उमा भारती और शिवराज की नई राजनीतिक केमेस्‍ट्री

रवीन्‍द्र व्‍यास

बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती बुंदेलखंड से ताल्लुक रखती हैं। अपने बेबाक विचारों के लिए मशहूर उमा भारती एक दशक से ज्यादा समय के बाद फिर से मध्यप्रदेश की सियासत में सक्रिय हो रही हैं। इस बार उन्हें साथ मिल रहा है शिवराज सिंह चौहान का। एक समय दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक अनबन के किस्‍से छाए रहते थे वहीं अब खुद शिवराजसिंह चौहान उमा जी को साथ लेकर चुनावी सभाएं कर रहे हैं, उनका गुणगान कर रहे हैं। सियासी जानकार इस बदलाव के अंदर की कहानी जानने को बेचैन हैं।

15 सितम्बर को इंजीनियर्स डे था, सारा देश इंजीनियर्स डे (सर विश्वेश्वरैया का जन्म दिवस) मना रहा था। वहीँ मध्‍यप्रदेश में इस दिन उमाश्री और शिवराज जी एक अलग ही राजनैतिक इंजीनियरिंग में व्यस्त थे। इसका नजारा लोगों को छतरपुर जिले के बड़ामलहरा विधान सभा क्षेत्र के लिधौरा गाँव में देखने को मिला। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने यहां होने वाले उप चुनाव को लेकर चुनावी सभा में अपने कार्यकाल की उपलब्धियों का बखान किया, यह जतलाने का जतन किया कि जनता का उनसे बड़ा शुभचिंतक और कोई नहीं है। विरोधी दल पर हमला करते हुए उन्होंने कांग्रेस के कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को जनता का सबसे बड़ा दुश्मन बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

सभा में उमा भारती ने शिवराज सिंह चौहान से पुराने रिश्तों का स्मरण करते हुए कहा कि 2003 में कार्यकर्ताओं के बल पर हमने मध्य प्रदेश में सरकार बनाई, बाद में शिवराज सिंह चौहान मुख्य मंत्री बने। शिवराज सिंह चौहान ने जितनी अच्छी सरकार चलाई उतनी अच्छी मैं भी नहीं चला सकती थी। 1980 के लोक सभा चुनाव में शिवराज जी द्वारा उनके चुनाव प्रचार का भी उन्होंने स्मरण कर यह जताने का प्रयास किया कि शिवराज से समबन्ध आज के नहीं बल्कि चार दशक पुराने हैं। सभा में उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया को  विजयाराजे सिंधिया का एक तरह से पर्याय बताया।

शिवराज ने भी उमा जी के महिमा मंडन में कोई चूक नहीं की। उन्होंने उमा जी को देश की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने वाली नेता बताते हुए कहा कि हमारी माता जी का निधन तो बचपन में ही हो गया था, किन्तु उमा दीदी से हमें मातृवल स्नेह मिला। दीदी ने ही मध्यप्रदेश से बंटाढार की सरकार को उखाड़ फेंका था। शिवराज ने अपनी बहुचर्चित संबल योजना को भी उमा भारती के ‘पंचज अभियान’ पर आधारित बताया। वे यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा आत्मनिर्भर भारत के लिए आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश बनाना है, उसका ड्राफ्ट आप (दीदी) फाइनल करेंगी। हम बुंदेलखंड में उद्योगों का जाल बिछाएंगे।

दरअसल मध्यप्रदेश की 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कई सीटें लोधी बाहुल्य हैं। भिंड और अशोकनगर जिलों के अलावा छतरपुर जिले की बड़ामलहरा विधान सभा सीट पर भी लोधी मतदाताओं का प्रभाव अच्छा खासा है। ऊपरी तौर पर तो यही लगता है कि इन चुनावी सभाओं में इसी बिरादरी के मतदाताओं को लुभाने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने उमा भारती का साथ लिया है। सियासत के जानकार कहते हैं कि कहानी सिर्फ इतनी नहीं है इसके पीछे भी कोई बड़ी सियासी कथा लिखी जा रही है। दरअसल सियासत में जब लोगों के व्यवहार में इस तरह के परिवर्तन देखने को मिलने लगते हैं तो अनेक सवाल उठने लगते हैं।

बदलते चाल, चरित्र और चेहरे को देख लोग उन तमाम चीजों की तलाश में जुट जाते हैं जो इनकी वजह बनते हैं। बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती की उन तमाम बातों का सियासी जानकार विश्लेषण करने में जुट गए हैं। अब कहा जाने लगा कि उमा जी की लोधी वर्ग के विधायकों पर अच्छी खासी पकड़ है, इसीके तहत उन्होंने कांग्रेस विधायक प्रदुम्न लोधी का विधायक पद से इस्तीफा करवाकर उन्‍हें ना सिर्फ बीजेपी की सदस्यता दिलाई बल्कि नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बनवाकर केबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिलवाया। इसके पहले उन्होंने मंत्रिमंडल में पिछड़े वर्ग की उपेक्षा पर नाराजगी भी जताई थी। राजनैतिक तौर पर देखा जाए तो उमा जी ने यह सन्देश पार्टी और सरकार को दिया है कि मध्यप्रदेश में पिछड़े वर्ग पर उनकी पकड़ कमजोर नहीं हुई है। दूसरा इस बड़े वोट बैंक के बहाने वे फिर से मध्यप्रदेश की राजनीति में वापस आना चाहती हैं।

पार्टी के आंतरिक सूत्रों की मानें तो उमाजी मध्यप्रदेश की ऐसी नेता हैं जिन्हे आरएसएस द्वारा भी सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। विष्णुदत्त शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने के समय भी उमा जी की सहमति ली गई थी, जबकि इस मसले पर शिवराज के सुझाव को अनदेखा किया गया था। संगठन में उमा जी की पकड़ बनने के बाद उनके कई समर्थकों को संगठन में अहम पद मिले। मध्यप्रदेश की राजनीति में उमा जी को फिर से सक्रिय करने के लिए पार्टी का एक बड़ा वर्ग लगा हुआ है। यही कारण है कि उमा भारती के फिर से बड़ामलहरा से चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोरों पर हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि ऐन वक्त पर उमा जी को बड़ा मलहरा से चुनावी रण में उतारा जाएगा। इन सब हालात से वाकिफ शिवराज ने समय पर दांव चलते हुए उमा दीदी से सम्बन्ध बेहतर बनाने की पहल की है।

यहां उमा भारती को आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश का खाका तैयार करने का काम सौंपने के ऐलान पर भी नजर डालना जरूरी है। 11 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री ने 4 दिवसीय वेबिनार के समापन सत्र को संबेधित करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री     नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को साकार करने के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप तैयार किया जा रहा है।  इसके लिए आयोजित वेबिनार सत्र में महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए हैं। इन सुझावों को शामिल कर रोडमैप को अंतिम रूप देने के लिए प्रदेश के मंत्रियों के समूह गठित किए जा रहे हैं।  मंत्री समूह अपना ड्राफ्ट 25 अगस्त तक प्रस्तुत कर देंगे।  इस ड्राफ्ट पर नीति आयोग के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद 31 अगस्त तक आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप को अंतिम रूप दे दिया जाएगा तथा एक सितम्बर से इसे आगामी 3 वर्ष के लक्ष्य के साथ प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। जबकि 15 सितंबर को वे खुद ही आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश का खाका तैयार करने का काम उमा भारती को सौंपने का ऐलान कर रहे थे।

असल में बड़ामलहरा के लोगों को पुराने दिन आज भी याद हैं। उमा भारती 2003 में इसी विधान सभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बनी थीं। लोधी और यादव बहुल इस इलाके में उमा भारती 31698 मतों से जीती थी। उनके मुख्य मंत्री बनने और हटने, फिर राम रोटी यात्रा निकालने और   अपनी अलग जनशक्ति पार्टी बनाने, फिर बीजेपी में लौटने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। इन सब हालात का गवाह भी बड़ामलहरा क्षेत्र रहा है। ताजा घटनाक्रम में इस क्षेत्र की जनसभा में उमा भारती और शिवराज सिंह का साथ आना और एक दूसरे की प्रशंसा के पुल बाँधना, देख-सुन कर लोग भी हैरान हैं।

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