कागज की नावों की जय जय- एक विशेष कविता

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1905

राकेश अचल
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बीते चार साल की जय-जय
देखे हर कमाल की जय-जय
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सबकी देखभाल की जय-जय
बढ़ती कमल-नाल की जय-जय
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बेमिसाल कदमों की जय-जय
सभी छलों-छद्मों की जय-जय
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हारों-की,जीतों की जय-जय
शेरों की ,चीतों की जय-जय
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गायब हुए नोट की जय-जय
लहराते लंगोट की जय-जय
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मंहगाई-अभाव की जय-जय
नफरत-भेदभाव की,जय-जय
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लाठी की,गोली की जय-जय
केसरिया टोली की जय-जय
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सच-झूठे वादों की जय-जय
कागज की नावों की जय-जय
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चीनी-जापानी की जय-जय
नीता अम्बानी की जय-जय
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अब की जय-जय,तब की जय-जय
लूली है संसद की जय-जय
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जाकिट की,शाहों की जय-जय
कोरी अफवाहों की जय-जय
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कुर्तों-पायजामों की जय-जय
रोजाना ड्रामों की जय-जय
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घायल है सरहद की जय-जय
घायल है सरहद की जय-जय
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भ्रामक जनादेश की जय-जय
होते हर कलेश की जय-जय
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भाषण की,भूषण की जय-जय
त्रिजटा-खरदूषण की जय-जाय
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राम राज की जय-जय,जय-जय
चायबाज की जय-जय, जय-जय
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(राकेश अचल की फेसबुक वॉल सेे)

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