मध्य प्रदेश के स्मारक और आदिवासी गाँव हुए नीले

भोपाल/ विश्व बाल दिवस 20 नवंबर को बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता और बाल अधिकारों को प्रदान करने की प्रतिबद्धता जाहिर करने के लिए गो ब्‍लू अभियान संचालित किया गया। इस अभियान के तहत ऐतिहासिक स्मारकों, इमारतों को नीली रोशनी से रोशन किया गया। इस क्रम में मांडू के ऐतिहासिक जहाज महल और फिर धार के जिला अस्पताल को नीला रंग दिया गया। इसके साथ ही आदिवासी जिलों झाबुआ व धार के गांवों ने भी गो ब्लू अभियान में शामिल हो कर बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की पहल की है।

गौरतलब है कि गो ब्‍लू बाल अभियान यूनिसेफ का एक वैश्विक आयोजन है जिसके तहत बाल अधिकारों के प्रति ध्‍यान आकर्षित करने के लिए स्मारक और भवनों को नीली रोशनी से नीले रंग में रंग दिया जाता है।

यूनिसेफ, मध्य प्रदेश के आग्रह पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बाल अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाते हुए मांडू और ग्वालियर किलों को नीले रंग में रंग दिया जबकि जिला कलेक्टर ने जिला अस्पताल को नीला रंग दे कर इस अभियान को समर्थन दिया। मध्‍य प्रदेश पर्यटन विभाग ने 20 नवंबर को अपने सभी 65 संस्‍थानों को नीला रंगने की घोषणा की थी। भोपाल नगर निगम ने राजधानी में भोपाल गेट, राजा भोज सेतु और झील की सड़क को नीली रोशनी से प्रकाशित किया।

इन प्रतीक चिह्नों के अलावा मैदानी स्‍तर पर भी बाल अधिकारों के प्रति जाग्रति का कार्य किया जा रहा है। आदिवासी जिलों धार और झाबुआ के दो गाँवों में गो ब्‍लू थीम के अनुसार घरों को नीले रंग में रंग दिया गया। साथ ही नवजात देखभाल, टीकाकरण, बाल विवाह न करने, जलवायु परिवर्तन जागरूकता के संदेश दीवारों पर लिखे गए। ऐसा करने से ग्रामीणों को इन मुद्दों को समझने और इनका समर्थन करने में मदद मिलेगी।

यूनिसेफ मध्‍य प्रदेश के कम्युनिकेशन विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने कहा कि प्रदेश के ऐतिहासिक इमारतों और गांवों में घरों को नीले रंग में रंगना समग्र गो ब्‍लू अभियान का एक हिस्सा है। इस तरह हम बाल अधिकारों और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रमुख मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और बाल अधिकारों की पैरवी करने में अधिक सफल हो सकते हैं।

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