कानून का तमाशा और राजनीति का तमाशा दोनों साथ-साथ चल रहे हैं। एक मां है जिसकी बेटी के साथ सात साल पहले दुष्कर्म की बर्बर घटना हुई थी। बेटी तो उसके बाद दुनिया में नहीं रही लेकिन उसके माता पिता बेटी के गुनहगारों को सजा दिलाने की कोशिशें करते हुए सात सालों से न्याय की उम्मीद में भटक रहे हैं। अदालतों में हुई हर पेशी के बाद वह मां आंखों में आंसू लिए मीडिया वालों के सामने गुहार लगाती है, यह तमाशा बंद करो, मेरी बेटी को तो नहीं बचा सके पर उसे न्याय तो दिलवाओ… और यह ‘न्याय’ हर बार उस मां से आंखमिचौली खेलता नजर आता है।
इस प्रसंग में एक और पक्ष है राजनीति का। वह केवल राजनेता ही नहीं कर रहे, समाज के कई वर्ग कर रहे हैं। सामाजिक संगठन अपनी सुविधा के अनुसार निर्भया केस को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और फिर अपनी सुविधा के अनुसार ही किसी दूसरे केस के लिए मोमबत्तियां खरीदने चले जाते हैं। और राजनेताओं का तो धंधा ही है राजनीति, वे जब जब मौका देखते हैं इस मामले में कूद पड़ते हैं।
ऐसा ही एक मौका राजनेताओं को दिल्ली चुनाव के वक्त हाथ लगा है। उनकी लॉटरी इसलिए भी लगी है क्योंकि निर्भया केस में इन दिनों अदालतों में जो कुछ चल रहा है उसे देखते हुए लोग बहुत उद्वेलित हैं। एक तरह से जनमानस में भी यह भाव लगातार प्रबल होता जा रहा है कि जो भी हो, निर्भया के दोषियों को अब फांसी पर लटकाने में कोई देर नहीं होनी चाहिए। उधर निर्भया के दोषियों के वकील आए दिन नया कानूनी दांव खेलते हुए मामले को लटकाने में लगे हैं। जब भी मामले में तारीख बढ़ने या कोई नई याचिका लगने की खबर आती है लोगों की खीज दुगुनी चौगुनी हो जाती है।
दिल्ली चुनाव में लोगों के इसी गुस्से और खीज को भुनाने की कोशिशें हो रही हैं। इसकी शुरुआत सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की। उन्होंने निर्भया कांड के दोषियों की फांसी में हो रही देरी का ठीकरा दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर फोड़ते हुए कहा कि यह दिल्ली सरकार की लापरवाही की वजह से हुआ हे। न्याय में देरी के लिए आम आदमी पार्टी जिम्मेदार है। पिछले ढाई सालों में दया याचिका दायर करने के लिए दोषियों को दिल्ली सरकार ने नोटिस क्यों नहीं दिया?
जावड़ेकर ने कहा कि ‘’सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में दोषियों की अपील खारिज कर उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। अगर केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक हफ्ते के भीतर सभी दोषियों को नोटिस दे दिया होता, तो उन्हें अबतक फांसी हो जाती और देश को न्याय मिल गया होता। आम आदमी पार्टी की सरकार ने तिहाड़ जेल प्रशासन को कानूनी प्रक्रिया में सहयोग को लेकर जो रवैया दिखाया है, उससे पता चलता है कि वह दुष्कर्मियों और हत्यारों के साथ खड़ी है। दोषियों को यह अतिरिक्त समय दिल्ली सरकार की बेरहमी के कारण मिल रहा है।‘’
जावड़ेकर के बाद शुक्रवार को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भी इस मामले में केजरीवाल सरकार को कठघरे में खड़ा किया। ईरानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा-‘’सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 में रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया था। जेल विभाग आम आदमी पार्टी की सरकार के अंतर्गत आता है और वह तब तक नहीं जागा जब तक निर्भया की मां ने सार्वजनिक रूप से गुहार नहीं लगाई। दिल्ली सरकार के वकील कोर्ट में खुद कह रहे हैं कि रेपिस्ट को फांसी देने में देरी होगी। धिक्कार है दिल्ली सरकार पर।‘’
अपनी सरकार पर केंद्रीय मंत्रियों के आरोप लगते देख, आम आदमी पार्टी के नेता भी खुलकर सामने आ गए। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा-‘‘दुःख हुआ कि केंद्र के वरिष्ठ मंत्री इतने संवेदनशील मसले पर इतना बड़ा झूठ बोल रहे हैं। पुलिस आपकी, कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी आपकी, तिहाड़ का डीजी आपका, फिर सवाल हमसे क्यों? मैं जानता हूं कि आपके पास मुद्दे नहीं हैं, लेकिन इतनी घटिया बयानबाजी मत कीजिए। … दिल्ली पुलिस दो दिन के लिए हमें देकर देख लीजिए, निर्भया के दोषियों को फांसी चढ़वा देंगे।‘’
इससे पहले आम आदमी पार्टी के दिल्ली चुनाव प्रभारी और सांसद संजय सिंह ने भी भाजपा पर हमला करते हुए कहा था-‘‘सब जानते हैं कि दिल्ली पुलिस भाजपा और केंद्र के हाथ में है। फांसी में हो रही देरी के लिए भाजपा जिम्मेदार है। केंद्रीय मंत्री को माफी मांगनी चाहिए कि फांसी टल रही है। दिल्ली सरकार ने तो दया याचिका कुछ घंटे में खारिज कर दी थी। दिल्ली सरकार का पुलिस से कोई लेना-देना नहीं है। तिहाड़ जेल में नियुक्तियां एलजी साहब करें तो जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की कैसे?’’
16 जनवरी को पटियाला कोर्ट में दोषी मुकेश की याचिका पर सुनवाई के दौरान फांसी टल जाने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्भया की मां ने भी कहा कि-‘’फांसी में देरी के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार है। दोषियों को फायदा क्यों मिल रहा है। मेरी बेटी की हत्या हुए सात साल हो गए, लेकिन आज भी मैं न्याय के लिए लड़ रही हूं। यह सरकार की गलती है। मैं एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट जा रही हूं बस। मुझे क्यों सजा दी जा रही है।‘’
निर्भया की मां का कहना है-‘’2012 में घटना के बाद इन्हीं लोगों ने हाथ में तिरंगा लेकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए खूब रैलियां कीं, खूब नारे लगाए पर आज यही लोग उस बच्ची की मौत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि आपने रोक दिया, कोई कह रहा है कि हमें पुलिस दे दीजिए मैं दो दिन में दिखाऊंगा। अब मैं जरूर कहना चाहूंगी कि ये अपने फायदे के लिए उनकी फांसी को रोके हैं।‘‘
साफ है कि दिल्ली चुनाव के घमासन में आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच बयानों की इस बमबारी का मकसद निर्भया के दोषियों को सजा दिलवाना नहीं बल्कि देरी के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बताकर वोट कबाड़ना है। चाहे भाजपा हो या फिर आम आदमी पार्टी, यदि उन्हें निर्भया मामले की इतनी ही चिंता थी तो उनकी घंटी आज ही क्यों बज रही है। ये ही केंद्रीय मंत्री दो साल पहले ऐसी प्रेस कान्फ्रेंस कर लेते या ये ही दिल्ली सरकार केंद्र को दो साल पहले जिम्मेदार ठहरा देती, कम से कम उसी दबाव में मामला तो आगे बढ़ता। मान लिया कि सामने वाला नींद में था लेकिन आपके अलार्म की घंटी क्यों बंद थी?