इंदौर। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी और प्रत्याशियों में तो उत्साह नजर आ रहा था, लेकिन कार्यकर्ताओं का असमंजस खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था… इसी बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मालवा के रतलाम और निमाड़ के खंडवा में चुनावी सभा ने पूरा माहौल ही बदल दिया है… कार्यकर्ताओं में जोश के साथ ही मैदान मारने का उत्साह भी नजर आने लगा है… इन जनसभाओं ने करीब-करीब दर्जन भर सीटों पर सीधे-सीधे जीत सुनिश्चित कर दी है.., और इतनी ही सीटों पर आने वाले समय के लिए जिताऊ चुनावी मुद्दे भी तय कर दिए हैं.., मालवा-निमाड़ की सभी 66 सीटों पर प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय मुद्दों के साथ विकास के मुद्दे को धार देकर आगामी प्रचार की रणनीति पर मुहर भी लगा दी है..। अब मालवा-निमाड़ की सीटों पर प्रधानमंत्री के बाद योगीजी और शिवराजजी की भी मांग तेजी से बढ़ने लगी है.., क्योंकि शनिवार, रविवार को प्रधानमंत्री की रैली उन 24 सीटों पर सर्वाधिक प्रभाव डाल गई है, जहां पर 2018 में कांग्रेस ने एकतरफा बढ़त ली थी…
मालवा-निमाड़ में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान लगातार अपनी चुनावी सभाओं और रोड शो के जरिए भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में सफल हो रहे थे, लेकिन स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के बीच दूरी बनी हुई थी। ऐसे में शनिवार को रतलाम में हुई प्रधानमंत्री की चुनावी सभा से न केवल रतलाम की चारों सीटों पर बल्कि मंदसौर, नीमच, धार, झाबुआ, आलीराजपुर व उज्जैन की सातों सीटों पर भी व्यापक असर देखने को मिला… पार्टी पदाधिकारियों के साथ कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में इन जिलों से सभा में पहुंचे थे… वहां से वे एकजुटता के साथ चुनावी लड़ाई लड़ने का विश्वास और जीत का मंत्र लेकर गए…
वहीं रविवार को जब निमाड़ के खंडवा जिले के छैगांवमाखन में प्रधानमंत्री ने हुंकार भरी तो खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन, बड़वानी जिलों के साथ ही अनुसूचित जनजाति सीटों पर भी उसका सीधा प्रभाव दिखा… खंडवा, पंधाना, भीकनगांव, मांधाता, बुरहानपुर, नेपानगर विधानसभा एवं सभी जनजातीय सीटों पर नए समीकरण बनने के साथ ही भाजपा के पक्ष में एक मजबूत लहर पैदा हो गई है…
जनजाति सीटों पर कांग्रेस घिरी –
प्रधानमंत्री ने खंडवा में जहां मालवा-निमाड़ की 66 में से 19 जनजाति बहुल सीटों पर इस समाज से सीधा संवाद कर उन्हें पार्टी के पक्ष में मजबूत करने का काम किया, वहीं कांग्रेस द्वारा अब तक जनजाति के साथ की गई वादाखिलाफी को भी उजागर कर दिया.., मध्यप्रदेश में कुल 47 आदिवासी सीटें हैं, महाकौशल में गौंड, बैगा, कोल, पनिका जैसे आदिवासी हैं तो निमाड़ में भील, गौंड, कोरकू व अन्‍य जनजाति समाज है.., जो मप्र की सत्ता में महती भूमिका निभाता है… भाजपा को प्रधानमंत्री की इस सभा और आदिवासी मुद्दे के जरिए चुनावी में मजबूती मिलती नजर आ रही है.., तो कांग्रेस जनजाति मुद्दे पर घिरती जा रही है…
गरीबों के प्रति वास्तविक चिंता –
रतलाम में प्रधानमंत्री ने उस बड़े गरीब वर्ग की चिंताओं पर राहत का फाहा रखा, जो रोज कमाते-खाते हैं… उन्होंने 80 लाख गरीबों को नि:शुल्क राशन देने की सुविधा अगले पांच वर्ष तक बढ़ाने की घोषणा करके कांग्रेस के तरकस के वे सारे तीर निरर्थक कर दिए, जिनके जरिए वह गरीब और जाति की बात बार-बार दोहराकर गरीबों को चुनावी मौसम में गुमराह करती रही है। उज्ज्वला रसोई गैस योजना, हर सिर को छत अर्थात पक्का मकान देने के साथ ही प्रत्येक गरीब को प्रति माह नि:शुल्क राशन उपलब्ध करवाने का प्रधानमंत्री का वादा भाजपा के पक्ष में मास्टर स्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है…
चुनावी मुद्दे स्पष्ट हुए-
– जनजाति एवं गरीबों से जुड़ी बातें उठाकर प्रधानमंत्री ने एक बड़े वर्ग को भाजपा के पक्ष में मोड़ दिया है।
– राष्ट्रीय मुद्दों को उठाकर स्थानीय मुद्दों, समस्याओं पर केन्द्रित चुनाव को नई धार दी है।
– स्थानीय कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों में जो समन्वय का अभाव एवं दूरियां थीं वे भी खत्म होने लगी हैं।
– प्रत्याशी चयन, टिकट वितरण के बाद जो चुनावी नीरसता थी, उसे भी उत्साहपूर्ण माहौल में बदलने में प्रधानमंत्री का चुनावी दौरा सफल रहा…
विकास दृष्टि पर मुहर
प्रधानमंत्री ने खंडवा में उसी मैदान पर चुनावी सभा को संबोधित किया, जिस पर उन्होंने 10 साल पहले सिंचाई योजना से जुड़ा आधुनिक विचार रखा था… आज निमाड़ में करीब 17 ऐसी छोटी-बड़ी उद्वहन सिंचाई योजनाएं पूर्ण होने को हैं या अंतिम चरण में चल रही हैं, जिनसे सिंचाई के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया है…यह प्रधानमंत्री की विकास से जुड़ी दूरदृष्टि पर मुहर भी है…

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