कंपनियां अब तक अपनी अंदरूनी जानकारी उपभोक्ताओं से छिपाती आई हैं। उनकी भरसक कोशिश रहती है कि उनके अंदर क्या चल रहा है, इसकी जरा सी भी भनक बाहर वालों को नहीं लगनी चाहिए। गोपनीयता के इस अभेद किले में सेंध लगाना असंभव ही होता है। लेकिन एयरटेल जैसी दिग्गज टेलीकॉम कंपनी में अब यह सेंध लगाना संभव हो गया है।
चौंकिए मत… यह सेंध किसी बाहर वाले ने नहीं लगाई है, बल्कि अपनी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा नए नए प्रयोग करने वाली एयरटेल ने खुद ही अपने अंदरूनी जानकारियों के दरवाजे उपभोक्ताओं के लिए खोल दिए हैं। एयरटेल ने ‘प्रोजेक्ट लीप’ के तहत ओपन नेटवर्क की पहल शुरू की है।
भारत में टेलीकॉम की दुनिया में मिसाल कायम करते हुए कंपनी ने फैसला किया है कि वह अपने पूरे नेटवर्क कवरेज की जानकारी ‘इंटरेक्टिव ऑनलाइन इंटरफेस’ के जरिए सार्वजनिक करेगी। कंपनी ने अपने नेटवर्क में सुधार के लिए ग्राहकों से प्रतिक्रिया और सुझाव भी मांगे हैं। एयरटेल के ग्राहक अब एक ‘कलर कोडेड इंटरफेस’ के जरिए देश में किसी भी जगह नेटवर्क कवरेज और सिग्नल स्ट्रेंथ की जानकारी देख सकेंगे। इस सुविधा के उपलब्ध हो जाने से उपभोक्ताओं को यह पता चल सकेगा कि उसे जो नेटवर्क मिल रहा है वह किस क्वालिटी का है। वह यह जान सकेगा कि कवरेज की स्थिति उत्कृष्ट, अच्छी या मध्यम है अथवा जरा सी भी नहीं है।
एयरटेल ने इमारतों में बेहतर कवरेज और नेटवर्क के बेहतर इस्तेमाल के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से ग्राहकों की समस्या का सामधान खोजने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। इसके लिए नए उपकरणों के साथ, पुराने नेटवर्क को व्यापक स्तर पर सुधारा जाएगा। अतिरिक्त स्पेक्ट्रम और फाइबर नेटवर्क में भी निवेश किया जाएगा।
कंपनी इससे पहले मोबाइल कॉल ड्रॉप में कमी लाने के लिए ट्राई द्वारा तय 2 फीसदी की सीमा के बजाय खुद ही अपने लिए 1.5 फीसदी का पैमाना तय करते हुए उस पर काम शुरू कर चुकी है।
मोबाइल पर आ रही कॉल ड्रॉप की समस्या को लेकर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हाल ही में ट्राई ने एक सर्वे कराया था, उसमें पाया गया है कि केवल एयरटेल और वोडाफोन ही ऐसी कंपनियां हैं जिनके उपभोक्तारओं के कॉल ड्रॉप होने की संख्या दो फीसदी से कम है। बाकी कंपनियों के कॉल ड्रॉप की संख्या 22 प्रतिशत तक है। जबकि ट्राई ने कॉल ड्रॉप की जो सीमा तय की है वह अधिकतम दो फीसदी है।
ट्राई ने 3 से 5 मई तक भोपाल में मोबाइल नेटवर्क की टेस्टिंग की थी। इसमें एयरटेल, बीएसएनएल, आइडिया, रिलायंस, टाटा और वोडाफोन के नेटवर्क का ड्राइव टेस्ट किया गया था जिसमें पाया गया कि बीएसएनएल और रिलायंस तो कॉल सेटअप सक्सेस रेट के बेंचमार्क को भी पूरा नहीं करते।
एयरटेल की नई योजना ‘प्रोजेक्ट लीप’ के तहत साधारण कलर स्कीम का इस्तेमाल कर एयरटेल के ग्राहक अब यह भी जान सकेंगे कि उनके इलाके में साइट का स्टेटस क्या है। जैसे- मौजूदा कितनी है, कितनी जरूरत है, अपग्रेड की जा रही है या जबरदस्ती बंद की गई है। नए इंटरफेस के जरिए ग्राहकों को www.airtel.in/opennetwork और माई एयरटेल ऐप पर नेटवर्क संबंधी शिकायत दर्ज कराने में भी आसानी होगी। इसके अतिरिक्त ग्राहक नेटवर्क संबंधी शिकायत एयरटेल कॉल सेंटर या एयरटेल के किसी भी प्रमुख स्टोर में जाकर दर्ज करा सकते हैं।
भारती एयरटेल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल विट्टल कहते हैं कि ’’ओपन नेटवर्क ग्राहकों से जुड़ने के तरीके में एक मिसाल है। इस पहल के साथ हम अपने मोबाइल नेटवर्क में पूरी पारदर्शिता स्थापित कर रहे हैं और ग्राहकों की जांच व फीडबैक के लिए अपने दरवाजे खोल रहे हैं। हमारे लिए नेटवर्क अनुभव बहुत मायने रखता है। एयरटेल के ग्राहक अब नेटवर्क संबंधी शिकायतों पर नियंत्रण रख सकते हैं। वे समस्या के समाधान का इंतजार करने के बजाय समाधान का हिस्सा भी बन सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ग्राहक सक्रियता के साथ इसमें हिस्सा लेंगे और हमें नेटवर्क को बेहतर बनाने मदद करेंगे।‘’
‘’हम मोबाइल रेडिएशन के बारे में गलत अवधारणाएं दूर करने और टेलीकॉम उद्योग की जरूरतों को देखते हुए साइट के लिए जगह उपलब्ध कराने में सक्रिय सहयोग वाला रवैया अपनाने के लिए माननीय संचार मंत्री का धन्यवाद करना चाहते हैं।‘’