इस देश में लोगों के पास बहुत फालतू टाइम है भाई। ऐसा लगता है कि पूरा देश ही फुरसत में बैठा है। खासतौर से हमारे राजनेताओं के पास तो फालतू बातों के लिए टाइम ही टाइम है। जनता भले ही परेशानियों से मरी जा रही हो लेकिन ये लोग अपनी ही धुन में मस्‍त हैं। यकीन न आए तो पिछले कुछ दिनों से चल रही हरकतों की ओर नजर डाल लीजिए। आधा देश इस समय पानी की कमी से जूझ रहा है,महंगाई और भ्रष्‍टाचार जैसी समस्‍याएं ज्‍यों की त्‍यों हैं, सुशासन की तो बात ही करना फिजूल है, लेकिन ऐसे में भी देश में इस बात को मुद्दा बनाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री कहां तक पढ़े लिखे हैं। उनकी जन्‍म तारीख क्‍या है?  भाई लोग ये जानकारियां ऐसे पूछ रहे हैं जैसे अपनी किसी नाते रिश्‍तेदार की शादी के लिए दूल्‍हा चुन रहे हों।

ऐसे ऑड-ईवन कामों में कुछ नेताओं को जरूरत से ज्‍यादा ही दिलचस्‍पी है। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और हमारे दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन मामलों में कुछ ज्‍यादा ही सक्रिय रहते हैं। इधर अपनी कांग्रेस के माननीय महासचिव दिग्विजयसिंह भी बीच बीच में ऐसे ही पटाखे चलाया करते हैं। जैसे इन दिनों आम आदमी पार्टी ने इस बात को मुद्दा बनाया हुआ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्‍यता क्‍या है? अरविंद केजरीवाल ने सूचना के अधिकार के तहत बाकायदा आक्रामक कानूनी लड़ाई लड़कर यह हक हासिल किया कि मोदीजी की डिग्री के बारे में जानकारी सावर्जनिक की जाए। नतीजा यह हुआ कि मोदीजी की पढ़ाई लिखाई सामने आ गई। लेकिन जिन्‍हें गैर पढ़ा लिखा समझा जा रहा था, उनकी डिग्री ने चटाक से एक तमाचे की तरह सूचना दी कि वे एम.ए. पास हैं और वो भी फर्स्‍ट क्‍लास।

कायदे से इसके बाद मामला खत्‍म हो जाना चाहिए था। लेकिन निकलते हाथी की फिर पूंछ पकड़ ली गई। दिग्विजयसिंह ने मोदीजी का एक पुराना इंटरव्‍यू ट्विटर पर जारी कर यह बताने की कोशिश की वे असलियत में हाईस्‍कूल पास ही हैं। वहीं केजरीवाल समूह की ओर से कहा गया कि दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय ने मोदी की बीए की डिग्री के बारे में जो जानकारी दी है वह गलत है। अरविंद केजरीवाल ने तो इस बारे में बाकायदा दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के कुलपति को एक चिट्ठी भेज दी है। इस चिट्ठी में कई सवाल उठाए गए, मसलन क्‍या वास्‍तव में मोदीजी ने दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से बीए की डिग्री प्राप्‍त की है?  यदि ऐसा है तो विश्‍वविद्यालय के रिकार्ड में उनका एडमिशन फॉर्म, मार्कशीट, डिग्री आदि की जानकारी क्‍यों नहीं है… वगैरह।

केजरीवाल के अनुसार- ‘’अगर मोदीजी ने बी.ए. ही नहीं किया तो उनको एम.ए. में दाखिला कैसे मिल गया? इससे संदेह पैदा होता है कि उनकी एम.ए. की डिग्री फर्जी है।‘’

केजरीवाल ने तो एक अंग्रेजी अखबार की आशंका का हवाला देते हुए यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री की डिग्री सुरक्षित नहीं है और उसके साथ कोई भी दुर्घटना हो सकती है, ऐसे में डिग्री संबंधी सारे दस्‍तावेज सुरक्षित रखने के लिए उन्‍हें तुरंत वेबसाइट पर डाल दिया जाए।‘’

शुक्रवार को इसी कड़ी में आप ने दावा किया कि प्रधानमंत्री की ओर से दी गई ग्रेजुएशन की तारीख वाले दिन नरेंद्र महावीर मोदी  ने डिग्री ली थी न कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने। यह ’नरेंद्र महावीर मोदी’ राजस्थान के अलवर से हैं, जबकि प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के बड़नगर से हैं।

मजेदार बात यह है कि यह सारी लड़ाई सोशल मीडिया पर लड़ी जा रही है। दिग्विजयसिंह के वीडियो क्लिप की असलियत तो स्‍क्रोल डॉट इन वेबसाइट ने खोल दी। इसमें दी गई जानकारी को देखकर यह साफ पता चलता है कि कांग्रेस महासचिव ने ट्विटर पर जो वीडियो शेयर किया है, वह आधा ही दिखाया गया है।* यानी वो आधा सच, जो माफिक नहीं था उसे छुपा लिया गया।

रही बात केजरीवाल के दावों की तो, वे भी कानूनी लड़ाई लड़ने के बजाय सोशल मीडिया पर ही हवा बनाने में ज्‍यादा रुचि दिखा रहे हैं। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्‍स (एडीआर) के साथ काम करते हुए हम लोगों ने चुनाव के दौरान दिए जाने वाले शपथ पत्रों की सत्‍यता का मामला उठाया था। तब चुनाव आयोग के नुमाइंदों ने कहा था कि उनका काम शपथ पत्र की सत्‍यता की जांच करना नहीं है, यदि किसी को आपत्ति हो तो वह कोर्ट में उस शपथपत्र को चुनौती दे। केजरीवाल तो वाराणसी में मोदीजी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, यदि वहां मोदीजी ने अपने शपथपत्र में शैक्षणिक योग्‍यता आदि के बारे में गलत जानकारी दे रखी है तो उसे कायदे से कोर्ट में कानूनी रूप से चुनौती दी जानी चाहिए। लेकिन यह तो तभी किया जाएगा ना, जब मामले का हल निकालने में रुचि हो। जब सारी रुचियां सिर्फ और सिर्फ हंगामा खड़ा करने में ही हैं तो फिर तसवीर बदलने की उम्‍मीद कैसे की जा सकती है।

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