राकेश अचल
दुनिया के हर देश की अपनी-अपनी लोक मान्यताएं और विश्वास होते हैं। इनमें एक है अपने पूर्वजों के प्रति स्नेह, समर्पण और उनका स्मरण। अमेरिका, कनाडा, जापान, ब्रिटेन और मैक्सिको सहित दुनिया के तमाम देशों में पूर्वजों को स्मरण करने के त्योहार का नाम है हेलोवीन। ये त्योहार अक्टूबर माह के अंतिम दिन मनाया जाता है, लेकिन इसका हल्ला पूरे एक माह रहता है।
हिंदुओं में पूर्वजों के स्मरण का त्योहार पितृपक्ष के रूप में मनाया जाता है, इसे कनागत भी कहते हैं। उन पंद्रह दिनों में हम अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज करते हैं। हमारे इस त्योहार में सामूहिकता का अभाव होता है। मुस्लिम देशों में शब-ए-बारात होता है। लेकिन अभी मैं बात कर रहा हूं ‘ हेलोवीन ‘की।
हेलोवीन पर अमेरिका के अधिकांश घरों में रोशनी और भूत, पिशाच, बेताल, चुड़ैल के कंकाल पारंपरिक परिधान में घर के बाहर सजाए जाते हैं। कुत्ते, मेंढक और मकड़ियां भी इस उत्सव का अनिवार्य अंग है। तकनीक ने इस त्योहार को और सजीव बना दिया है। अब आप इन सब कंकालों को गाते, बजाते और नाचते ही नहीं अपितु ठहाके लगाते सुन और देख सकते हैं। संपन्न लोग इस मौके पर भूत महल की रचना करते हैं, जिसे ‘हंटेड हाउस’ कहा जाता है। इन्हें देखने लोग मीलों दूर भागे चले जाते हैं। सब कुछ इतना भयावह दिखता है कि कमजोर दिल वाले तो बेहोश ही हो जाएं।
हेलोवीन को मैंने भूतोत्सव नाम दिया है। इस त्योहार का अंतिम दिन बहुत महत्वपूर्ण है, उस दिन लोग सपरिवार भूतों के स्वांग रचकर घर-घर शुभकामनाएं देते हैं। बच्चों के हाथ में प्लास्टिक की बाल्टियां होती हैं। हर घर के बाहर गृह स्वामी बच्चों के लिए उपहार स्वरूप तरह-तरह की कापियां, बिस्कुट, लॉलीपाप लेकर बैठते हैं। जो घर बंद होते हैं उनके दरवाजे पर तश्तरियों में ये सब सामग्री भरी रहती है। अपने हाथ से उठाइए और चलते बनिए।
ठेठ स्थानीय भूतोत्सव में अब अमेरिका में रहने वाले भारतीयों, चीनियों के अलावा अन्य देशों के लोग भी शामिल होने लगे हैं। लोग समूहों में हेलोवीन की शुभकामनाएं देने और चाकलेट समेटने निकलते हैं। लौटते वक्त हर हाथ में किलो दो किलो टॉफियां होती हैं। हेलोवीन के सामान का अरबों डालर का कारोबार है। इस त्योहार के लिए लोग जी खोलकर खर्च करते हैं। खास बात ये कि इस त्योहार में कोई जाति, धर्म, भाषा, ऊंच, नीच का लेशांश भी नहीं होता। पहली बार मैं भी भेड़िए और कातिल का नकाब पहनकर इस समारोह में शामिल हुआ।
इतिहास के अनुसार हेलोवीन लगभग दो हजार या उससे अधिक साल पहले प्रसिद्ध धार्मिक त्योहार ‘आल सेट्स डे’ पूरे उत्तरीय यूरोप के देशों में 1 नवम्बर को मनाया जाता था। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि हेलोवीन का इतिहास प्राचीन सेल्टिक त्योहार जिसे सम्हैन कहा जाता है से बाबस्ता है। गैलिक परम्पराओं को मानने वाले लोग इस त्योहार को मनाते है और यह फ़सल के मौसम का आखिरी दिन होता है और इस दिन से ठंड के मौसम की शुरुआत होती है।
लोग इस बात पर बहुत ज्यादा भरोसा करते है कि इस निर्धारित दिन पर मरे हुए लोगों की आत्माएँ उठती है और धरती पर प्रकट हो कर जीवित आत्माओं के लिए परेशानी पैदा करती हैं। इन बुरी आत्माओं से डर भगाने के लिए लोग राक्षस जैसे कपड़े पहनते हैं। इसके अलावा अलाव जलाया जाता है और मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ उसमें फेंक दी जाती है। कहा जाता है कि आधुनिक इरिश, वेल्श और स्कॉट्स के लोग उनकी गैलिक भाषाओँ के रूप में सेल्टिक लोगों के वंशज हैं।
‘हेलोवीन’ को आल सैंट्स डे भी कहा जाता है जो कि 1 नवंबर को मनाया जाता है। यह मूर्तिपूजकों के परिवर्तन के लिए ईसाईयों द्वारा बनाया गया था। आल सैंट्स डे से पहले आल हेलोस ईव की शाम होती है जो अब हेलोवीन ईव के नाम से जाना जाता है। इस उत्सव में मूर्तियों की पूजा की जाती थी, लेकिन कुछ पोप्स ने इसे दूसरे ईसाई धर्म के साथ मिलाने की कोशिश की, और नतीजा यह निकला कि आल सेंटस डे और हेलोवीन डे एक ही दिन मनाया जाने लगा।
हेलोवीन दिवस लोग कई परम्पराओं और रीती रिवाजों से मनाते हैं। इस दिन लोग अलग- अलग प्रकार की वेशभूषाएं धारण करते हैं जोकि इस त्योहार की संस्कृति के अनुसार होती है। इस दिन लोगों के कपड़े दानव, शैतान, भूत, पिशाच, ग्रीम रीपर, मोंस्टर, ममी, कंकाल, वैम्पायर, करामाती, वेयरवोल्फ और चुडैलों आदि जैसे होते है और लोग इस तरह के कपड़े पहनकर दूसरों को डराते है।
इरिश लोककथाओं के अनुसार हेलोवीन पर जैक ओ-लैंटर्न का निर्माण करने का रिवाज होता है। लोग खोखले कद्दू में आँख, नाक और मुंह की नक्काशी करते है फिर इसके अंदर मोमबत्ती रखते है, और अपना चेहरा डरावना बना लेते है। इसके बाद इस नक्काशीदार कद्दू को एकत्र कर दफना दिया जाता है।
हेलोवीन दिवस की पार्टी में बहुत से खेल खेलते हैं जिसमे से सबसे ज्यादा खेला जाने वाला खेल डंकिंग या एप्पल बोबिंग है जिसे स्कॉटलैंड में डूकिंग कहा जाता है। जिसमें सेब को एक टब या पानी के बड़े बेसिन में तैराते है और फिर प्रतिभागियों को अपने दांतों से इसे निकालना होता है। इसके अलावा भी बहुत से खेल खेले जाते है। हेलोवीन पर कुछ परम्परागत गतिविधियाँ भी होती हैं जैसे भविष्यवाणी। इस गतिविधि के अनुसार और अपने भविष्य के पति या पत्नी के बारे में पता लगाने के लिए एक लम्बी सी पट्टी में सेब बनाते है इसके बाद इसके छिलके को किसी एक के कंधे पर टॉस करके गिराते हैं।
हेलोवीन दिवस पर अलग- अलग जगह के लोग अलग- अलग प्रकार के व्यंजन बना कर पार्टी मनाते हैं। आयरलैंड में बर्मब्रेक बनता है तो ब्रिटेन में बॉनफायर टॉफी, अमेरिका में कैंडी एप्पल, टॉफ़ी एप्पल, उत्तरी अमेरिका में कैंडी एप्पल, कैंडी कॉर्न और कैंडी कद्दू बनता है। इसके अलावा हेलोवीन थीम के आकार की कैंडी, हेलोवीन केक, नोवेल्टी कैंडी का आकार जैसे खोपड़ी, कद्दू, चमगादड़ और कीड़े आदि कद्दू, कद्दू पाई, कद्दू ब्रेड, पॉपकॉर्न, पौंड केक, कद्दू की प्यूरी के साथ भरा हुआ रामेकिन्स, भुने हुए कद्दू के बीज एवं स्वीट कॉर्न और आत्माओं के केक आदि। ये सारे प्रकार के व्यंजन भी हेलोवीन दिवस पर खाए जाते हैं।
हेलोवीन अक्सर दीपावली के आसपास ही आता है, इसलिए दोनों त्योहारों की रोशनी जीवन की रंगत को द्विगुणित कर देती है। आपको कभी मौका मिले तो ‘हेलोवीन’ का लुत्फ जरूर लीजिए। मैं तो भूतोत्सव में शामिल होकर अभिभूत हो चुका हूं।(मध्यमत)
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