राष्ट्र के भीतर महाराष्ट्र का दंगल

राकेश अचल

केंद्र जब-जब कमजोर होता है तो उसका वही नतीजा होता है जो महाराष्ट्र में हो रहा है। केंद्र के एक मंत्री नारायण राणे को राज्य सरकार की पुलिस गिरफ्तार कर लेती है और विपक्षी भाजपा राणे की जान को खतरा बताकर कांपते नजर आती है। महाराष्ट्र में इस ताजातरीन दंगल की वजह कांटे से काँटा निकालने की भाजपा की सियासत है।

पिछले सात साल में केंद्र और राज्य के बीच टकराव का ये पहला मौक़ा नहीं है। इससे पहले असम और मिजोरम आपस में लठैती कर चुके हैं। केंद्र अभी असम और मिजोरम को तो शांत कर नहीं पाया था कि अब महाराष्ट्र में ये नया ड्रामा शुरू हो गया। महाराष्ट्र में अपनी सत्ता गंवा चुकी भाजपा अरसे से शिवसेना और एनसीपी, कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार को गिराने की कोशिश में लगी है, किन्तु प्रतिपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ये काम पूरा कर नहीं पा रहे हैं।

महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा ने पार्टी में शामिल हुए एक पूर्व शिवसैनिक नारायण राणे को लाम पर भेजा और केंद्रीय मंत्रिपद की शपथ लेते ही राणे ने मुख्यमंत्री के कान के नीचे चपत लगाने जैसी बात कहकर ‘आ बैल, मुझे मार’ वाली कहावत चरितार्थ करके दिखा दी। राणे और भाजपा जो चाहते थे, वैसा ही हुआ। ठाकरे के अपमान से पूरी शिवसेना तिलमिला उठी। राज्य में राणे के खिलाफ शिवसैनिक सड़कों पर आ गए। अनेक जिलों में भाजपा कार्यालयों को निशाना बनाया गया और अंत में राणे के खिलाफ एक प्रकरण दर्ज कर पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी ले लिया।

राणे ने ठाकरे के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है ठीक वैसे ही शब्दों का इस्तेमाल खुद उद्धव ठाकरे तीन साल पहले उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए कर चुके हैं, लेकिन तब भाजपा ठाकरे के खिलाफ वैसी प्रतिक्रिया नहीं कर पायी थी जैसी अब शिवसेना ने राणे के खिलाफ की है। आपको याद होगा कि 2018 में  उद्धव ठाकरे ने शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माला चढ़ाते समय योगी आदित्‍यनाथ के खड़ाऊं पहनने पर ऐतराज किया था। उद्धव का मानना था कि ऐसा करके योगी ने शिवाजी महाराज का अपमान किया है। ठाकरे ने कहा था, ‘यह योगी तो गैस के गुब्‍बारे की तरह आया और सीधे चप्‍पल पहनकर महाराज के पास चला गया। मन कर रहा है कि उसी चप्‍पल से उसे मारूं।’

राणे महाराष्ट्र में जनता से आशीर्वाद लेने के लिए यात्रा पर हैं लेकिन उनका मकसद कुछ और ही था। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि- ”यह कैसा मुख्यमंत्री है जिसको अपने देश का स्वतंत्रता दिवस पता नहीं। मैं वहां होता तो कान के नीचे थप्पड़ लगा देता।’ लगता है कि महाराष्ट्र में कान के नीचे मारने की कोई सनातन प्रथा है। यदि ऐसा न होता तो जो बात ठाकरे ने 2018 में कही थी उसे राणे 2021 में कैसे दोहराते?

राणे के बयान पर मचे घमासान के बाद शिवसेना हमलावर हो गई है। शिवसेना के लोकसभा सांसद विनायक राउत ने पीएम मोदी को खत लिखकर राणे को तत्काल केंद्रीय मंत्री पद से हटाने की मांग की। राउत ने अपने पत्र में लिखा कि राणे ने पत्रकार परिषद में राज्य के सीएम के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल किया वह बेहद निदंनीय है। नारायण राणे जैसा अपनी मर्यादा भूलने वाला केंद्रीय मंत्री ऐसी भाषा का उपयोग करता है तो मुझे लगता है कि उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। जाहिर है कि राउत के कहने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राणे को मंत्री पद से हटाने वाले नहीं हैं, क्योंकि उन्हें शायद मंत्री बनाया इसी काम के लिए गया है।

मजे की बात ये है कि राणे के पहले से केंद्र में मंत्री महाराष्ट्र के ही एक और बड़बोले नेता रामदास आठवले इस ताजा विवाद में राणे के साथ खड़े हैं। महारष्ट्र में राणे को जो काम दिया गया था वो हो चुका है अब इस सियासी रिले दौड़ में आगे की लड़ाई राज्य भाजपा को आगे बढ़ाना है। दअरसल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के खिलाफ गठबंधन के लिए प्रयत्नशील एनसीपी नेता शरद पंवार की सक्रियता के बाद से भाजपा भयभीत दिखाई दे रही है। समझा जाता है कि भाजपा ने महाराष्ट्र में विवाद खड़ा कर पंवार को व्यस्त करने की कोशिश की है।

अब तलवारें दोनों ओर से निकलना शुरू हो चुकी हैं। विधानपरिषद सदस्य भाजपा के प्रसाद लाड ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के साथ पुलिस ने बुरा बर्ताव किया। दूसरी तरफ राज्य के मंत्री एवं शिवसेना नेता गुलाबराव पाटिल ने कहा कि नारायण राणे को ‘ट्रामा ट्रीटमेंट’ की जरूरत है क्योंकि वह अपना मानसिक ‘संतुलन’ गंवा बैठे हैं। महाराष्ट्र भाजपा में राणे का प्रवेश ठीक वैसा ही है जैसा कि मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया का। भाजपा ने सिंधिया से पहले काम कराया तब भाजपा में शामिल किया जबकि महाराष्ट्र में राणे को पहले भाजपा में शामिल किया और अब ठाकरे सरकार गिराने के अभियान में लगा दिया।

बीजेपी में राणे का जाना देवेंद्र फड़णवीस, प्रवीण डारेकर और चंद्रकांत पाटिल की दक्षता के लिए खतरे का निशान माना जा रहा है। राणे यदि दिए गए टारगेट को पूरा करते हैं तो बहुत मुमकिन है कि उन्‍हें ही फडणवीस की जगह महाराष्ट्र का भावी मुख्यमंत्री बनाकर जनता के सामने खड़ा किया जाये। महाराष्ट्र में नए विवाद के नायक नारायण राणे को ये जिम्मेदारी बहुत सोच समझकर दी गयी है। राणे जमीनी नेता हैं और उन्होंने घाट-घाट का पानी पिया है। वे पुराने शिव सैनिक हैं।

शिवसेना में जब राणे की पोल खुल गयी तो वे कांग्रेसी हो गए। कांग्रेस में जैसे ही उनका काम समाप्त हुआ वे भाजपा के साथ आ गए। भाजपा 2024 का आम चुनाव जीतने के लिए हर तरह का भंडारण करने में लगी है। राणे को इसका लाभ मिला। भाजपा के पास इस समय राणे जैसा जुझारू और मवाली भाषा का जानकार कोई दूसरा नेता नहीं है, ऐसे में राणे के जरिये भाजपा महाराष्ट्र में एक बार फिर अपनी जड़ें जमाना चाहती है।

हर तरह के बल से सम्पन्न 68 साल के राणे बीते तीन दशक से महाराष्ट्र की राजनीति का हिस्सा हैं। वे चार-पांच बार विधानसभा के लिए चुने गए, बाद में संसद के लिए। राजनीति में राणे की ये आखरी पारी है, यदि वे राज्य में ठाकरे सरकार को गिराने की मुहिम में कामयाब हुए तो उन्हें महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। आपको याद होगा कि महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के 106 सदस्य हैं लेकिन सरकार 56 सदस्यों वाली शिवसेना के उद्धव ठाकरे चला रहे हैं। ठाकरे को 44 सदस्यों वाली कांग्रेस और 54 सदस्यों वाली एनसीपी की बैसाखियां मिली हुई हैं। ठाकरे सरकार बीते दो साल से आखिर चल ही रही है और फिलहाल उनकी सरकार को खोई खतरा नजर नहीं आ रहा। (मध्‍यमत)
डिस्‍क्‍लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता, सटीकता व तथ्‍यात्‍मकता के लिए लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए मध्‍यमत किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है।
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