बुंदेलखंड की डायरी
रवीन्द्र व्यास
भगवान विष्णु के अवतार श्री राम को सनातनधर्मी ऐसा देवता मानते हैं जिन्होंने ना जाने कितने लोगों की वैतरणी पार लगाई है। उनके प्रति यह आस्था और विश्वास इतना प्रबल है कि साधारण व्यक्ति तो ठीक राजनैतिक दल भी उनके नाम के सहारे सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हो जाते हैं। कल तक जो जय श्रीराम कहने से दूर भागते थे, आज वही लोग राम शिला की रथ यात्रा निकाल रहे हैं। मामला बुंदेलखंड के सागर जिले के सुरखी विधान सभा क्षेत्र का है। यहां उपचुनाव की नैया पार लगाने के लिए 2 सितम्बर से 5 रथ राम शिला के साथ विधानसभा क्षेत्र के भ्रमण पर निकल गए हैं ।
राम शिला रथयात्रा
सुरखी विधानसभा में राम शिला रथयात्रा का यह आयोजन 2 से 11 सितम्बर तक हो रहा है। ये रथ विधानसभा के सभी 149 गांव और कस्बे में पहुँच रहे हैं। राम शिला रथ यात्रा में चांदी की शिलायें भी रखी गई हैं, जिनका पूजन ग्रामीण इलाकों में किया जा रहा है। राम मंदिर शिलान्यास के बाद यह अपने तरह का पहला मामला है जब इस मुद्दे का चुनाव के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। राजनैतिक दल बीजेपी की इस धर्म रथ यात्रा से पार्टी को कितना सियासी लाभ होगा यह तो चुनाव परिणाम ही बताएँगे। ये जरूर है कि रथ यात्राओं का यह प्रभाव बीजेपी के आयोजनों में देखने को मिल रहा है।
यात्रा सुरखी में ही क्यों?
अब लोग सवाल कर रहे हैं कि यह राम शिला रथ यात्रा सुरखी में ही क्यों निकाली जा रही है? बात बड़ी सीधी सी है कि भाई विपत्ति में ही तो भगवान की याद आती है। अब उप चुनाव सुरखी में हैं तो रथ यात्रा सुरखी में नहीं निकलेगी तो कहाँ निकलेगी। इस मामले पर मध्य प्रदेश सरकार के परिवहन और राजस्व मंत्री गोविन्द राजपूत खासे उत्साहित नजर आये। गोविन्द जी बड़ी सफाई से कहते हैं कि कई सालों से राम मंदिर निर्माण का सपना देशवासी देख रहे थे, हम खुश किस्मत हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जी की सूझ बूझ से कोर्ट का निर्णय हुआ और मोदी जी की ही सूझबूझ से इस निर्णय के बाद पूरे देश में कहीं दंगा फसाद नहीं हुआ।
5 अगस्त को घर-घर दिए जलाये गए और मंदिर का शिलान्यास हो गया। हमारे इलाके के कुछ धर्मप्रेमियों की इच्छा थी कि हमारा भी योगदान मंदिर निर्माण में हो, इसलिए राम शिलायें अयोध्या जी भिजवाएं। इसी तारतम्य में हमारे साथियों ने सब व्यवस्था की। 2 तारीख से राम शिला रथ यात्रा शुरू हुई, जिसके पांच रथ सुरखी क्षेत्र के गाँवों में जाएंगे अगर जिले के अन्य लोग चाहेंगे तो वहां भी भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा राम मंदिर के निर्माण में कार सेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दी, में फख्र से कह रहा हूँ कि मैं बीजेपी में हूँ, और प्रसन्न हूँ कि मुझे राम शिला पूजन का मौका मिला। गोविन्द जी यहीं से उप चुनाव में मैदान में हैं।
अब की बार राम का सहारा
ये वही गोविन्द सिंह राजपूत हैं जिन्होंने कांग्रेस के नेता स्व. विट्ठल भाई पटेल से राजनीति का ज्ञान प्राप्त किया। स्व. माधवराव सिंधिया की विकास कांग्रेस की सागर रैली का ऐतिहासिक आयोजन किया और सिंधिया से जुड़ गए। 2003, 2008 और 2018 में यहां से कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव जीते। मार्च 2020 में जब ज्योतरादित्य सिंधिया कांग्रेस से खफा हो गए तो इन्होंने भी मंत्री पद, विधायकी और कांग्रेस पार्टी को त्याग दिया। इस परिवर्तन के बाद बनी बीजेपी सरकार में भी गोविन्द राजपूत को परिवहन और राजस्व मंत्री बनाया गया। और अब उन्हें सुरखी विधान सभा क्षेत्र से उपचुनाव बीजेपी के टिकिट पर लड़ना है।
चुनावी अखाड़े में वे सारे दांव पेंच चलते हैं जिनकी आम तौर पर कल्पना नहीं की जा सकती। असल में यह उप चुनाव सामान्य उप चुनाव नहीं है इसमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कांग्रेस से बीजेपी में आये गोविन्द सिंह के सामने नाराज बीजेपी कार्यकार्ताओं के भितरघात का भी ख़तरा है। 2003 के चुनाव में गोविन्द सिंह ने बीजेपी के भूपेंद्र सिंह को और 2008 में बीजेपी के राजेंद्र सिंह को चुनाव हराया था। 2013 में वे बीजेपी की पारुल साहू से मात्र 141 मतों से पराजित हुए थे, जबकि 2018 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी के सुधीर यादव को 39418 मतों से पराजित किया था। सियासी जानकार कहते हैं, कि हार जीत के ये समीकरण गोविन्द सिंह के अनुकूल तो हैं पर इनके प्रतिद्वंदी रहे लोग इनके साथ कितना रहेंगे कहा नहीं जा सकता। इन्हीं हालात को देख कर ही उन्होंने मतदाताओं को लुभाने के लिए राम शिला रथ यात्रा निकाली है…