब ये पौधे डही स्थित नर्सरी में पहुंचे तभी मुरझाए हुए थे। लेकिन स्‍थानीय अफसरों ने उन्‍हें ताजा बताकर स्‍वीकार कर लिया। आरोप यह भी है कि फायदा पहुंचाने के लिए पौधे सप्‍लाई का नया आर्डर भी दमोह की उसी नर्सरी को दे दिया गया है। अनार के एक पौधे की कीमत 60 रुपए है। खबरें कहती हैं कि अकेले आरोपित नर्सरी से ही करीब 3 करोड़ रुपए से ज्‍यादा की पौधा खरीद हुई है।

हमारे यहां वैसे तो भ्रष्‍टाचार के ज्‍यादातर मामले उजागर ही नहीं होते और बदकिस्‍मती से जो उजागर हो भी जाते हैं उन पर ऐसी लीपापोती होती है कि कुछ दिनों बाद पता ही नहीं चलता कि वह मामला कहां गया। दूसरी गलती कुदरत की है। उसने मनुष्‍य के अलावा बाकी प्राणियों और वनस्‍पति को जबान नहीं दी। अगर वे भी हमारी तरह बोल सकते तो सारे पौधे और पशु चीख-चीख कर बताते कि कैसे उनके बहाने पौधारोपण और चारा घोटाले हो रहे हैं।

और अब वो मुद्दा जिसका मैंने शुरुआत में जिक्र किया था। भ्रष्‍टाचार तो कोई नहीं बात नहीं है लेकिन मुझे इस ‘पौधारोपण कांड’ में सबसे ज्‍यादा आपत्तिजनक यह लगा कि अनार के पौधों को मुरझाने का जिम्‍मेदार गुलमोहर को ठहराया गया। यानी मारे गए गुलफाम की तर्ज पर मारा गया बेचारा गुलमोहर…!!

आग जैसी चमक वाले सुंदर फूलों से लदाफदा रहने वाला गुलमोहर मेरे प्रिय पेड़ों में से है। यह दुनिया के अनेक देशों में पाया जाता है और हमारे यहां ज्‍यादातर गरमियों के मौसम में फूलता है। विडंबना देखिए कि अंगारे जैसे खूबसूरत फूलों वाले इस पेड़ को आड़ बनाकर भ्रष्‍टाचार के अंगारे निगले जा रहे हैं।

बरगद के पेड़ के नीचे कोई और वनस्‍पति नहीं पनपती यह तो सुना था लेकिन भाई लोगों ने अब इस मामले में बेचारे गुलमोहर को भी अभिशप्‍त बना डाला है। रहीम ने कहा था- कह रहीम कैसे निभे बेर केर को संग… आज अगर रहीम होते तो शायद यह कहने को मजबूर होते कि कह रहीम कैसे निभे अनार गुलमोहर को संग…

आप से गुजारिश है, भ्रष्‍टाचारियों का आप कुछ करें या न करें लेकिन बेचारे गुलमोहर को इस बदनामी से बचाने का जतन जरूर करिएगा…

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