“पापा मुझे फिर से विश्वास करना सिखा दो…”

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अक्षरा उपाध्याय

पापा आपने मुझे चलना सिखाया, मुझे जीना सिखाया, मेरे आसपास सुरक्षा की ऐसी दीवार खड़ी की जो एक हद तक अभेद है। लेकिन आपने मुझे पंगु भी नहीं बनाया, इस दीवार में खिड़की और फिर दरवाजा भी आपने ही बनाया और कहा देखो इस दुनिया को, पहचानो इसे, सीखो इससे और मजबूत बनो।
आजादी, सबसे पहले यही शब्द आया था मेरे दिमाग में जब आपने दुनिया की ओर खुलने वाले दरवाजे के ताले की चाबी मेरे हाथ में थमा दी थी। मैं भी बाहर निकली, सबसे पहले दोस्तों के साथ इस खुशी को जिया। धीरे-धीरे आपने मेरी पॉकेट मनी भी बढ़ाई यानी और आजादी। अब तो मेरे पास पैसे भी थे, भला अब क्या चाहिए था मुझे, दोस्तों के साथ घूमना और अपने हिसाब से पैसे खर्च करना।
हालांकि, इस सब के बीच जितनी चादर हो उतना ही खर्च करना, आजादी के साथ जिम्मेदारी को न भूलना जैसी आपकी बातों का भी मैंने पूरा सम्मान रखा। इस बात पर गर्व करते हुए भी देखा है मैंने आपको, लेकिन मेरे सामने नहीं सिर्फ दूसरों के सामने। लेकिन पापा इस सबके बीच आप मुझे ये बात समझाना तो भूल ही गए कि ‘मैं एक लड़की हूं और इसके नाते मेरी कुछ सीमाएं हैं जो कभी पार नहीं होनी चाहिए।’
ये पाठ आपने नहीं सिखाया लेकिन पापा दुनिया ने ये पाठ मुझे सिखा दिया है। मैंने बाहर जाना शुरू किया तो मुझे पता चला कि आपने क्यों मेरे आसपास सुरक्षा की दीवार बनाई थी। मुझे पता चला कि बचपन में भी जिस बेटी की छोटी सी बात को आप गौर से सुनते और उसे सम्मान देते थे, उसे इस दुनिया में अपने छोटे से विचार को भी सम्मान दिलाने के लिए लड़ना पड़ता है।
पापा आप घर के मुखिया हैं फिर भी कभी मुझ पर ये नहीं थोपा कि मेरे लिए कौन से कपड़े सही हैं और कौन से नहीं। लेकिन ये पाठ भी दुनिया ने सिखा दिया। पर पापा दुनिया के हिसाब से कपड़े पहनने पर भी कुछ फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि लड़कों के जरिए हमें किसी ‘माल’ की तरह देखना, सरेराह चलते ‘बेब’ बुलाना, या सीटी बजाना और रास्ते को रोकते हुए ग्रुप बनाकर खड़े हो जाना तो हमेशा जारी ही रहा, फिर चाहे मैंने जींस या कैप्री पहनी हो या फिर सलवार-कमीज, पर ये सब मैं कैसे आपको बताती।
पापा आपने मुझे ये भी नहीं सिखाया कि यदि आप भावुक हैं या दूसरों के प्रति हमेशा मदद का हाथ बढ़ाने के लिए तैयार रहते हैं, तो दुनिया की नजर में ये आपकी मजबूती नहीं बल्कि कमजोरी है और इस कमजोरी का फायदा उठाने के लिए लोग हमेशा ‘फिराक’ में बैठे रहते हैं।
पापा आपने सिखाया था कि सब एक से नहीं होते फिर चाहे वो लड़का हो या लड़की इसलिए ‘don’t judge the book by it’s cover’, लेकिन पापा ऐसा तो बिल्कुल नहीं है। दुनिया तो आपको आपके ‘कवर’ से ही जज करती है। लड़की सुंदर है तो उसके आसपास लोगों की भीड़ इकट्ठा हो जाएगी, फिर चाहे ये स्थिति उसे असहज कर रही हो, लेकिन उन्हें इस बात से क्या फर्क पड़ता है, सुंदर हो तो ये सब तो ‘झेलना’ ही पड़ेगा। लड़की मोटी या आम चेहरा लिए हो तब उसे अपनी जगह बनाने के लिए दोहरी जंग लड़नी पड़ती है, एक तो अपने टैलेंट को साबित करने की और दूसरी तानों से लड़ने की क्योंकि वो खूबसूरत नहीं। सबसे बड़ी बात तो ये है पापा कि यहां आपको कोई समझना ही नहीं चाहता, वो तो सिर्फ जज करना ही जानते हैं। पापा यहां लड़की होने के नाते सम्मान पाना बहुत मुश्किल है।
पापा आपने सिखाया था कि अपने फैसले खुद लिया करो, लेकिन दुनिया में तो लड़के ही इसे अपना हक समझते हैं। वो आपके लिए फैसला लेते हैं और जब आप उस पर सवाल उठाएं तो एक ही जवाब मिलता है, कि तुम्हारे लिए जो सही था वो किया गया है। तो क्या पापा आज तक मुझे मेरे फैसले लेने की छूट देकर आप गलत कर रहे थे।
ऐसी और भी कई बातें हैं जो आपने सिखाई लेकिन दुनिया में उन बातों की इज्जत ही नहीं है। लेकिन पापा आप फिक्र न करें, आपने जो भी कुछ सिखाया वो मैं कभी नहीं भूलूंगी, हां ये जरूर है कि इन बातों का दायरा अब कम लोगों के लिए ही रह गया है। मैंने सीख लिया है कि भावनाएं सबसे बड़ी कमजोरी है। मैंने सीख लिया है कि सरेराह छेड़छाड़ हो तो उससे निपटने के तरीके क्या हैं। मैंने सीख लिया है लड़कों को ये हर समय याद दिलाया जाना चाहिए कि मैं भी उतनी ही सक्षम हूं जितना वो। मैंने सोच लिया है कि मैं जैसी हूं वैसी ही रहूंगी और दुनिया को दिखाऊंगी की आपने जो सिखाया वो गलत नहीं है।
लेकिन पापा अब बस एक पाठ दोबारा पढ़ा दो, मु्झे इस दुनिया पर विश्वास करना सिखा दो, मु्झे ये यकीन करना सिखा दो कि ये दुनिया इतनी भी बुरी नहीं है, जितनी दिखती है, मुझे यकीन करना सिखा दो कि इस दुनिया में आपके जैसे और भी लोग हैं जो लड़कियों को सम्मान और आजादी देने की भी हिम्मत रखते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी बेटी पर विश्वास है।

 (प्रदेश 18 नेटवर्क से साभार)

3 COMMENTS

  1. Gudiya…. just love u beta …aur papa, aapne jo kaha aur jo sikhaya, woh hamesha sahi tha. Happy Father’s Day..??

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