गिरीश उपाध्याय
मेरी बसंत पंचमी
————–
मैं हर साल
माघ माह की पंचमी को
बसंत मनाता हूं
बाकी साल
मैं धूप से दूर रहकर
बाद में धूप का इंजेक्शन लगवाता हूं
कुएं को सुखाकर
बाद में पानी का पैसा चुकाता हूं
हवा को जहरीला बनाकर
बाद में मास्क लगाता हूं
धरती पर कंक्रीट बिछाकर
लॉन में घास लगवाता हूं
बसंत आने से पहले
ढूंढता हूं
कुछ पीले फूलों वाले चित्र
बाद में उन्हें अपनी वॉल पर चिपकाता हूं
मैं हर साल
इसी तरह
माघ माह की पंचमी को
बसंत मनाता हूं…